देहरादून: उत्तराखंड में डॉक्टरों की कमी (Shortage of doctors in Uttarakhand) को देखते हुए राज्य सरकार कई तरह के अभियान चला रही हैं. ताकि प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को पूरा किया जा सके. वर्तमान समय में एमबीबीएस और सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के लिए अलग-अलग प्रावधान कर रही है. ताकि प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में सेवाएं देने वाले डॉक्टर को अतिरिक्त भुगतान किया जा सके.
इसी क्रम में राज्य सरकार बॉन्ड के माध्यम से मेडिकल छात्रों को सस्ती फीस में ग्रेजुएशन (Medical students graduate in cheap fees) और पोस्ट ग्रेजुएशन करवा रही है, लेकिन बॉन्ड के जरिए सस्ती फीस में पढ़ाई करने वाले डॉक्टर डिग्री लेने के बाद पहाड़ पर सेवाएं देने से इनकार कर रहे हैं. जबकि जिन भी छात्रों को राज्य सरकार बॉन्ड भरवा कर सस्ती फीस में पढ़ाई करवाती है, उस बॉन्ड के शर्त अनुसार उन्हें अगले 5 साल तक प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में सेवाएं देनी होती है. लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि तमाम डॉक्टर डिग्री लेने के बाद पहाड़ पर सेवाएं देना नहीं चाहते हैं. जिसके चलते अब बॉन्ड तोड़कर हर्जाना भर रहे हैं. ताकि उन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में अपनी सेवाएं न देनी पड़े.
प्रदेश में बॉन्ड धारी डॉक्टरों की स्थिति
हाल ही में राजकीय मेडिकल कॉलेज, हल्द्वानी से सस्ती फीस पर पढ़ने वाले 37 डॉक्टरों ने डिग्री लेने के बाद पहाड़ पर सेवाएं देने से इनकार कर दिया. इसके हर्जाने के तौर पर उन्होंने छह करोड़ रुपये सरकार को चुका दिए हैं. कई डॉक्टरों ने पढ़ाई पूरी करने के बाद पर्वतीय क्षेत्रों में तैनाती तो ली पर कुछ समय बाद वह गायब हो गए. नोटिस भेजने के बाद भी कई ने ज्वॉइन नहीं किया. इसके बाद मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने उनसे बॉन्ड की रकम की वसूली के लिए आरसी काटनी शुरू कर दी है. साथ ही कोर्ट जाने की तैयारी शुरू कर दी है. कार्रवाई से बचने को करीब 20 एमबीबीएस और 17 पीजी डॉक्टरों ने बॉन्ड के मुताबिक 15 से 30 लाख रुपये का भुगतान कॉलेज प्रबंधन को कर दिया.
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राजकीय मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस व एमडी-एमएस की पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों के लिए बॉन्ड की व्यवस्था की गई थी. इसके तहत पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉक्टरों को पर्वतीय क्षेत्र में सेवाएं देनी होती हैं, लेकिन अब डॉक्टर्स पहाड़ चढ़ने के बजाय बॉन्ड की शर्त अनुसार हर्जाना भरना ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं. जिसे देखते हुए स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि आने वाले समय में बॉन्ड की शर्तों को और मजबूत किया जाएगा, ताकि बॉन्ड भरकर सस्ती फीस में पढ़ाई करने वाले डॉक्टरों के लिए बॉन्ड को तोड़ना आसान ना हो.
वर्तमान समय में प्रदेश की 11 जिलों में हरिद्वार और उधमसिंह नगर को छोड़कर बाकी जिलों में 466 बॉन्ड धारी चिकित्सा अधिकारी कार्यरत हैं. जिसमें से 125 चिकित्साधिकारी, बॉन्ड के माध्यम से पीजी की पढ़ाई कर रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पतालों में तैनात 109 डॉक्टर अनुपस्थित चल रहे हैं. इन 109 डॉक्टर्स में से सबसे अधिक उधमसिंह नगर जिले के 20 डॉक्टर अनुपस्थित हैं. दरअसल, स्वास्थ्य विभाग में 2856 पद स्वीकृत है. जिसमें से 2,512 डॉक्टर्स कार्यरत है और 344 पद रिक्त है.
प्रदेश भर में 109 डॉक्टर्स चल रहे है अनुपस्थित
कुल मिलाकर अब स्वास्थ्य विभाग इस बात पर विचार कर रहा है कि आने वाले समय में बॉन्ड की शर्त को इस कदर मजबूत किया जाएगा, जिससे मेडिकल छात्र बॉन्ड को ना तोड़ सके. हालांकि, स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने इस ओर संकेत दिया है कि आगामी सस्ती फीस में पढ़ाई करने वाले छात्रों को भरवाए जाने वाले बॉन्ड को तोड़ने पर हर्जाने की फीस को इतनी अधिक कर दी जाएगी. जिससे डॉक्टर्स उस फीस को जमा करने में सक्षम नहीं होंगे. लिहाजा उन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में अगले 5 साल तक सेवाएं देने पर मजबूर होना पड़ेगा.