ETV Bharat / state

GMVN के 7 होटलों को पीपीपी मोड पर देने की तैयारी, प्रक्रिया अंतिम दौर में

मसूरी और धनौल्टी के जीएमवीएन के 7 होटल अन्य होटलों को पीपीपी मोड पर देने की कावायद जारी है. इसकी प्रक्रिया अंतिम दौर में है. जीएमवीएन के 9 होटल और गेस्ट हाउस पहले से ही पीपीपी मोड पर चल रहे हैं.

जीएमवीएन
author img

By

Published : Jul 18, 2019, 12:40 PM IST

देहरादून: गढ़वाल मंडल विकास निगम को घाटे से उबारने के लिए नया प्लान तैयार किया गया है. जीएमवीएन लंबे समय से घाटे में चल रहे मसूरी व धनोल्टी सहित 7 और होटल-गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर देने जा रहा है. पिछले दिनों GMVN की बोर्ड मीटिंग में निर्णय लेने के बाद अब इन होटलों को पीपीपी मोड पर देने की तैयारी अपने अंतिम दौर में है. शासन से आदेश आने के उपरांत जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. हालांकि, जीएमवीएन के सबसे बड़े देहरादून स्थित द्रोण होटल को स्मार्ट सिटी के अधीन देने के विषय पर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

इसके पहले साल 2016-17 में जीएमवीएन ने 18 होटल और गेस्ट हाउस को 5 साल के लिए पीपीपी मोड पर देने का फैसला किया था, जिसमें से 9 होटल और गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर दिया जा चुका है, जबकि अन्य 9 होटल और गेस्ट हाउस को आगामी 24 जुलाई को जीएमवीएन पीपीपी मोड पर सौंपने जा रही है.

महावीर सिंह रांगड़, अध्यक्ष, जीएमवीएन

गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ के मुताबिक घाटे में चलने वाले प्रति होटल से 30 फीसदी राजस्व भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है, जबकि इनको संचालित करने में निगम लगातार भारी भरकम धनराशि खर्च कर रहा है. ऐसे में इनके संचालन व रखरखाव में भारी आर्थिक नुकसान के चलते इनको निजी हाथों में देने का निर्णय किया गया है. अब शासन स्तर पर आदेश आने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. पीपीपी मोड पर देने वाली कार्रवाई में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देकर टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा.

इन स्थानों के होटल - गेस्ट हाउस किया गया शॉर्ट लिस्ट
मसूरी, धनौल्टी, डाकपत्थर, लैंसडाउन, ऋषिकेश, बड़कोट, नंदप्रयाग, पौड़ी, खिरसूल, बारसू, हनुमान चट्टी, ग्वालदम, रैथल, जकोल, स्याडसौड़, कालेश्वर, खिरसू

द्रोण होटल को लेकर असमंजस की स्थिति
वहीं, देहरादून स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम के सबसे बड़े होटल द्रोण को स्मार्ट सिटी के अधीन देकर संचालन करने के मामले में जीएमवीएन द्वारा अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, होटल द्रोण को अपने अधीन लेकर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा संचालन वाले प्रस्ताव पर लगातार विचार विमर्श जारी है. स्मार्ट सिटी द्वारा होटल रूम के लिए शुरुआत में एक मुस्त 20 करोड़ जीएमवीएन को दिए जाने के साथ ही सालाना डेढ़ करोड़ रुपए होटल के किराए के रूप में निगम को दिए जाने का प्रस्ताव है.

पढ़ें- कांवड़ यात्रा: तीन करोड़ शिव भक्तों के आने का अनुमान, लक्ष्मण झूला पुल ने खड़ी की चुनौती

हालांकि, जीएमवीएन स्मार्ट सिटी द्वारा दिए गए प्रस्ताव वाली धनराशि को कम मान रहा है. वहीं, इस मामले में गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ का कहना है कि होटल द्रोण के संचालन को लेकर स्मार्ट सिटी के उच्चाधिकारियों से अभी कई विषयों पर विचार विमर्श होना बाकी है. ऐसे में निगम अपने सबसे बड़े होटल को काफी सोच विचार कर स्मार्ट सिटी को देने के बारे में फैसला लेगा.

