देहरादून: महाकाली नदी पर प्रस्तावित पंचेश्वर बांध भारत और नेपाल ने लिए काफी अहम है. जिसको बनाने की कवायद लंबे समय से चल रही है. वहीं भारत- नेपाल सीमा पर बनने वाली बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना पर जल्द ही दोनों देशों के बीच सहमति बन सकती है. जानकारी के अनुसार आगामी 15 जनवरी को दिल्ली में पंचेश्वर बांध को लेकर दोनों देशों के बीच अहम बैठक होने जा रही है. इस बैठक में बांध की डीपीआर पर चर्चा होगी.
बता दें कि बहुउद्देशीय पंचेश्वर बांध परियोजना बीते कई वर्षों से चर्चाओं की धुरी बनी रही है. पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना के लिए भारत और नेपाल में डूब क्षेत्र में आने वाले गांव कस्बों और अन्य सार्वजनिक स्थलों का चिन्हित किया जा चुका है. जिसके बाद केंद्र सरकार के निर्देश पर वासकोप कंपनी ने इसकी डीपीआर तैयार कर ली है.
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गौर हो कि भारत- नेपाल सीमा पर बनने वाला पंचेश्वर बांध 309 मीटर ऊंचा है. इससे 4800 मेगावाट बिजली पैदा होगी. हालांकि परियोजना से पैदा होने वाली बिजली को लेकर फिलहाल कोई समझौता नहीं हो पाया है.
वहीं पंचेश्वर बांध के बनने से भारत के 3 जिलों के 112 गांव डूब क्षेत्र में आएंगे. जिसमें पिथौरागढ़ के सत्तासीन चंपावत के 23 और अल्मोड़ा के 12 गांव शामिल है.
पंचेश्वर बांध बनाने की पंडित नेहरू ने की थी चर्चा
पंचेश्वर बांध भारत-नेपाल सीमा पर बहने वाली काली नदी पर प्रस्तावित है, जिसमें लोग प्रभावित होंगे. भारत और नेपाल के बीच एकीकृत महाकाली संधि में 6000 मेगावॉट से अधिक जल विद्युत पैदा करने के लिए पंचेश्वर बहुद्देश्यीय परियोजना निर्माण की परिकल्पना की गई है. साल 1954 में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पंचेश्वर बांध बनाए जाने की चर्चा की थी.
तब से बांध पर चर्चा होती रही है. बांध काली नदी और भारत की शारदा नदी पर बनेगा. पंचेश्वर बहुउद्देश्य परियोजना को अंतिम रूप देने के लिए अगस्त 2014 को भारत और नेपाल सरकार द्वारा संयुक्त रूप से प्राधिकरण का गठन किया गया. वहीं ये बांध परियोजना भारत और नेपाल दोनों देशों के लिए काफी अहम हैं.