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उत्तराखंड में डेंगू के कहर से मरीज बेहाल, दून मेडिकल कॉलेज में दो दिन बाद मिल रही रिपोर्ट, कैसे होगा इलाज?

dengue test report उत्तराखंड इन दिनों डेंगू से बेहाल हो रखा है. एक तरफ डेंगू की जांच के नाम पर प्राइवेट लैबों ने लूट मचा रखी है, तो वहीं सरकारी हॉस्पिटलों में डेंगू की टेस्ट रिपोर्ट के लिए मरीजों को दो दिन का इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में मरीजों की सही प्लेटलेट्स की जानकारी डॉक्टर को नहीं मिल पा रही है. इसका खामियाजा कहीं न कहीं मरीज को ही भुगतना पड़ रहा है. dehradun news

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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 14, 2023, 11:55 AM IST

देहरादून: उत्तराखंड में डेंगू ने खतरनाक रूप ले लिया है. सबसे ज्यादा बुरा हाल राजधानी देहरादून का है. आलम यह है कि उत्तराखंड के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के सैंपल कलेक्शन सेंटर में एलाइजा जांच के लिए मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. खून की जांच की रिपोर्ट भी मरीजों को दो दिन के बाद विलंब से मिल रही हैं.

देहरादून में डेंगू ने 2019 जैसी स्थिति पैदा कर दी है. इस बार डेंगू ने राजधानी देहरादून में कहर बरपाया है. ऐसा कोई मोहल्ला नहीं है, जहां पर डेंगू के मरीज नहीं मिल रहे हों. ऐसे में दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के सैंपल कलेक्शन सेंटर में प्रदेश भर के आए मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. इनमें से अधिकांश मरीज डेंगू के लक्षणों वाले हैं, जिन्हें जांच रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ रहा है.
पढ़ें- उत्तराखंड में डेंगू का कहर, अस्पतालों के बाहर लगी मरीजों की लंबी लाइनें

जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने पर यह नहीं पता चल पा रहा है कि मरीज के प्लेटलेट्स की वर्तमान स्थिति क्या है. इससे दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई है. संबंधित चिकित्सक भी मरीज के ब्लड जांच की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल दून अस्पताल की पुरानी इमारत में संचालित किये जा रहे कलेक्शन सेंटर में डेंगू की जांच को लेकर मरीजों और उनके तीमारदारों की लंबी लाइन लग रही है.

मरीज और उनके तीमारदारों को घंटों अपनी रिपोर्ट के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. सिंगल विंडो सिस्टम के चलते मरीजों और उनके परिजनों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक से आई वंदना राणा के पति केदार सिंह उम्र 38 वर्ष को नौगांव सीएचसी से तबीयत खराब होने पर देहरादून रेफर किया गया. दून अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि उनके पति को डेंगू है. उनके पति दून अस्पताल में एडमिट हैं, लेकिन अपने पति की ब्लड रिपोर्ट के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा.
पढ़ें- उत्तराखंड की राजधानी बनी डेंगू का हॉटस्पॉट, तेजी से बढ़ रहा है संक्रमित मरीजों का आंकड़ा!

इसी प्रकार निरंजनपुर ब्रह्मपुरी के रहने वाले हृदयेश राठौर को भी अपनी बेटी की रिपोर्ट के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. उनकी 18 वर्षीय बेटी तनीषा डेंगू से पीड़ित है और अस्पताल में भर्ती है. इधर दून अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि अस्पताल में अमूमन डॉक्टरों की ओर से प्रत्येक मरीज को चार से पांच टेस्ट लिखे जाते हैं. ऐसे में विभिन्न प्रकार की जांचों की संख्या 1 दिन में 7 से 8 हजार तक पहुंच जाती है.

उन्होंने कहा कि बहुत सारे मरीजों के लिए जांचें लिखी जाती हैं. हालांकि अस्पताल में डेंगू की जांच के लिए निशुल्क सुविधा उपलब्ध है. ऐसी परिस्थितियों में जहां अस्पताल में पहले 2 से 3 हजार टेस्ट हुआ करते थे तो वहीं अब यह संख्या बढ़कर 7 से 8 हजार तक पहुंच गई है.

ऐसी स्थिति में अब मरीजों को अपनी जांच रिपोर्ट का लंबा इंतजार नहीं करना पड़े, उसके लिए कोविड के समय के फ्लू ओपीडी कंटेनर पर मरीजों की रिपोर्ट का सिस्टम अपनाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मरीजों की सुविधा के लिए ब्लड कलेक्शन सेंटर ओपीडी के एक और फ्लोर पर उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि मरीजों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े.
पढ़ें- डेंगू का खौफ दिखाकर लूट रहे दून के निजी अस्पताल! एक ही मरीज की सरकारी और प्राइवेट लैब की रिपोर्ट में अंतर

हालांकि उन्होंने माना कि अस्पताल में मैनपावर की कमी बनी हुई है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अस्पताल में मेडिकल स्टाफ की कमी पूरी होने पर मरीजों को और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी.

