देहरादून: पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त शिक्षक और पर्यावरणविद और मैती आंदोलन के प्रणेता कल्याण सिंह रावत ने जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है.
कल्याण सिंह रावत चमोली में ग्लेशियर टूटने की घटना पर कहा कि नंदा देवी नेशनल पार्क से होकर आती ऋषि गंगा में एक बांध बन रहा था, जो सैनी गांव के नजदीक है. यह वही गांव है जहां से चिपको आंदोलन शुरू हुआ था. वहां एक एवलांच आने के बाद बाढ़ की स्थिति हो गई है. इससे जानमाल के नुकसान की भी सूचना है. यदि इस बाढ़ को नियंत्रित नहीं किया गया, तो ऋषिकेश हरिद्वार में कुंभ मेले को लेकर चल रही तैयारियों पर मुसीबत पैदा हो सकती है.
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उन्होंने कहा कि कई लोगों ने अपने मकान नदी के किनारे बना लिए हैं. ऐसे में उनके लिए काफी खतरा पैदा हो सकता है. पूर्व में हिमालय के केदारनाथ में ग्लेशियर टूटने से आपदा जैसी ही घटना की पुनरावृति दोबारा देखने को मिल रही है. उन्होंने चेताया कि हिमालय में बर्फ के अथाह भंडार मौजूद हैं. ऐसे में वहां मौजूद ग्लेशियरों का पानी तालाबों में तब्दील होता है. इसका एक ही कारण है और वह है ग्लोबल वार्मिंग. यदि ग्लोबल वार्मिंग ऐसे ही बढ़ती रहेगी तो तालाब बनने की तस्दीक कई वैज्ञानिक दे चुके हैं. इसलिए यह तालाब हिमालय के लिए खतरनाक सिद्ध हो सकते हैं.