देहरादून: पासपोर्ट ऑफिस की कैंटीन में काम करने वाले एक व्यक्ति जीशान को 2 हजार की रिश्वत लेना महंगा पड़ गया. रिश्वत लेने के आरोप में विशेष न्यायाधीश सीबीआई सुजाता सिंह की अदालत ने उसे चार साल की कैद और 25 हजार रूपये जुर्माने की सजा सुनाई है. वहीं, अर्थदंड न देने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा भी भुगतनी होगी. सीबीआई ने ट्रायल के दौरान 19 गवाह पेश किए. जबकि, बचाव पक्ष से केवल एक ही गवाह आया.
सीबीआई के अधिवक्ता अभिषेक अरोड़ा ने कोर्ट को बताया कि आवेदक ने साल 2013 में पासपोर्ट के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था. इसी दौरान आवेदक की मुलाकात एरोमा कैंटीन में काम करने वाले जीशान से हुई. जीशान नई बस्ती, कावली रोड का रहने वाला है. उसने आवेदक को वर्किंग फेसिलिटी दिलाते हुए जल्दी पासपोर्ट बनवा की बात कही और इसी एवज उससे 2 हजार रुपए की रिश्वत मांगी. जिसपर आवेदक को लगा कि कैंटीन कर्मी कैसे उसकी पासपोर्ट बनवाने में मदद कर सकता है, जिसके बाद आवेदक ने सीबीआई में शिकायत की और 28 जून 2013 को सीबीआई की टीम ने आरोपी जीशान को दो हजार की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया.
सीबीआई के अनुसार जीशान ने यह रकम तत्कालीन एक पासपोर्ट अधिकारी के नाम से मांगी थी. सीबीआई ने ट्रैप के बाद हुई विवेचना में इस बात की भी जांच की कि जीशान ने जिस अधिकारी के नाम पर रिश्वत मांगी थी उसकी इस मामले में में क्या भूमिका थी.