देहरादून: गढ़वाल मंडल विकास निगम को घाटे से उबारने के लिए नया प्लान तैयार किया गया है. जीएमवीएन लंबे समय से घाटे में चल रहे मसूरी व धनोल्टी सहित 7 और होटल-गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर देने जा रहा है. पिछले दिनों GMVN की बोर्ड मीटिंग में निर्णय लेने के बाद अब इन होटलों को पीपीपी मोड पर देने की तैयारी अपने अंतिम दौर में है. शासन से आदेश आने के उपरांत जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. हालांकि, जीएमवीएन के सबसे बड़े देहरादून स्थित द्रोण होटल को स्मार्ट सिटी के अधीन देने के विषय पर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.
इसके पहले साल 2016-17 में जीएमवीएन ने 18 होटल और गेस्ट हाउस को 5 साल के लिए पीपीपी मोड पर देने का फैसला किया था, जिसमें से 9 होटल और गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर दिया जा चुका है, जबकि अन्य 9 होटल और गेस्ट हाउस को आगामी 24 जुलाई को जीएमवीएन पीपीपी मोड पर सौंपने जा रही है.
गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ के मुताबिक घाटे में चलने वाले प्रति होटल से 30 फीसदी राजस्व भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है, जबकि इनको संचालित करने में निगम लगातार भारी भरकम धनराशि खर्च कर रहा है. ऐसे में इनके संचालन व रखरखाव में भारी आर्थिक नुकसान के चलते इनको निजी हाथों में देने का निर्णय किया गया है. अब शासन स्तर पर आदेश आने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. पीपीपी मोड पर देने वाली कार्रवाई में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देकर टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा.
इन स्थानों के होटल - गेस्ट हाउस किया गया शॉर्ट लिस्ट
मसूरी, धनौल्टी, डाकपत्थर, लैंसडाउन, ऋषिकेश, बड़कोट, नंदप्रयाग, पौड़ी, खिरसूल, बारसू, हनुमान चट्टी, ग्वालदम, रैथल, जकोल, स्याडसौड़, कालेश्वर, खिरसू
द्रोण होटल को लेकर असमंजस की स्थिति
वहीं, देहरादून स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम के सबसे बड़े होटल द्रोण को स्मार्ट सिटी के अधीन देकर संचालन करने के मामले में जीएमवीएन द्वारा अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, होटल द्रोण को अपने अधीन लेकर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा संचालन वाले प्रस्ताव पर लगातार विचार विमर्श जारी है. स्मार्ट सिटी द्वारा होटल रूम के लिए शुरुआत में एक मुस्त 20 करोड़ जीएमवीएन को दिए जाने के साथ ही सालाना डेढ़ करोड़ रुपए होटल के किराए के रूप में निगम को दिए जाने का प्रस्ताव है.
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हालांकि, जीएमवीएन स्मार्ट सिटी द्वारा दिए गए प्रस्ताव वाली धनराशि को कम मान रहा है. वहीं, इस मामले में गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ का कहना है कि होटल द्रोण के संचालन को लेकर स्मार्ट सिटी के उच्चाधिकारियों से अभी कई विषयों पर विचार विमर्श होना बाकी है. ऐसे में निगम अपने सबसे बड़े होटल को काफी सोच विचार कर स्मार्ट सिटी को देने के बारे में फैसला लेगा.
साल 2016-17 में जीएमवीएन घाटे पर चलने वाले 9 होटल-गेस्ट हाउस को पहले ही पीपीपी मोड पर दे चुका है. इन 9 होटलों से सालाना करीब 50 लाख किराया राजस्व के रूप में वसूला जा रहा है. जबकि, 9 अन्य होटल को 24 जुलाई में टेंडर प्रक्रिया से पीपीपी मोड पर दिया जाएगा.
इन 9 स्थानों के होटल-गेस्टहाउस से लगभग 50 लाख रुपये सालाना किराया वसूल रहा GMVN
- आराकोट
- कोटद्वार
- सहस्त्रधारा नया
- सहस्त्रधारा पुराना
- कद्दूखाल
- घुत्तू
- सांकरी
- बाड़
- हनोल
आगामी 24 जुलाई को जीएमवीएन घाटे पर रहे अपने 9 अन्य होटल और गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर देने जा रहा है. इन 9 व्यवसायिक संस्थानों का वार्षिक किराया तय कर दिया गया है.
क्रम संख्या | होटल, गेस्ट हाउस | वार्षिक किराया (सालाना) |
1 | गंगी | 94,900/- |
2 | हरकी दून | 78,500/- |
3 | हरियाली देवी | 77,000/- |
4 | मुंदोली | 2,10, 240/- |
5 | नौटी | 1,46,000/- |
6 | रिह | 1,90,500/- |
7 | तालुका | 1,85,000/- |
8 | यमकेश्वर | 1,23,000/- |
9 | असला | 1,84,500/- |
सबसे हैरान करने वाला विषय यह है कि मसूरी के अलावा धनौल्टी, पौड़ी और ऋषिकेश में गढ़वाल मंडल विकास निगम के कई होटल व गेस्ट हाउस में पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिलने के कारण यह घाटे पर चल रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण जीएमवीएन के प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर होटलों में कार्यरत कर्मचारियों की लचर कार्यशैली वाली व्यवस्था है. वहीं, दूसरी तरफ जीएमवीएन के होटल संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप भी एक बड़ा घाटे का कारण माना जा रहा है.