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पाइंता पर्वः दो कन्याओं के श्राप के बाद यहां लोग गागली के डंठल से करते हैं युद्ध, ये है परंपरा - painta festival

जनजातीय क्षेत्र जौनसार बाबर के उदपाल्टा और कुरौली गांव में ग्रामीणों ने पाइंता पर्व को बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया. इस दौरान दोनों गांव के लोग घास की बनी रानी और मुनि की प्रतिमाओं को लेकर पंचायती आंगन में एकत्र हुए. जिसके बाद ढोल-दमाऊं की थाप और गाजे बाजे के साथ नृत्य किया. साथ ही गांव से कुछ दूरी पर दोनों कन्याओं की प्रतिमाएं विसर्जित की.

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Published : Oct 8, 2019, 6:09 PM IST

Updated : Oct 8, 2019, 9:24 PM IST

विकासनगरः उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कोने-कोने में देवी-देवताओं का वास है. यहां पर विराजमान आस्था के केंद्र, संस्कृति, लोक पर्व और परंपराएं इस पावन धरा को अलग पहचान दिलाते हैं. इसी कड़ी में जौनसार बावर के पाइंता पर्व भी शामिल है, जो अपने आप में बेहद अनूठा होता है. यहां पर उदपाल्टा और कुरौली दो गांव के लोग कई सालों से गागली युद्ध की परंपरा निभा कर पाइंता पर्व मना रहे हैं. यह पर्व दो कन्याओं के श्राप के पश्चाताप में मनाया जाता है. मान्यता है कि पाइंता पर्व पर दोनों परिवार में एक ही दिन दो कन्याओं का जन्म होगा तो उसी दिन से सदियों से चली आ रही यह परंपरा भी समाप्त होगी.

पाइंता पर्व की धूम.

जनजातीय क्षेत्र जौनसार बाबर के उदपाल्टा और कुरौली गांव में ग्रामीणों ने पाइंता पर्व को बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया. इस दौरान दोनों गांव के लोग घास की बनी रानी और मुनि की प्रतिमाओं को लेकर पंचायती आंगन में एकत्र हुए. जिसके बाद ढोल-दमाऊं की थाप और गाजे बाजे के साथ नृत्य किया. साथ ही गांव से कुछ दूरी पर दोनों कन्याओं की प्रतिमाएं विसर्जित की.

ये भी पढ़ेंः तीन माह सोने के बाद इस दिन भू-लोक में आते हैं भगवान परशुराम, हरते हैं सबके कष्ट

वहीं, क्याणी नामक स्थान पर दोनों गांव के लोगों ने एक-दूसरे पर गागली के दलों (अरबी के डंठलों) से ढोल दमाऊं की थाप पर वार किए. जहां पर हंसी-खुशी के साथ दोनों गांव के लोगों ने यह परंपरा बखूबी निभाई. इस युद्ध में ना किसी की हार होती है, ना किसी की जीत. गागली युद्ध के बाद सभी ग्रामीणों ने एक-दूसरे के गले लगकर पाइतां पर्व की बधाई दी. उधर, महिला, पुरुष और बच्चों ने पंचायती आंगन में एकत्र होकर पारंपरिक नृत्य हारूल, तांदी नृत्य कर पाइतां पर्व मनाया.

gagli war between villagers
पाइंता पर्व हारूल और तांदी नृत्य करते लोग.

ये है मान्यता

मान्यता है कि करीब 400 साल पहले उदपाल्टा गांव की दो परिवारों की रानी और मुनि नाम की दो कन्याएं थी. गांव में पानी की सुविधा ना होने के कारण लोग कुएं से पानी भरा करते थे. जहां पर दोनों कन्याएं कुएं में पानी भरने गई. जिसमें एक कन्या रानी पानी भरते समय पैर फिसलने से कुएं में गिर गई और डूब गई. जिससे उसकी मौत हो गई.

उधर, दूसरी कन्या मुनि ने गांव पहुंचकर लोगों को रानी के कुएं में डूबने की बात बताई. जिसपर ग्रामीणों ने उसे खूब डांट फटकार लगाई. जिससे सुनकर मुनि क्षुब्ध हो गई. इतना ही नहीं उसने भी उसी कुएं में जाकर छलांग लगा दी और अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी.

