देहरादून: उत्तराखंड में नई सरकार की ताजपोशी के लिए आगामी 14 फरवरी को मतदान होना है. ऐसे में इससे पहले मौजूदा बीजेपी सरकार के 5 साल के कार्यकाल को लेकर राजधानी देहरादून के व्यापारियों से ईटीवी भारत ने बातचीत की. इस पूरी रायशुमारी से जो बात निकलकर आई उसमें व्यापारियों का एक सुर में कहना है कि केंद्र की बीजेपी सरकार ने राज्य की कई विकास योजनाओं को लेकर काफी अच्छे निर्णय लिए लेकिन उन निर्णयों को धरातल पर उतारने में राज्य की अफरशाही पूरी तरह से लापरवाह नजर आई. जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है.
बता दें कि पिछले दो सालों में कोरोना संक्रमण की वजह से व्यापार, रोजगार और सामान्य जनजीवन पटरी पर नहीं लौट पाया है. जिससे लोगों को कई तरह की परेशानियां हो रही है. पिछले 5 सालों में बीजेपी सरकार के कार्यकाल की बात करें तो राज्य जो पर्यटन और चारधाम से रोजगार के रूप में अपनी पहचान रखता है, वह पूरी तरह से महामारी के चलते चौपट रहा. इसके बावजूद डबल इंजन की सरकार ने व्यापारियों को इस संकट से उबारने के लिए कुछ विशेष नहीं किया. जिसका श्रेय चुनाव में सरकार ले सके.
कैडर वोट के रूप में पहचान रखने वाला व्यापारी वर्ग मुखर
व्यापारी वर्ग हमेशा से ही बीजेपी का कैडर वोट माना जाता है. अधिकांश व्यापारी हमेशा ही बीजेपी के साथ रहते हैं लेकिन उत्तराखंड के परिपेक्ष्य में इस बार व्यापारी वर्ग काफी मुखर होकर बीजेपी सरकार की लचर प्रशासनिक व्यवस्था से नाराज नजर आ रहा है. यही नहीं समय-समय पर व्यापारियों ने इस मामले में अपनी नाराजगी भी जताई है.
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वेट से कारोबार हुआ चौपट
आगामी विधानसभा चुनाव और आने वाली नई सरकार से अपेक्षाओं को लेकर देहरादून के सीनियर सिटीजन और ज्वेलर्स कारोबार से जुड़े रंजीत सिंह का मानना है कि पिछले 5 सालों में जिसमें 2 साल और वर्तमान का समय कोविड-19 महामारी के चलते सब कुछ अस्त-व्यस्त है. उसमें सरकार की तरफ से सड़क पर ठेली लगाकर 2 जून की रोटी कमाने वाले व्यक्ति से लेकर मध्यम वर्गीय दुकानदारों को इस महामारी के चलते आए आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा. ऐसे में सरकार से उन्हें काफी उम्मीदें थी जो पूरी नहीं हो पाई है. रंजीत सिंह के मुताबिक, पिछले 5 सालों में 2 साल वेट के चलते व्यापार के लिए चौपट रहे और जब त्योहार का समय आया, उस समय सरकार ने जो देहरादून में स्मार्ट सिटी के नाम पर जो तोड़फोड़ की, उससे भी मध्यवर्गीय व्यापारियों को बहुत नुकसान उठाना पड़ा.
आगामी नई सरकार से कई उम्मीदें
देहरादून सर्राफा मंडल के अध्यक्ष सुनील मेसोन का भी साफ तौर पर कहना है कि भले ही सरकार की कुछेक परियोजनाएं उत्तराखंड के लिए सौगात बनकर सामने आ रही हैं लेकिन उसे धरातल पर उतारने में अफसरशाही नाकाम रही. इसकी जिम्मेदार कौन लेगा. पिछले 5 सालों में कोविड-19 महामारी से आज हर कोई परेशान है. कोरोना काल में पिछले 2 साल से स्कूल नहीं खुले, ऐसे में स्कूल फीस में सरकार छूट दे सकती थी लेकिन उसमें भी शिक्षा मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की नहीं चली. सर्राफा अध्यक्ष सुनील मेसोन के मुताबिक, देहरादून शहर में कमर्शियल टैक्स में इतनी बढ़ोतरी हो रही है, जिससे यहां रहना मुश्किल होता जा रहा है. इस पर मौजूदा सरकार का ध्यान ऐसे महामारी में भी नहीं जा रहा है. ऐसे में आगामी नई सरकार से अपेक्षा है कि वह नगर निकाय क्षेत्र में हाउस टैक्स और कमर्शियल टैक्स में जरूर राहत देगी.
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देहरादून स्मार्ट सिटी कार्य की गुणवत्ता पर खड़े किये सवाल
व्यापारियों का कहना है कि उन्हें बहुत खुशी हुई जब प्रधानमंत्री मोदी नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने देहरादून को स्मार्ट सिटी बनाने का निर्णय लिया. लेकिन आज 1400 करोड़ से अधिक की सौंदर्यीकरण परियोजना में अधिकारियों ने इस पूरे प्रोजेक्ट में न सिर्फ बंदरबांट कर कोताही बरती बल्कि कार्यों की गुणवत्ता को भी बेहद हल्का कर दिया जबकि क्षेत्रीय विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री तक ने स्मार्ट सिटी, पलटन बाजार से लेकर तमाम स्थानों पर पहुंचकर सम्बंधित अधिकारियों को गुणवत्ता को लेकर फटकार लगाई लेकिन नतीजा सिफर ही रहा.
पूर्ववर्ती सरकार की गलतियों से सबक ले नई सरकार
देहरादून के व्यापारियों के मुताबिक, नई सरकार से उनकी ऐसी अपेक्षा है कि वह पूर्वर्ती सरकार की गलतियों को ना दोहराए. कोविड के इस भयानक दौर में स्वरोजगार और व्यापार को बढ़ाने के साथ ही आम लोगों को राहत देने जैसा कुछ नया लेकर आए. जिससे आम लोगों की दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो सके.