साल 2016-17 में जीएमवीएन घाटे पर चलने वाले 9 होटल-गेस्ट हाउस को पहले ही पीपीपी मोड पर दे चुका है. इन 9 होटलों से सालाना करीब 50 लाख किराया राजस्व के रूप में वसूला जा रहा है. जबकि, 9 अन्य होटल को 24 जुलाई में टेंडर प्रक्रिया से पीपीपी मोड पर दिया जाएगा.

इन 9 स्थानों के होटल-गेस्टहाउस से लगभग 50 लाख रुपये सालाना किराया वसूल रहा GMVN

  1. आराकोट
  2. कोटद्वार
  3. सहस्त्रधारा नया
  4. सहस्त्रधारा पुराना
  5. कद्दूखाल
  6. घुत्तू
  7. सांकरी
  8. बाड़
  9. हनोल

आगामी 24 जुलाई को जीएमवीएन घाटे पर रहे अपने 9 अन्य होटल और गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर देने जा रहा है. इन 9 व्यवसायिक संस्थानों का वार्षिक किराया तय कर दिया गया है.

क्रम संख्या होटल, गेस्ट हाउस वार्षिक किराया (सालाना)
1 गंगी 94,900/-
2 हरकी दून 78,500/-
3 हरियाली देवी 77,000/-
4 मुंदोली 2,10, 240/-
5 नौटी 1,46,000/-
6 रिह 1,90,500/-
7 तालुका 1,85,000/-
8 यमकेश्वर 1,23,000/-
9 असला 1,84,500/-

सबसे हैरान करने वाला विषय यह है कि मसूरी के अलावा धनौल्टी, पौड़ी और ऋषिकेश में गढ़वाल मंडल विकास निगम के कई होटल व गेस्ट हाउस में पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिलने के कारण यह घाटे पर चल रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण जीएमवीएन के प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर होटलों में कार्यरत कर्मचारियों की लचर कार्यशैली वाली व्यवस्था है. वहीं, दूसरी तरफ जीएमवीएन के होटल संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप भी एक बड़ा घाटे का कारण माना जा रहा है.

देहरादून: गढ़वाल मंडल विकास निगम को घाटे से उबारने के लिए नया प्लान तैयार किया गया है. जीएमवीएन लंबे समय से घाटे में चल रहे मसूरी व धनोल्टी सहित 7 और होटल-गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर देने जा रहा है. पिछले दिनों GMVN की बोर्ड मीटिंग में निर्णय लेने के बाद अब इन होटलों को पीपीपी मोड पर देने की तैयारी अपने अंतिम दौर में है. शासन से आदेश आने के उपरांत जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. हालांकि, जीएमवीएन के सबसे बड़े देहरादून स्थित द्रोण होटल को स्मार्ट सिटी के अधीन देने के विषय पर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है.

इसके पहले साल 2016-17 में जीएमवीएन ने 18 होटल और गेस्ट हाउस को 5 साल के लिए पीपीपी मोड पर देने का फैसला किया था, जिसमें से 9 होटल और गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर दिया जा चुका है, जबकि अन्य 9 होटल और गेस्ट हाउस को आगामी 24 जुलाई को जीएमवीएन पीपीपी मोड पर सौंपने जा रही है.

महावीर सिंह रांगड़, अध्यक्ष, जीएमवीएन

गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ के मुताबिक घाटे में चलने वाले प्रति होटल से 30 फीसदी राजस्व भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है, जबकि इनको संचालित करने में निगम लगातार भारी भरकम धनराशि खर्च कर रहा है. ऐसे में इनके संचालन व रखरखाव में भारी आर्थिक नुकसान के चलते इनको निजी हाथों में देने का निर्णय किया गया है. अब शासन स्तर पर आदेश आने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी. पीपीपी मोड पर देने वाली कार्रवाई में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देकर टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा.

