देहरादून: उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव (uttarakhand assembly election 2022) नजदीक आते ही तबादला सूची जारी होने का सिलसिला तेज हो गया है. इस कड़ी में ताजा मामला मंत्रिमंडल के सबसे ताकतवर मंत्री मानें जाने वाले यतीश्वरानंद का है, जिनकी हाल ही में एक चिट्ठी वायरल हुई थी और अब आबकारी विभाग में तबादले की सूची आने के बाद वह चिट्ठी एक बार फिर सुर्खियों में हैं. वहीं मंत्री यतीश्वरानंद (Cabinet Minister Swami Yatiswarananda ) की चिट्ठी के कारण विरोधियों को इस मामले पर सवाल खड़े करने का मौका मिल गया है.
दरअसल, शराब से जुड़े विभाग के जिस अधिकारी को अपनी चिट्ठी के जरिए मंत्री यतीश्वरानंद अपने जिले में तैनाती की इच्छा जाहिर की थी तबादला सूची में ठीक चिट्ठी के मुताबिक ही उस अधिकारी की तैनाती के आदेश कर दिए गए. हरिद्वार जिला साधु संतों और धर्म और आस्था से जुड़ा क्षेत्र है, यहां हरिद्वार शहर में मांस और मदिरा पर पूरी तरह से पाबंदी है. लेकिन आजकल चुनाव से पहले इस जिले में शराब को लेकर ही सबसे ज्यादा चर्चाएं हैं, खास बात यह है कि इस जिले के ही सरकार में मंत्री यतीश्वरानंद विरोधियों के निशाने पर है और सवाल उठा रहे हैं कि आखिरकार भगवाधारी मंत्री यतीश्वरानंद का शराब से जुड़े विभाग के अधिकारी को अपने जिले में लाने की पैरवी करने का क्या मकसद था.
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मंत्री यतीश्वरानंद की चिट्ठी के कारण विरोधियों को इस मामले पर सवाल खड़े करने का मौका मिल गया है. सबसे पहले सुनिए कि विरोधी दल के नेता यतीश्वरानंद को लेकर क्या सवाल खड़े कर रहे हैं. बता दें कि यतीश्वरानंद का कुछ दिन पहले ही एक पत्र वायरल हुआ था. इस पत्र में लिखा गया था कि उधम सिंह नगर में तैनात आबकारी अधिकारी अशोक कुमार मिश्रा जो सहायक आबकारी आयुक्त जनपदीय प्रवर्तन के पद पर तैनात हैं उन्हें सहायक आबकारी आयुक्त जनपदीय प्रवर्तन उधम सिंह नगर से जिला आबकारी अधिकारी हरिद्वार के पद पर तत्काल स्थानांतरण किया जाए. मजे की बात देखी है कि हरिद्वार से सरकार में मंत्री यतीश्वरानंद ने यह चिट्ठी 17 नवंबर को लिखी और इसके बाद इस सिफारिशी चिट्ठी पर विभाग के सचिव से लेकर नीचे के अधिकारियों ने संज्ञान में लिया.
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ठीक 1 महीने बाद यानी अट्ठारह दिसंबर को आदेश जारी कर दिए गए. आदेश में 13 आबकारी अधिकारियों की सूची में नौवें नंबर पर अशोक कुमार मिश्रा का नाम था, जिन्हें जिला आबकारी अधिकारी हरिद्वार में स्थानांतरित किए जाने के निर्देश किए गए थे. इस मामले को लेकर जब सरकार के प्रवक्ता सुबोध उनियाल से ईटीवी भारत ने सवाल किया तो सुबोध उनियाल ने कहा कि कई बार तमाम लोग सिफारिश करते हुए अपने करीबियों के तबादले की बात मंत्रियों के सामने रखते हैं और उसी आधार पर मंत्री सिफारिश पत्र लिख देते हैं.
ऐसे में इस तबादले को भी किसी और रूप में नहीं देखना चाहिए, हालांकि उनका जवाब चौंकाने वाला है. क्योंकि डीईओ स्तर के अधिकारी जिनके जिम्मे पूरा जिला होता है उस पर इस तरह की सिफारिश पत्र लिखना और उसका अधिकारियों का इस तरह अमल में लाना चौंकाने वाला है. जाहिर है कि मुख्यमंत्री के बेहद करीबी मानें जाने वाले मंत्री यतीश्वरानंद के पत्र पर तो काम होना ही था, लेकिन अब विपक्षी आरोपों की बौछार कर रहे हैं.