ये भी पढ़ेंः 'कलयुगी रावण' की नई चाल, अब राम को नहीं, पर्यावरण को पहुंचा रहा नुकसान

इस घटना के बाद दोनों गांव के ग्रामीण घास के पुतले बनाकर अष्टमी के दिन पूजा-अर्चना करते हैं. विजयदशमी (दशहरा) के दिन गाजे-बाजे के साथ सभी ग्रामीण हाथ में दोनों लड़कियों की घास से बनी प्रतिमाएं लेकर विसर्जित भी करते हैं.

ऐसी भी मान्यता है कि दोनों परिवारों में आपस में झगड़ा हुआ होगा. साथ ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे होंगे. जिसके बाद यह परंपरा आज भी गागली के डंठलों से युद्धकर निभाई जाती है. इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए यह परंपरा तब समाप्त होगी, जब पाइतां पर्व पर दोनों परिवारों के घर में अलग-अलग दो कन्या जन्म लेगी.

विकासनगरः उत्तराखंड को यूं ही देवभूमि नहीं कहा जाता है, यहां कोने-कोने में देवी-देवताओं का वास है. यहां पर विराजमान आस्था के केंद्र, संस्कृति, लोक पर्व और परंपराएं इस पावन धरा को अलग पहचान दिलाते हैं. इसी कड़ी में जौनसार बावर के पाइंता पर्व भी शामिल है, जो अपने आप में बेहद अनूठा होता है. यहां पर उदपाल्टा और कुरौली दो गांव के लोग कई सालों से गागली युद्ध की परंपरा निभा कर पाइंता पर्व मना रहे हैं. यह पर्व दो कन्याओं के श्राप के पश्चाताप में मनाया जाता है. मान्यता है कि पाइंता पर्व पर दोनों परिवार में एक ही दिन दो कन्याओं का जन्म होगा तो उसी दिन से सदियों से चली आ रही यह परंपरा भी समाप्त होगी.

पाइंता पर्व की धूम.

जनजातीय क्षेत्र जौनसार बाबर के उदपाल्टा और कुरौली गांव में ग्रामीणों ने पाइंता पर्व को बडे़ हर्षोल्लास के साथ मनाया. इस दौरान दोनों गांव के लोग घास की बनी रानी और मुनि की प्रतिमाओं को लेकर पंचायती आंगन में एकत्र हुए. जिसके बाद ढोल-दमाऊं की थाप और गाजे बाजे के साथ नृत्य किया. साथ ही गांव से कुछ दूरी पर दोनों कन्याओं की प्रतिमाएं विसर्जित की.

ये भी पढ़ेंः तीन माह सोने के बाद इस दिन भू-लोक में आते हैं भगवान परशुराम, हरते हैं सबके कष्ट

वहीं, क्याणी नामक स्थान पर दोनों गांव के लोगों ने एक-दूसरे पर गागली के दलों (अरबी के डंठलों) से ढोल दमाऊं की थाप पर वार किए. जहां पर हंसी-खुशी के साथ दोनों गांव के लोगों ने यह परंपरा बखूबी निभाई. इस युद्ध में ना किसी की हार होती है, ना किसी की जीत. गागली युद्ध के बाद सभी ग्रामीणों ने एक-दूसरे के गले लगकर पाइतां पर्व की बधाई दी. उधर, महिला, पुरुष और बच्चों ने पंचायती आंगन में एकत्र होकर पारंपरिक नृत्य हारूल, तांदी नृत्य कर पाइतां पर्व मनाया.

gagli war between villagers
पाइंता पर्व हारूल और तांदी नृत्य करते लोग.

ये है मान्यता

मान्यता है कि करीब 400 साल पहले उदपाल्टा गांव की दो परिवारों की रानी और मुनि नाम की दो कन्याएं थी. गांव में पानी की सुविधा ना होने के कारण लोग कुएं से पानी भरा करते थे. जहां पर दोनों कन्याएं कुएं में पानी भरने गई. जिसमें एक कन्या रानी पानी भरते समय पैर फिसलने से कुएं में गिर गई और डूब गई. जिससे उसकी मौत हो गई.

उधर, दूसरी कन्या मुनि ने गांव पहुंचकर लोगों को रानी के कुएं में डूबने की बात बताई. जिसपर ग्रामीणों ने उसे खूब डांट फटकार लगाई. जिससे सुनकर मुनि क्षुब्ध हो गई. इतना ही नहीं उसने भी उसी कुएं में जाकर छलांग लगा दी और अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी.