इन स्थानों के होटल - गेस्ट हाउस किया गया शॉर्ट लिस्ट
मसूरी, धनौल्टी, डाकपत्थर, लैंसडाउन, ऋषिकेश, बड़कोट, नंदप्रयाग, पौड़ी, खिरसूल, बारसू, हनुमान चट्टी, ग्वालदम, रैथल, जकोल, स्याडसौड़, कालेश्वर, खिरसू

द्रोण होटल को लेकर असमंजस की स्थिति
वहीं, देहरादून स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम के सबसे बड़े होटल द्रोण को स्मार्ट सिटी के अधीन देकर संचालन करने के मामले में जीएमवीएन द्वारा अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. हालांकि, होटल द्रोण को अपने अधीन लेकर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा संचालन वाले प्रस्ताव पर लगातार विचार विमर्श जारी है. स्मार्ट सिटी द्वारा होटल रूम के लिए शुरुआत में एक मुस्त 20 करोड़ जीएमवीएन को दिए जाने के साथ ही सालाना डेढ़ करोड़ रुपए होटल के किराए के रूप में निगम को दिए जाने का प्रस्ताव है.

पढ़ें- कांवड़ यात्रा: तीन करोड़ शिव भक्तों के आने का अनुमान, लक्ष्मण झूला पुल ने खड़ी की चुनौती

हालांकि, जीएमवीएन स्मार्ट सिटी द्वारा दिए गए प्रस्ताव वाली धनराशि को कम मान रहा है. वहीं, इस मामले में गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ का कहना है कि होटल द्रोण के संचालन को लेकर स्मार्ट सिटी के उच्चाधिकारियों से अभी कई विषयों पर विचार विमर्श होना बाकी है. ऐसे में निगम अपने सबसे बड़े होटल को काफी सोच विचार कर स्मार्ट सिटी को देने के बारे में फैसला लेगा.

साल 2016-17 में जीएमवीएन घाटे पर चलने वाले 9 होटल-गेस्ट हाउस को पहले ही पीपीपी मोड पर दे चुका है. इन 9 होटलों से सालाना करीब 50 लाख किराया राजस्व के रूप में वसूला जा रहा है. जबकि, 9 अन्य होटल को 24 जुलाई में टेंडर प्रक्रिया से पीपीपी मोड पर दिया जाएगा.

इन 9 स्थानों के होटल-गेस्टहाउस से लगभग 50 लाख रुपये सालाना किराया वसूल रहा GMVN

  1. आराकोट
  2. कोटद्वार
  3. सहस्त्रधारा नया
  4. सहस्त्रधारा पुराना
  5. कद्दूखाल
  6. घुत्तू
  7. सांकरी
  8. बाड़
  9. हनोल

आगामी 24 जुलाई को जीएमवीएन घाटे पर रहे अपने 9 अन्य होटल और गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर देने जा रहा है. इन 9 व्यवसायिक संस्थानों का वार्षिक किराया तय कर दिया गया है.

क्रम संख्या होटल, गेस्ट हाउस वार्षिक किराया (सालाना)
1 गंगी 94,900/-
2 हरकी दून 78,500/-
3 हरियाली देवी 77,000/-
4 मुंदोली 2,10, 240/-
5 नौटी 1,46,000/-
6 रिह 1,90,500/-
7 तालुका 1,85,000/-
8 यमकेश्वर 1,23,000/-
9 असला 1,84,500/-

सबसे हैरान करने वाला विषय यह है कि मसूरी के अलावा धनौल्टी, पौड़ी और ऋषिकेश में गढ़वाल मंडल विकास निगम के कई होटल व गेस्ट हाउस में पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं नहीं मिलने के कारण यह घाटे पर चल रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण जीएमवीएन के प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर होटलों में कार्यरत कर्मचारियों की लचर कार्यशैली वाली व्यवस्था है. वहीं, दूसरी तरफ जीएमवीएन के होटल संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप भी एक बड़ा घाटे का कारण माना जा रहा है.

