देहरादून: उत्तराखंड में लगातार नशे की गर्द में फंसे पीड़ितों को नशा मुक्त कर समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए पुलिस लगातार काम कर रही है. इसके लिए समय-समय पर अलग-अलग अभियान भी चलाये जाते हैं. इसी कड़ी में अब नशा पीड़ितों के शारीरिक और मानसिक उपचार के लिए ऑल इंडिया मेडिकल (एम्स) ऋषिकेश का सहायता ली जाएगी. इसके लिए गढ़वाल रेंज डीआईजी द्वारा अलग-अलग सामाजिक संस्थानों और एनजीओ से सहयोग लेकर एम्स अस्पताल में एक नशा मुक्ति व्यवस्था बनाई जा रही है.
नशा मुक्ति के मुहिम में पुलिस को मिला एम्स प्रशासन का साथ: डीआईजी
राज्य में नशा ग्रस्त लोगों को समय रहते उपचार और सहायता मुहैया कराने को लेकर डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग ने बताया कि एम्स अस्पताल से लगातार सामंजस्य बनाकर बैठक हो चुकी है. ऐसे में जल्दी नशा मुक्ति एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं की मदद से ऐसे लोगों को सीमित करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा, जो के दलदल से बाहर आकर समाज की मुख्यधारा में आना चाहते हैं. एम्स अस्पताल प्रशासन से इस बात पर विचार और मंथन किया जा चुका है.
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न्यूनतम खर्चे पर नशा ग्रस्त लोगों का होगा एम्स में इलाज
डीआईजी नीरू गर्ग ने बताया कि नशा पीड़ितों को समय रहते सहायता दिलाने और उनका समय रहते सफल इलाज कराने के लिए सरकार से भी आर्थिक फंडिंग को लेकर जोर दिया जा रहा है. ताकि उस खर्चे पर ड्रग एडिक्ट लोगों को नशा मुक्ति की ओर ले जाया जा सके. इतना ही इस दौरान यह पूरा प्रयास रहेगा कि एम्स जैसे बड़े अस्पताल में नशा ग्रस्त मरीजों का इलाज न्यूनतम खर्चे पर प्राथमिकता के तौर पर किया जा सके.
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वहीं, डीआईजी नीरू गर्ग के मुताबिक, नशा मुक्ति अभियान को सफल तरीके से आगे बढ़ाने के साथ ही नशा मुक्त लोगों को समाज की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए अलग-अलग एनजीओ और सामाजिक संस्थाओं की मदद से विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम कराकर इस कार्य को आगे बढ़ाया जाएगा ताकि, नशा मुक्त होकर पीड़ित लोग समाज की मुख्यधारा में आ कर आगे बढ़ सके.