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2 हजार की रिश्वत लेना पड़ा महंगा, चार साल की कैद सहित 25 हजार का जुर्माना

पासपोर्ट ऑफिस की कैंटीन में काम करने वाले एक व्यक्ति जीशान को विशेष न्यायाधीश सीबीआई सुजाता सिंह की अदालत ने चार साल की कैद और 25 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है.

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Published : Oct 17, 2019, 5:31 PM IST

2 हजार की रिश्वत लेना पड़ा महंगा.

देहरादून: पासपोर्ट ऑफिस की कैंटीन में काम करने वाले एक व्यक्ति जीशान को 2 हजार की रिश्वत लेना महंगा पड़ गया. रिश्वत लेने के आरोप में विशेष न्यायाधीश सीबीआई सुजाता सिंह की अदालत ने उसे चार साल की कैद और 25 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है. वहीं, अर्थदंड न देने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी. सीबीआई ने ट्रायल के दौरान 19 गवाह पेश किए. जबकि, बचाव पक्ष से केवल एक ही गवाह आया.

सीबीआई के अधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि आवेदक ने साल 2013 में पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. इसी दौरान आवेदक की मुलाकात एरोमा कैंटीन में काम करने वाले जीशान से हुई. जीशान नई बस्ती, कावली रोड का रहने वाला है. उसने आवेदक को वर्किंग फेसिलिटी दिलाते हुए जल्दी पासपोर्ट बनवा की बात कही और इसी एवज उससे 2 हजार रुपए की रिश्वत मांगी. जिसपर आवेदक को लगा कि कैंटीन कर्मी कैसे उसकी पासपोर्ट बनवाने में मदद कर सकता है, जिसके बाद आवेदक ने सीबीआई में शिकायत की और 28 जून 2013 को सीबीआई की टीम ने आरोपी जीशान को दो हजार की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया.

सीबीआई के अनुसार जीशान ने यह रकम तत्कालीन एक पासपोर्ट अधिकारी के नाम से मांगी थी. सीबीआई ने ट्रैप के बाद हुई विवेचना में इस बात की भी जांच की कि जीशान ने जिस अधिकारी के नाम पर रिश्वत मांगी थी उसकी इस मामले में में क्या भूमिका थी.

देहरादून: पासपोर्ट ऑफिस की कैंटीन में काम करने वाले एक व्यक्ति जीशान को 2 हजार की रिश्वत लेना महंगा पड़ गया. रिश्वत लेने के आरोप में विशेष न्यायाधीश सीबीआई सुजाता सिंह की अदालत ने उसे चार साल की कैद और 25 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है. वहीं, अर्थदंड न देने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी. सीबीआई ने ट्रायल के दौरान 19 गवाह पेश किए. जबकि, बचाव पक्ष से केवल एक ही गवाह आया.

सीबीआई के अधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि आवेदक ने साल 2013 में पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. इसी दौरान आवेदक की मुलाकात एरोमा कैंटीन में काम करने वाले जीशान से हुई. जीशान नई बस्ती, कावली रोड का रहने वाला है. उसने आवेदक को वर्किंग फेसिलिटी दिलाते हुए जल्दी पासपोर्ट बनवा की बात कही और इसी एवज उससे 2 हजार रुपए की रिश्वत मांगी. जिसपर आवेदक को लगा कि कैंटीन कर्मी कैसे उसकी पासपोर्ट बनवाने में मदद कर सकता है, जिसके बाद आवेदक ने सीबीआई में शिकायत की और 28 जून 2013 को सीबीआई की टीम ने आरोपी जीशान को दो हजार की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया.

सीबीआई के अनुसार जीशान ने यह रकम तत्कालीन एक पासपोर्ट अधिकारी के नाम से मांगी थी. सीबीआई ने ट्रैप के बाद हुई विवेचना में इस बात की भी जांच की कि जीशान ने जिस अधिकारी के नाम पर रिश्वत मांगी थी उसकी इस मामले में में क्या भूमिका थी.

Intro:पासपोर्ट आफिस में स्थित कैंटीन में काम वाले जीशान ने पासपोर्ट बनाने के एवज में 2 हज़ार की रिश्वत लेने के आरोप में जीशान को विशेष न्यायाधीश सीबीआई सुजाता सिंह की अदालत ने चार साल कैद ओर 25 हज़ार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।अर्थदंड न देने पर छह महीने की अतिरिक्त सज़ा भुगतनी होगी।सीबीआई ने ट्रायल के दौरान 19 गवाह पेश किए,जबकि बचाव पक्ष से केवल एक गवाह ही आया।


Body:सीबीआई के अधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने अदालत को बताया कि आवेदक ने साल 2013 में पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था।ओर पासपोर्ट कार्यालय में ही आवेदक की मुलाकात एरोमा कैंटीन में काम करने वाले जीशान निवासी नई बस्ती,कावली रोड से हुई।जीशान ने आवेदक को कहा कि वर्किंग फैसिलिटी दिलाते हुए जल्दी पासपोर्ट बनवा देगा ओर इसके एवज में जीशान ने आवेदक से 2 हज़ार रुपए की रिश्वत मांगी।वही आवेदक को लगा कि एक कैंटीन कर्मी कैसे उनकी पासपोर्ट बनवाने में मदद कर सकता है शक होने पर आवेदक ने सीबीआई में शिकायत की इसके बाद 28 जून 2013 को सीबीआई की टीम ने किसान को दो हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया।


Conclusion:साथ ही बताया कि सीबीआई के अनुसार जीशान ने यह रकम तत्कालीन एक पासपोर्ट अधिकारी के नाम से मांगी थी।और सीबीआई ने ट्रैप के बाद हुई विवेचना में इस बात की भी जांच की गई थी कि जिसान ने जिस अधिकारी के नाम पर रिश्वत मांगी थी उनकी प्रकरण में क्या भूमिका थी।साथ ही सुनवाई के दौरान कैंटीन संचालक शरद कौशिक भी अपने बयान से मुकर गया था।
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