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इस घटना के बाद दोनों गांव के ग्रामीण घास के पुतले बनाकर अष्टमी के दिन पूजा-अर्चना करते हैं. विजयदशमी (दशहरा) के दिन गाजे-बाजे के साथ सभी ग्रामीण हाथ में दोनों लड़कियों की घास से बनी प्रतिमाएं लेकर विसर्जित भी करते हैं.

ऐसी भी मान्यता है कि दोनों परिवारों में आपस में झगड़ा हुआ होगा. साथ ही एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे होंगे. जिसके बाद यह परंपरा आज भी गागली के डंठलों से युद्धकर निभाई जाती है. इस श्राप से मुक्ति पाने के लिए यह परंपरा तब समाप्त होगी, जब पाइतां पर्व पर दोनों परिवारों के घर में अलग-अलग दो कन्या जन्म लेगी.

Intro:विकासनगर देवभूमि उत्तराखंड जौनसार बावर के गांव उदपाल्टा व कुरौली दो गांव के लोग वर्षों से चली आ रही दो कन्याओं के श्राप से पश्चाताप मे पाइतां पर्व को गागली युद्ध कर निभा रहै पंरम्परा मान्यता है की पाइतां पर्व पर दोनों परिवारों मे एक ही दिन अगर दो कन्याओं का जन्म होगा उसी दिन से सदियों से चली आ रही यह परम्परा समाप्त होगी.


Body:जौनसार बाबर के उदपाल्टा व कुरौली गांव के ग्रामीणों द्वारा पाइतां पर्व बडे हर्षोल्लास के साथ मनया गया .दोनों गांव के ग्रामीणों ने ढोल दमाऊ की थाप पर घास की बनी रानी में मुनि की प्रतिमाओं को लेकर पंचायती आंगन में एकत्र हुए वह का जे बाजे के साथ नृत्य कर गांव से कुछ दूरी पर दोनों कन्याओं की प्रतिमाएं विसर्जित की उसके बाद क्याणी नामक स्थान पर दोनों गांव के लोगों ने एक दूसरे पर गागली के दलों से ढोल दमोह की थाप पर वार करने शुरू किए हंसी खुशी से दोनों गांव के लोगों ने यह परंपरा बखूबी निभाई इस युद्ध में ना किसी की हार होती है ना किसी की जीत गागली युद्ध के बाद सभी ग्रामीण एक दूसरे के गले लग कर पाइतां पर्व की बधाई दी सभी लोग महिला पुरुष एवं बच्चे पंचायती आंगन में एकत्र होकर पारंपरिक नृत्य हारूल तांदी नृत्य कर पाइतां पर्व की एक दूसरे को बधाई दी


Conclusion:वही उदपाल्टा गांव के स्याणा राजेंद्र सिंह राय बताते हैं कि ऐसी मान्यता है की रानी वह मुनि दो बालिकाएं उदपाल्टा गांव की दो परिवारों की लड़कियां थी लगभग 400 वर्ष पूर्व गांव में पानी की सुविधा ना होने के कारण लोग कुएं से पानी भरा करते थे वही दो बालिकाएं कुएं में पानी भरने गई जिसमें की एक बालिका रानी कुएं में पानी भरते समय पैर फिसल कर डूब गई जिसकी मौत हो गई दूसरी लड़की मुनि जब गांव वालों को लौटकर उसने बताया कि रानी कुआं में डूब गई है तब ग्रामीणों ने उसे खूब डांटा डांट सुनकर क्षुब्ध हो गई और वह भी उसी कुएं में जाकर छलांग लगा दी और अपनी जीवन लीला समाप्त कर दी जिस कारण से दोनों परिवारों को घास के पुतले अष्टमी के दिन बना कर पूजा-अर्चना की जाती है एवं विजयदशमी के दिन गाजे-बाजे के साथ सभी ग्रामीण हाथ में दोनों लड़कियों की घास से बनी प्रतिमाएं लेकर विसर्जित करते हैं ऐसी मान्यता है कि दोनों परिवारों में आपस में झगड़ा हुआ होगा एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते रहे होंगे यह परंपरा आज भी गागली के डंठल ओ से युद्ध माध्यम से की जाती है श्राप से मुक्ति पाने के लिए यह परंपरा तब समाप्त होगी जब पाइतां पर्व पर दोनों परिवारों के घर में अलग-अलग दो कन्या जन्म लेगी.

बाइट_ राजेंद्र सिंह राय _स्याणा उदपाल्टा
Last Updated : Oct 8, 2019, 9:24 PM IST
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