Intro:summary_ मसूरी सहित गढ़वाल मंडल विकास निगम के घाटे पर चल रहे 7 होटल जाएंगे निजी कम्पनी के हाथों में, पीपीपी मोड की प्रक्रिया अंतिम दौर पर, सबसे बड़े होटल द्रोण को लेकर जीएमवीएन असमंजस की स्थिति में... वर्ष 2016-17 में पहले से तय 9 होटलों को आगामी 24 जुलाई को टेंडर प्रक्रिया द्वारा पीपीपी मोड में दिया।


देहरादून:- उत्तराखंड राज्य में मुख्यतः पर्यटन व्यवसाय से जुड़े गढ़वाल मंडल विकास निगम के अंतर्गत लंबे समय से घाटे पर चलने वाले मसूरी व धनोल्टी सहित 7 और होटल- गेस्ट हाउस को निजी कंपनियों के हाथों में सौंपा जा रहा है। पिछले दिनों GMVN की बोर्ड मीटिंग में निर्णय लेने के बाद अब इन होटलों को पीपीपी मोड पर देने की तैयारी अपने अंतिम दौर पर है। शासन से आदेश आने के उपरांत जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर की जायेगी। हालांकि जीएमवीएन के सबसे बड़े देहरादून स्थित "द्रोण होटल" को स्मार्ट सिटी के अधीन देने के विषय पर अभी असमंजस की स्थिति बनी हुईं हैं।




Body:गढ़वाल मंडल विकास निगम के अनुसार ऑफ सीजन के के दरमियान लंबे समय से घाटे पर चलने वाले होटल को निजी हाथों में देने के बाद घाटे से उभरने की कवायद की जा रही है। जीएमवीएन अधिकारियों के मुताबिक घाटे में चलने वाले प्रति होटल से 30 प्रतिशत राजस्व भी प्राप्त नहीं हो पा रहा है जबकि इनको संचालित करने में निगम लगातार भारी भरकम धनराशि खर्च कर रहा है। ऐसे में इनके संचालन व रखरखाव में भारी आर्थिक नुकसान के चलते इनको निजी हाथों में देने का निर्णय किया गया है।
वही घाटे में चल रहे हैं होटल व गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर देने की कवायद में जानकारी देते हुए गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रागड़ ने बताया कि इस विषय पर बोर्ड बैठक में फैसला लेने उपरांत अब शासन स्तर पर आदेश आने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू की जाएगी। इतना ही नहीं जीएमवीएन अध्यक्ष के मुताबिक निगम के होटलों को निजी हाथों में देने वाली कार्यवाही में स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देकर टेंडर प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।

बाईट- महावीर सिंह रांगड़, अध्यक्ष, जीएमवीएन

इन स्थानों के होटल व गेस्ट हाउस में से फिलहाल 7 व्ययसायिक भवनों को निजी कंपनी के हाथों दिया जा सकता हैं:-

मसूरी ,धनोल्टी ,डाकपत्थर, लैंसडाउन,ऋषिकेश, बड़कोट,नंदप्रयाग, पौड़ी,ख़िरसूल ,बारसू, हनुमान चट्टी,ग्वालदम, रैथल, जकोल, स्याडसौड़,कालेश्वर, ख़िरसु..

जीएमवीएन के सबसे बड़े होटल द्रोण को लेकर असमंजस की स्थिति

वही गढ़वाल मंडल विकास निगम के सबसे बड़े देहरादून स्थित होटल द्रोण को स्मार्ट सिटी के अधीन देकर संचालन करने के मामले में जीएमवीएन द्वारा अभी असमंजस की स्थिति बनी हुई है। हालांकि होटल द्रोण को अपने अधीन लेकर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा संचालन वाले प्रस्ताव पर लगातार विचार विमर्श जारी है। स्मार्ट सिटी द्वारा होटल रूम के लिए शुरुआत में एक मुश्त 20 करोड़ जीएमवीएन को दिए जाने के साथ ही सालाना डेड करोड़ रुपए होटल के किराए के रूप में निगम को दिए जाने का प्रस्ताव हैं। हालांकि जीएमवीएन स्मार्ट सिटी द्वारा दिए गए प्रस्ताव वाली धनराशि को कब मानते हुए अपने मुताबिक बढ़ा कर देने के विषय पर अटका हुआ है। वही इस मामले में गढ़वाल मंडल विकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह रांगड़ का कहना है कि होटल द्रोण के संचालन को लेकर स्मार्ट सिटी के उच्चाधिकारियों से अभी कई विषयों पर विचार विमर्श होना बाकी है ऐसे में निगम अपने सबसे बड़े होटल को काफी सोच विचार कर स्मार्ट सिटी को देने के बारे में फैसला लेगा।



