मसूरीः पहाड़ों की रानी मसूरी के होटल व्यवसायियों की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. एनजीटी की ओर से मसूरी झील के पानी के व्यावसायिक इस्तेमाल पर रोक के बाद अब उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी नोटिस देना शुरू कर दिया है. अभी तक पीसीबी ने मसूरी के 322 होटल संचालकों को नोटिस थमा दिया है. नोटिस में होटलों के कमरे, पानी के स्रोत और खपत आदि की जानकारी मांगी है. इसके बाद ये तय किया जाएगा कि पानी की उपलब्धता के अनुसार होटल स्वामी कितने कमरों का संचालन कर सकता है. वहीं, एनजीटी के निर्देशों के खिलाफ मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनी दी है.
एनजीटी के आदेश ने उड़ाई नींदः दरअसल, बीते दिनों एनजीटी यानी नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कार्तिक शर्मा बनाम उत्तराखंड सरकार की याचिका पर सुनवाई की थी. जिसमें एनजीटी ने एक आदेश दिया था. आदेश में कहा गया कि मसूरी का धोबी घाट वाटर स्प्रिंग एक प्राकृतिक जल स्रोत है. ऐसे में इस पानी का बिल्कुल भी व्यवसायीकरण नहीं किया जा सकता है. अगर इस पानी का व्यवसायीकरण किया गया तो झील और जलीय जीवों पर संकट मंडरा सकता है. इस आदेश के बाद होटल संचालकों की नींद उड़ी हुई है.
पानी की उपलब्धता के अनुसार तय होगा कमरों का संचालनः वहीं, एनजीटी के आदेश के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी तत्काल कार्रवाई करते हुए होटल संचालकों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है. पीसीबी के अनुसार, एनजीटी के आदेश में बोर्ड और जिलाधिकारी को भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं. जिसके तहत प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पता करना है कि जल संस्थान की ओर से कितना पानी होटलों में उपलब्ध कराया जा रहा है? जिसके अनुसार होटल संचालकों के लिए लिमिट तय की जाएगी कि वो कितने कमरों का संचालन कर सकते हैं.
पानी की कमी से जूझता है मसूरीः मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि एनजीटी के आदेश के बाद मसूरी में पेयजल की भारी किल्लत होने जा रही है. यहां पहले से ही पानी की काफी कमी है. इस झील से मसूरी की करीब 50 प्रतिशत आबादी को पानी की आपूर्ति को पूरा किया जाता था. ऐसे में मसूरी झील से टैंकरों के माध्यम से पानी सप्लाई पर रोक लगने के बाद लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा.
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एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की चेतावनीः रजत अग्रवाल ने एनजीटी और जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि जब तक मसूरी यमुना पेयजल योजना पूरी तरीके से शुरू नहीं हो जाती, तब तक मसूरी झील से टैंकरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति करने की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा कि वो एनजीटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे.
मसूरी होटल एसोसिएशन ने किया ये आग्रहः मसूरी होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि एनजीटी के फैसले के बाद होटल व्यवसायियों की चिंता बढ़ गई है. मसूरी में पेयजल संकट होने पर इसी झील से ही पानी की आपूर्ति की जाती है. उन्होंने राज्य सरकार से पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है. साथ ही एनजीटीसी से मसूरी के होटलों में पेयजल आपूर्ति को टैंकरों के माध्यम से किए जाने का आग्रह किया है.
पीसीबी से नोटिस नहीं मिलने की कही बातः उन्होंने कहा कि जब तक मसूरी यमुना पेयजल योजना पूरी तरह से शुरू नहीं हो जाती, तब तक उन्हें पूर्व की भांति मसूरी झील से पेयजल आपूर्ति करने दी जाए. उनका कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अभी तक किसी भी होटल को कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है. नोटिस मिलने के बाद वो विधिक राय लेंगे. साथ ही मामले में मीटिंग बुलाकर आगे की रणनीति बनाएंगे.