देहरादून: सूबे की त्रिवेंद्र सरकार युवाओं को रोजगार देने के लाख दावे कर लें, लेकिन इसके बावजूद हर साल प्रदेश में बेरोजगारों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है. सभी 13 जनपदों के क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले 20 सालों में प्रदेश में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 7 लाख के पार पहुंच चुकी हैं. वहीं, इस साल भी प्रदेश के सभी सेवायोजन कार्यालयों में अब तक 1,05,572 बेरोजगार अपना पंजीकरण करा चुके हैं.
मैदानी जनपदों में बेरोजगारों की बड़ी संख्या
यहां गौर करने वाली सबसे बड़ी बात यह है कि प्रदेश के पहाड़ी जनपदों की तुलना में सबसे अधिक पंजीकृत बेरोजगार प्रदेश के मैदानी जनपदों में हैं. वहीं, पंजीकृत बेरोजगारों के लिहाज से सबसे पहले पायदान पर देहरादून जनपद का नाम आता है. राज्य गठन के बाद से लेकर अब तक क्षेत्र सेवायोजन कार्यालय देहरादून में 1,03,799 बेरोजगार अपना पंजीकरण करा चुके हैं. वहीं, इस साल यानी साल 2020 में अब तक 17,242 बेरोजगार अपना पंजीकरण करा चुके हैं.
पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या
गौरतलब है कि रोजगार के नए अवसर प्रदान करने के लिए साल में कई बार क्षेत्र सेवायोजन कार्यालयों की ओर से रोजगार मेले का आयोजन किया जाता रहा है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते बेहद ही सीमित संख्या में ही रोजगार मेले आयोजित किए जा सके हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए देहरादून सेवायोजन अधिकारी प्रवीण चंद्र गोस्वामी ने बताया कि इस साल कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते कार्यालय की ओर से महज तीन बार ही रोजगार मेले का आयोजन किया जा सका है.
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ऑफलाइन और ऑनलाइन रोजगार मेला
इस साल जनवरी और नवंबर माह में तो ऑफलाइन रोजगार मेला आयोजित किया गया. लेकिन अगस्त माह में अनलॉक के पहले चरण के तहत ऑनलाइन रोजगार मेला आयोजित किया गया था. उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोरोना काल में बड़ी बेरोजगारों की संख्या को देखते हुए साल 2021 की शुरूआत में यानी कि जनवरी माह के पहले या दूसरे सप्ताह में एक बार फिर युवाओं के लिए रोजगार मेला लगाया जाएगा, जिससे कि पिछले लंबे समय से रोजगार के इंतजार में बैठे बेरोजगारों को रोजगार के नए अवसर मुहैया हो सकें.
बिना पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या
बहरहाल जिस तरह हर साल लाखों की संख्या में बेरोजगार क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालयों में अपना पंजीकरण करा रहे हैं. यह उत्तराखंड के लिए एक गंभीर स्थिति है. वहीं, यहां गौर करने वाली बात यह है कि जो संख्या रिपोर्ट में है, यह महज उन बेरोजगारों की है जो कि पंजीकृत हैं. लेकिन अगर उन बेरोजगारों की बात करें जो पंजीकृत नहीं है तो शायद यह आंकड़ा प्रदेश में इससे भी कई ज्यादा हो सकता है.