देहरादूनः बीती 31 मार्च को सरकारी अस्पतालों से हटाए गए करीब 2200 आउटसोर्स कर्मचारियों की बहाली पर पेंच फंस गया है. क्योंकि, सरकार ने प्रदेश के मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों में रिक्त पदों पर इन्हें दोबारा रखने के आदेश जारी तो कर दिए हैं, लेकिन दोबारा ज्वॉइन करने के लिए इनसे 40 हजार रुपए सिक्योरिटी मांगी जा रही है. जिसे लेकर कर्मचारियों में रोष है. आज भी आउटसोर्स कर्मचारियों ने दून अस्पताल परिसर में जमकर नारेबाजी की. कर्मचारियों का कहना है कि सिक्योरिटी के नाम पर उनका शोषण किया जा रहा है.
बता दें कि कोरोनाकाल में रखे गए इन कर्मचारियों की 31 मार्च को सेवाएं समाप्त कर दी गई थी. तब से उन्होंने 2 महीने तक आंदोलन किया. अब सूबे के स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत के निर्देश पर राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में रिक्त पदों पर इन्हें रखने के आदेश दिए गए हैं. इसके बाद आउटसोर्सिंग एजेंसी की ओर से इन्हें वेतन और शर्तों के बारे में भी बताया जा रहा है.
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इसके तहत नौकरी के लिए 40 हजार रुपए सिक्योरिटी जमा कराने को कहा जा रहा है. जिसे लेकर कर्मचारी काफी नाराज हैं. इसके विरोध में आज आउटसोर्स कर्मचारियों ने दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य का घेराव किया और अपनी मांगों को रखा. इस दौरान दून मेडिकल कॉलेज (Govt Doon Medical College) के प्राचार्य डॉ आशुतोष सयाना ने उन्हें समझाने का भी प्रयास किया, लेकिन प्रदर्शनकारी अपनी मांगों पर अड़े रहे.
प्रदर्शनकारी स्वास्थ्यकर्मी संजय कोरांग का कहना है कि उन्हें जब कोरोनाकाल में उपनल और पीआरडी के माध्यम से रखा गया था तो फिर अब तीसरी एजेंसी के माध्यम से उनकी नियुक्तियां की जा रही है. एजेंसी ने उनके सामने सिक्योरिटी की शर्त रख दी है. इससे कर्मचारियों में काफी नाराजगी है. उन्होंने कहा कि सभी कर्मचारियों की जॉइनिंग पीआरडी और उपनल के माध्यम से दोबारा कराई जाए.
कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए हायर की गई एजेंसी के अपने नियम कायदे हैं. ऐसे में हमें जो भी मैन पावर अस्पताल के लिए मिलेगी, उस मैन पावर को ट्रेंड करके उन्हें अपने काम के अनुरूप जिम्मेदारियां सौपेंगे. - डॉ. केसी पंत, मेडिकल सुपरिटेंडेंट, राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल