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समय पर बारिश ना होने से प्रभावित हुई मटर की पैदावार, किसानों में छाई मायूसी

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Published : Mar 9, 2021, 1:58 PM IST

समय पर बारिश ना होने की वजह से इस बार जौनसार बावर में हरी मटर की पैदावार कम हुई है. इसे लेकर किसान खासे मायूस हैं. किसानों ने बताया कि इस बार मंडी में मटर के भाव अच्छे हैं तो समय पर बारिश ना होने की वजह से खेती प्रभावित हुई है. ऐसे में उन्हें काफी नुकसान हो रहा है.

vikasnagar
प्रभावित हुई मटर की पैदावार

विकासनगर: इस बार कम बारिश होने की वजह से जौनसार बावर में हरी मटर की खेती प्रभावित हुई है. ऐसे में मटर की खेती करने वाले काश्तकारों में मायूसी देखने को मिली है. मटर की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि लगभग 452 हेक्टेयर की सिंचित भूमि पर हरी मटर की पैदावार की जाती है. यहां के अधिकतर किसान बारिश पर ही निर्भर हो कर खेती करते हैं. ऐसे में समय पर बारिश ना होने की वजह से मटर की खेती प्रभावित हुई है, जिससे किसानों का काफी नुकसान हुआ है.

प्रभावित हुई मटर की पैदावार

किसानों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार हरी मटर की पैदावार 50 परसेंट के करीब ही रह गई है. साहिया मंडी के किसानों ने बताया कि पिछले साल कोरोना काल में हरी मटर की पैदावार काफी अच्छी थी. लेकिन तब भाव कम था. इस साल जब मटर के भाव अच्छे हैं, तो बारिश समय पर ना होने की वजह से मटर की पैदावार काफी कम है. ऐसे में मटर की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि बीज के दाम भी निकल पाना मुश्किल है, जबकि इस साल मंडी में मटर लगभग 20 से 21 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रही है.

ये भी पढ़ें: कुंभ मेले के लिए सफाई कर्मियों को आउटसोर्स पर रखने की कवायद तेज

वहीं, साहिया मंडी के आढ़ती निखिल अग्रवाल ने बताया कि मंडी में हरी मटर लगभग 120 रुपए पसेरी में बिक रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल 50% मटर ही मंडी में पहुंच रही है. उन्होंने बताया कि इस साल कम बारिश होने की वजह से मटर की पैदावार प्रभावित हुई है, जबकि वर्तमान समय में दिल्ली की कई मंडियों में यहां की हरी मटर की डिमांड आती है. अगर मटर की अच्छी पैदावार होती तो यही डिमांड महाराष्ट्र तक होती. फिलहाल इस साल मटर पैदावार प्रभावित होने से इस बार आढ़तियों को कम मुनाफा होगा.

विकासनगर: इस बार कम बारिश होने की वजह से जौनसार बावर में हरी मटर की खेती प्रभावित हुई है. ऐसे में मटर की खेती करने वाले काश्तकारों में मायूसी देखने को मिली है. मटर की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि लगभग 452 हेक्टेयर की सिंचित भूमि पर हरी मटर की पैदावार की जाती है. यहां के अधिकतर किसान बारिश पर ही निर्भर हो कर खेती करते हैं. ऐसे में समय पर बारिश ना होने की वजह से मटर की खेती प्रभावित हुई है, जिससे किसानों का काफी नुकसान हुआ है.

प्रभावित हुई मटर की पैदावार

किसानों ने बताया कि पिछले साल की तुलना में इस बार हरी मटर की पैदावार 50 परसेंट के करीब ही रह गई है. साहिया मंडी के किसानों ने बताया कि पिछले साल कोरोना काल में हरी मटर की पैदावार काफी अच्छी थी. लेकिन तब भाव कम था. इस साल जब मटर के भाव अच्छे हैं, तो बारिश समय पर ना होने की वजह से मटर की पैदावार काफी कम है. ऐसे में मटर की खेती करने वाले किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है. किसानों का कहना है कि बीज के दाम भी निकल पाना मुश्किल है, जबकि इस साल मंडी में मटर लगभग 20 से 21 रुपए प्रति किलो के भाव से बिक रही है.

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वहीं, साहिया मंडी के आढ़ती निखिल अग्रवाल ने बताया कि मंडी में हरी मटर लगभग 120 रुपए पसेरी में बिक रही है. पिछले साल की तुलना में इस साल 50% मटर ही मंडी में पहुंच रही है. उन्होंने बताया कि इस साल कम बारिश होने की वजह से मटर की पैदावार प्रभावित हुई है, जबकि वर्तमान समय में दिल्ली की कई मंडियों में यहां की हरी मटर की डिमांड आती है. अगर मटर की अच्छी पैदावार होती तो यही डिमांड महाराष्ट्र तक होती. फिलहाल इस साल मटर पैदावार प्रभावित होने से इस बार आढ़तियों को कम मुनाफा होगा.

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