बाईट- महावीर सिंह रांगड़, अध्यक्ष, जीएमवीएन





Conclusion:वर्ष 2016 - 17 में घाटे पर चलने वाले 9 होटल गेस्ट हाउस को पहले ही पीपीपी मोड पर दिया जा चुका है.. जबकि 9 अन्य होटल को 24 जुलाई में टेंडर प्रक्रिया से पीपीपी मोड़ पर दिया जाएगा..

उधर वर्ष 2016- 17 में गढ़वाल मंडल विकास निगम बोर्ड बैठक द्वारा घाटे पर चल रहे 9 होटल और गेस्ट हाउस को 5 वर्षो के लिए पीपीपी मोड पर देने का कार्य कर चुका है. वर्ष 2017-18 में टेंडर प्रक्रिया द्वारा निजी कंपनी के हाथों पर दिए गए इन 9 होटलों से सालाना लगभग 50 लाख किराया राजस्व के रूप में वसूला जा रहा हैं।
यह वो 9 होटल-गेस्टहाउस हैं जिन्हे लगभग 50 सालाना किराए पर पीपीपी मोड पर दिया गया है:-
1-आराकोट
2-कोटद्वार
3-सहस्त्रधारा नया
4-सहस्त्रधारा पुराना
5- कद्दूखाल
6-घुत्तू
7-सांकरी
8- बाड़
9- हनोल.

9 अन्य घाटे में चलने वाले होटलों को आगामी 24 जुलाई में टेंडर प्रक्रिया से पीपीपी मोड में दिया जाएगा-

आगामी 24 जुलाई में 9 अन्य घाटे पर चलने वाले जीएमवीएन के होटलों को टेंडर प्रक्रिया द्वारा निजी कंपनियों के हाथों में दे दिया जाएगा। सभी व्यवसायिक संस्थानों के किराया वार्षिक स्तर से तय कर दिया गया है:-

गंगी किराया- 94900/=
हरकी दून वार्षिक किराया -78500/=
हरियाली देवी वार्षिक किराया- 77000/=
मुन्दोली वार्षिक किराया- 2,10, 240/=
नौटी वार्षिक किराया - 1,46000/=
रिह वार्षिक किराया - 1,90500/=
तालुका वार्षिक किराया -1,85000/=
यमकेश्वर वार्षिक किराया -1,23000/=
असला वार्षिक किराया -184500/=


गढ़वाल मंडल विकास निगम के लचर कार्यशैली के चलते व्यवसायिक भगवान लंबे अरसे से घाटे पर-

जानकारी के मुताबिक सबसे हैरान करने वाला विषय यह हैं कि,पहाड़ों की रानी- मसूरी के अलावा धनोल्टी ,पौड़ी व ऋषिकेश जैसे तमाम महत्वपूर्ण स्थानों में स्थित गढ़वाल मंडल विकास निगम के कई होटल व गेस्ट हाउस में आने वाले पर्यटकों को बेहतर सुविधा और सर्विस ना सही तरह से मुहैया कराने के कारण यह होटल घाटे पर चल रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण जीएमवीएन के प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर होटलों में कार्यरत कर्मचारियों की लचर कार्यशैली वाली व्यवस्था हैं। वही दूसरी तरफ जीएमवीएन के होटल संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप भी एक बड़ा घाटे का कारण माना जाता है.


pls note_input_महोदय, यह किरण कांत शर्मा का मोजो मोबाइल हैं,जिसे मैं (परमजीत सिंह )इसे इस्तेमाल कर रहा हूं। मेरा मोजो मोबाइल खराब हो गया हैं, ऐसे मेरी स्टोरी इस मोजो से भेजी जा रही हैं.. ID 7200628












ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.