देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र (uttarakhand assembly winter session) की दूसरे दिन की कार्यवाही में बीजेपी में शामिल हुए नेताओं की सदस्यता का मुद्दा जोरशोर से उठाया गया. इस मामले को लेकर कांग्रेस सरकार पर हमलावर दिखाई दी. कांग्रेस विधायक काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने इस मामले को विधानसभा में उठाया. जिसके बाद नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने दल-बदल कानून का हवाला देते हुए इस पर सरकार से जवाब मांगा. साथ ही विधायकों की सदस्यता रद्द न होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
प्रीतम पंवार और राम सिंह कैड़ा पर हंगामा: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) से पहले दो निर्दलीय विधायकों राम सिंह कैड़ा और प्रीतम सिंह पंवार की विधायकी खतरे में नजर आ रही है. मामला दल बदल कानून का उल्लंघन करने से जुड़ा हुआ है. कांग्रेस ने इस मुद्दे को आज विधानसभा की कार्यवाही में जोरशोर से उठाया. कांग्रेस विधायक काजी मोहम्मद निजामुद्दीन ने भीमताल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा और धनौल्टी से विधायक प्रीतम पंवार के बीजेपी में शामिल होने के बाद सदस्यता पर सवाल उठाए.
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कांग्रेस ने पंवार और कैड़ा की सदस्यता पर उठाए सवाल: उन्होंने उत्तराखंड विधानसभा दल परिवर्तन के आधार पर नियमावली-2005 का हवाला देते हुए सवाल उठाए. साथ ही विधायकों की सदस्यता निरस्त करने की मांग की. उन्होंने कहा कि इसमें कोई लंबी गुंजाइश नहीं है. उन्होंने कहा कि विधानसभा का सत्र आहूत हुआ है जो सदस्य इस विधानसभा की सदस्यता की योग्यता नहीं रखते हैं और वो सदन की कार्यवाही में बैठकर हिस्सा ले रहे हैं, वो न्यायोचित नहीं है. साथ ही आने वाले वक्त के लिए उचित परंपरा भी नहीं है.
कांग्रेस ने कहा- ऐसे गलत परिपाटी चलने लगेगी: उन्होंने कहा कि ऐसा गठजोड़ आने वाले वक्त में भी हो सकता है, इससे सदन में गलत परिपाटी चल पड़ेगी जो आने वाले समय से लिए सही नहीं होगी. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में निर्णय लेने की मांग की. वहीं नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने दल-बदल कानून का हवाला देते हुए, इस पर सरकार से जवाब मांगा. साथ ही विधायकों की सदस्यता रद्द न होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया.
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BJP में शामिल हो चुके हैं निर्दलीय प्रीतम पंवार और राम सिंह कैड़ा: निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा और प्रीतम सिंह पंवार के बीजेपी में शामिल होने पर प्रदेश में सियासत गर्म है. धनौल्टी विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने 8 सितंबर, 2021 को दिल्ली में बीजेपी की वरिष्ठ नेता स्मृति ईरानी और अनिल बलूनी की मौजूदगी में भाजपा का दामन थामा था. उधर, भीमताल से निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने भी 8 अक्टूबर, 2021 को केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की मौजूदगी में दिल्ली में बीजेपी ज्वाइन की थी.
क्या है दल-बदल विरोधी कानून: चुनाव में जीत कर जाने वाले जनप्रतिनिधियों द्वारा दल-बदल पर लगाम लगाने के लिए संविधान के 91वें संशोधन के रूप में दल-बदल कानून लाया गया, जिसे शुरुआत में काफी लचीला रखा गया था. बाद में इसे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने और सख्त कर दिया. मौजूदा दल-बदल विरोधी कानून के तहत अगर सदन के सभी सदस्यों के एक तिहाई सदस्यों से कम व्यक्ति अगर अपना दल बदलते हैं, तो उन पर दल-बदल कानून लागू होता है. अगर दल बदलने वालों की संख्या एक तिहाई से ज्यादा होती है, तो उन पर यह कानून लागू नहीं होता है.
दल-बदल कानून के अनुसार संसद और विधानसभा के सदस्यों का एक पार्टी से दूसरी पार्टी में शामिल होना एक दंडनीय अपराध है और इस अपराध के बदले संसदीय या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता रद्द कर दी जाती है. यह भी जरूरी नहीं है कि सदन का वह सदस्य विपक्ष से सत्ता पक्ष में जाए या फिर सत्तापक्ष से विपक्ष में जाए बल्कि निर्दलीय सदस्य के भी किसी दल में जाने पर उसकी सदस्यता रद्द की जा सकती है.