देहरादून: उत्तराखंड में डेंगू ने खतरनाक रूप ले लिया है. सबसे ज्यादा बुरा हाल राजधानी देहरादून का है. आलम यह है कि उत्तराखंड के सबसे बड़े राजकीय दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के सैंपल कलेक्शन सेंटर में एलाइजा जांच के लिए मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. खून की जांच की रिपोर्ट भी मरीजों को दो दिन के बाद विलंब से मिल रही हैं.

देहरादून में डेंगू ने 2019 जैसी स्थिति पैदा कर दी है. इस बार डेंगू ने राजधानी देहरादून में कहर बरपाया है. ऐसा कोई मोहल्ला नहीं है, जहां पर डेंगू के मरीज नहीं मिल रहे हों. ऐसे में दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के सैंपल कलेक्शन सेंटर में प्रदेश भर के आए मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं. इनमें से अधिकांश मरीज डेंगू के लक्षणों वाले हैं, जिन्हें जांच रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ रहा है.
पढ़ें- उत्तराखंड में डेंगू का कहर, अस्पतालों के बाहर लगी मरीजों की लंबी लाइनें

जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिलने पर यह नहीं पता चल पा रहा है कि मरीज के प्लेटलेट्स की वर्तमान स्थिति क्या है. इससे दुविधा की स्थिति उत्पन्न हो गई है. संबंधित चिकित्सक भी मरीज के ब्लड जांच की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. दरअसल दून अस्पताल की पुरानी इमारत में संचालित किये जा रहे कलेक्शन सेंटर में डेंगू की जांच को लेकर मरीजों और उनके तीमारदारों की लंबी लाइन लग रही है.

मरीज और उनके तीमारदारों को घंटों अपनी रिपोर्ट के लिए इंतजार करना पड़ रहा है. सिंगल विंडो सिस्टम के चलते मरीजों और उनके परिजनों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक से आई वंदना राणा के पति केदार सिंह उम्र 38 वर्ष को नौगांव सीएचसी से तबीयत खराब होने पर देहरादून रेफर किया गया. दून अस्पताल पहुंचने पर पता चला कि उनके पति को डेंगू है. उनके पति दून अस्पताल में एडमिट हैं, लेकिन अपने पति की ब्लड रिपोर्ट के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ा.
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इसी प्रकार निरंजनपुर ब्रह्मपुरी के रहने वाले हृदयेश राठौर को भी अपनी बेटी की रिपोर्ट के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. उनकी 18 वर्षीय बेटी तनीषा डेंगू से पीड़ित है और अस्पताल में भर्ती है. इधर दून अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर अनुराग अग्रवाल का कहना है कि अस्पताल में अमूमन डॉक्टरों की ओर से प्रत्येक मरीज को चार से पांच टेस्ट लिखे जाते हैं. ऐसे में विभिन्न प्रकार की जांचों की संख्या 1 दिन में 7 से 8 हजार तक पहुंच जाती है.

उन्होंने कहा कि बहुत सारे मरीजों के लिए जांचें लिखी जाती हैं. हालांकि अस्पताल में डेंगू की जांच के लिए निशुल्क सुविधा उपलब्ध है. ऐसी परिस्थितियों में जहां अस्पताल में पहले 2 से 3 हजार टेस्ट हुआ करते थे तो वहीं अब यह संख्या बढ़कर 7 से 8 हजार तक पहुंच गई है.

ऐसी स्थिति में अब मरीजों को अपनी जांच रिपोर्ट का लंबा इंतजार नहीं करना पड़े, उसके लिए कोविड के समय के फ्लू ओपीडी कंटेनर पर मरीजों की रिपोर्ट का सिस्टम अपनाने जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि मरीजों की सुविधा के लिए ब्लड कलेक्शन सेंटर ओपीडी के एक और फ्लोर पर उपलब्ध कराने की कोशिश की जा रही है, ताकि मरीजों को असुविधा का सामना नहीं करना पड़े.
पढ़ें- डेंगू का खौफ दिखाकर लूट रहे दून के निजी अस्पताल! एक ही मरीज की सरकारी और प्राइवेट लैब की रिपोर्ट में अंतर

हालांकि उन्होंने माना कि अस्पताल में मैनपावर की कमी बनी हुई है. उन्होंने उम्मीद जताई कि अस्पताल में मेडिकल स्टाफ की कमी पूरी होने पर मरीजों को और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी.

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