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अब कोरोना मरीज हो सकेंगे होम आइसोलेट, जानें- होम क्वारंटाइन और आइसोलेशन में अंतर

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Published : Aug 8, 2020, 7:16 PM IST

Updated : Aug 8, 2020, 8:03 PM IST

उत्तराखंड में अब कोरोना पॉजिटिव मरीज भी होम आइसोलेट हो सकेंगे. आज मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसके लिए होम आइसोलेशन निर्देश पुस्तिका जारी की है.

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प्रदेश में भी कोरोना मरीज हो सकेंगे होम आइसोलेट

देहरादून: उत्तराखंड में दिन-प्रतिदिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जिसके कारण राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की नीदें उड़ी हुई हैं. लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए अब उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार की गाइडलाइन और अन्य राज्यों की तर्ज पर ही होम आइसोलेशन को सहमति दे दी है. लिहाजा, अब कोरोना पॉजिटिव मरीज भी अपने घर में आइसोलेट हो सकेंगे. इसके लिए आज मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने होम आइसोलेशन निर्देश पुस्तिका का विमोचन भी किया है.

इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि एक लंबे समय से कोविड मरीजों और उनके परिजनों की तरफ से ये मांग सामने आ रही थी. जिसे अब राज्य में सहमति दे दी गई है. उन्होंने कहा अब राज्य के भीतर होम आइसोलेशन की अनुमति सशर्त और सतर्कता के साथ दी जाएगी.

प्रदेश में भी कोरोना मरीज हो सकेंगे होम आइसोलेट

पढ़ें-उत्तराखंड में आज मिले 278 कोरोना पॉजिटिव मरीज, अब तक 112 की मौत

साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया कि होम आइसोलेशन करने से पहले मरीज के घर में व्यवस्थाओं की पूरी जानकारी ली जाएगी. इसके साथ ही उनके परिजनों से एक लेटर भी लिया जाएगा. जिसमें वह लिख कर देंगे कि उनके घर में पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं ताकि कोविड-19 के मरीज को होम आइसोलेट किया जा सके. यही नहीं सर्विलांस टीम भी उन पर नजर रखेगी.

पढ़ें-वाहनों की रफ्तार रोकेगा इंटरसेप्टर, तेज गाड़ियां चलाने वालों पर कार्रवाई

क्या होता है होम आइसोलेशन

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, होम आइसोलेशन उनका किया जाता है जो कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए जाते हैं. होम आइसोलेशन सिर्फ उन लोगों को किया जाता है, जो वेरी माइल्‍ड (बहुत कम लक्षणों वाले), एसिम्टोमैटिक (जिनमें लक्षण दिखाई नहीं देते मगर जांच में पॉजिटिव होते हैं) और प्रीसिम्‍टोमैटिक (ऐसे पेशेंट जिनके शुरूआती लक्षण होते हैं) होते हैं.

होम क्वारंटाइन

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, होम क्‍वारंटाइन उन लोगों को किया जाता है, जिनको इस बात का अंदेशा होता है कि वह किसी कोरोना वायरस पॉजिटिव व्‍यक्ति के संपर्क में आए हैं. ऐसी परिस्थितियों में यह परखना जरूरी हो जाता है कि संपर्क में आए व्‍यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं या नहीं. होम क्‍वारंटाइन कोई भी हो सकता है, जिसे इस बात की आशंका हो कि वह कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आया है. अगर किसी ने यात्रा की है तो भी उसे होम क्‍वारंटाइन होने के लिए कहा जाता है. क्‍वारंटाइन में कम से कम 14 दिनों तक खुद को दूसरों से अलग रखकर अपने लक्षणों को पहचाने की कोशिश की जाती है. होम क्‍वारंटाइन से आप खुद को और अपने परिवार को संक्रमित होने से बचा सकते हैं.

देहरादून: उत्तराखंड में दिन-प्रतिदिन कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जिसके कारण राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग की नीदें उड़ी हुई हैं. लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए अब उत्तराखंड सरकार ने केंद्र सरकार की गाइडलाइन और अन्य राज्यों की तर्ज पर ही होम आइसोलेशन को सहमति दे दी है. लिहाजा, अब कोरोना पॉजिटिव मरीज भी अपने घर में आइसोलेट हो सकेंगे. इसके लिए आज मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने होम आइसोलेशन निर्देश पुस्तिका का विमोचन भी किया है.

इस दौरान मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि एक लंबे समय से कोविड मरीजों और उनके परिजनों की तरफ से ये मांग सामने आ रही थी. जिसे अब राज्य में सहमति दे दी गई है. उन्होंने कहा अब राज्य के भीतर होम आइसोलेशन की अनुमति सशर्त और सतर्कता के साथ दी जाएगी.

प्रदेश में भी कोरोना मरीज हो सकेंगे होम आइसोलेट

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साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया कि होम आइसोलेशन करने से पहले मरीज के घर में व्यवस्थाओं की पूरी जानकारी ली जाएगी. इसके साथ ही उनके परिजनों से एक लेटर भी लिया जाएगा. जिसमें वह लिख कर देंगे कि उनके घर में पर्याप्त व्यवस्थाएं हैं ताकि कोविड-19 के मरीज को होम आइसोलेट किया जा सके. यही नहीं सर्विलांस टीम भी उन पर नजर रखेगी.

पढ़ें-वाहनों की रफ्तार रोकेगा इंटरसेप्टर, तेज गाड़ियां चलाने वालों पर कार्रवाई

क्या होता है होम आइसोलेशन

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, होम आइसोलेशन उनका किया जाता है जो कोरोना वायरस पॉजिटिव पाए जाते हैं. होम आइसोलेशन सिर्फ उन लोगों को किया जाता है, जो वेरी माइल्‍ड (बहुत कम लक्षणों वाले), एसिम्टोमैटिक (जिनमें लक्षण दिखाई नहीं देते मगर जांच में पॉजिटिव होते हैं) और प्रीसिम्‍टोमैटिक (ऐसे पेशेंट जिनके शुरूआती लक्षण होते हैं) होते हैं.

होम क्वारंटाइन

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार, होम क्‍वारंटाइन उन लोगों को किया जाता है, जिनको इस बात का अंदेशा होता है कि वह किसी कोरोना वायरस पॉजिटिव व्‍यक्ति के संपर्क में आए हैं. ऐसी परिस्थितियों में यह परखना जरूरी हो जाता है कि संपर्क में आए व्‍यक्ति में कोरोना वायरस के लक्षण दिखाई दे रहे हैं या नहीं. होम क्‍वारंटाइन कोई भी हो सकता है, जिसे इस बात की आशंका हो कि वह कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आया है. अगर किसी ने यात्रा की है तो भी उसे होम क्‍वारंटाइन होने के लिए कहा जाता है. क्‍वारंटाइन में कम से कम 14 दिनों तक खुद को दूसरों से अलग रखकर अपने लक्षणों को पहचाने की कोशिश की जाती है. होम क्‍वारंटाइन से आप खुद को और अपने परिवार को संक्रमित होने से बचा सकते हैं.

Last Updated : Aug 8, 2020, 8:03 PM IST
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