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धामी और त्रिवेंद्र के बीच दूरी की चर्चाओं ने पकड़ा जोर, कांग्रेस ने बताया शह और मात का खेल

उत्तराखंड में इन दिनों सीएम पुष्कर सिंह धामी और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत के बीच दूरियों की खबर जोर पकड़ कही है. इसके पीछे की मुख्य वजह उत्तराखंड में हुए अंकिता हत्याकांड, विधानसभा बैक डोर भर्ती सहित अन्य घोटाले को लेकर त्रिवेंद्र रावत का अपने सरकार के खिलाफ सवाल खड़े करना और सीबीआई जांच की मांग उठाना है. वहीं, कांग्रेस भाजपा में मनमुटाव को लेकर धामी सरकार पर हमला कर रही है.

estrangement between Pushkar Dhami and Trivendra
धामी और त्रिवेंद्र के बीच दूरी की चर्चा
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Published : Oct 18, 2022, 8:01 PM IST

Updated : Oct 18, 2022, 11:04 PM IST

देहरादून: राजनीतिक दलों में आपसी गुटबाजी कोई नई बात नहीं है. वहीं, इन दिनों उत्तराखंड भाजपा के भीतर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह के बीच दूरियों की खबरें चर्चाओं में हैं. खास बात यह है कि इस आम चर्चा को कांग्रेस ने भी हवा देनी शुरू कर दी है और इसे भाजपा के भीतर शह और मात का खेल बता रही है.

धामी ने देवस्थानम बोर्ड का फैसला पलटा: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले त्रिवेंद्र सिंह सरकार में हुए देवस्थानम बोर्ड का फैसला पलट दिया था. तब भाजपा के ही मुख्यमंत्री का अपनी ही सरकार में पूर्व के फैसले को पलटने पर खूब बहस हुई थी, लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच मतभेद को लेकर कोई बात नहीं कही गई.

धामी और त्रिवेंद्र के बीच दूरी की चर्चाओं ने पकड़ा जोर

धामी और त्रिवेंद्र में दूरियां: हालांकि, 2022 में दोबारा भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूरियां त्रिवेंद्र सिंह रावत से बढ़ती हुई दिखाई दी. जिसकी राजनीतिक रूप से भी काफी चर्चाएं रही. खास तौर पर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में हुई परीक्षा के पेपर लीक मामले पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का खुलकर बोलना, इसकी बड़ी वजह माना गया. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के वह बयान जो धामी सरकार को मुश्किल में डालते दिखाई दिए.

त्रिवेंद्र रावत का बयान जो धामी सरकार के लिए बनी मुसीबत

  1. त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भंग करने की बात कहकर धामी सरकार को असमंजस में डाला.
  2. विधानसभा में भाई-भतीजावाद के तहत नौकरी देने के मामले की सीबीआई जांच कराने की बात कही.
  3. विधानसभा भर्तियों को सार्वजनिक रूप से नियमों के खिलाफ बताया था.
  4. उत्तराखंड पुलिस भर्ती से लेकर सभी विवादित भर्तियों पर खुलकर त्रिवेंद्र रावत ने जांच की मांग की.
  5. भर्तियों में गड़बड़ी पर बेरोजगारों के साथ धोखा होने की बात कहकर अपनी सरकार को घेरा.
  6. UKSSSC पेपर लीक मामले में जांच की सबसे पहले मांग उठाने की बात सार्वजनिक रूप से कहते दिखाई दिए त्रिवेंद्र.
  7. अंकिता भंडारी मामले पर भी सरकार को दी थी जल्दबाजी न करने की सलाह.

त्रिवेंद्र के बयानों से बढ़ी सरकार की मुश्किल: इन बयानों को लेकर चर्चाएं है कि भर्ती प्रकरण में त्रिवेंद्र सिंह रावत का जांच को लेकर मुखर होना धामी सरकार और उनके बीच दूरियां बढ़ाता चला गया. इतना ही नहीं विधानसभा में भाई भतीजावाद के तहत नौकरी देने के जिस मामले पर भाजपा नेताओं ने चुप्पी साधे रखी, उस पर भी त्रिवेंद्र रावत ने विधानसभा अध्यक्ष से लेकर सभी को नसीहत दे डाली.

त्रिवेंद्र-धामी की दूरी पर कांग्रेस की चुटकी: अंकिता भंडारी मामले पर भी त्रिवेंद्र रावत चुप नहीं रहे. यही नहीं विधानसभा भर्ती घोटाले पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के कड़े फैसले पर त्रिवेंद्र सिंह उनके साथ खड़े दिखाई दिए. यह वह स्थिति थी जब धामी सरकार की छवि जनता में खराब हो रही थी और ऋतु खंडूड़ी ने राजनीतिक रूप से एक ईमानदार छवि को विकसित करते दिखाई दे रही थी. वहीं, इन धामी और त्रिवेंद्र के बीच दूरियों और राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर कांग्रेस चुटकी लेती नजर आ रही है. कांग्रेस नेताओं की माने तो प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत सीधे तौर पर आमने-सामने हैं. बीजेपी में अब लड़ाई शह और मात की तरफ बढ़ रही है.
ये भी पढ़ें: अंकिता हत्याकांड: तिरंगा यात्रा के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प, हिरासत में 32 लोग

त्रिवेंद्र के दिल्ली दौरे से बढ़ी टेंशन: प्रदेश में भर्ती घोटालों और भाई भतीजावाद में फंसी भाजपा सरकार मुश्किल में दिखाई दे रही थी, तो त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मिलकर इस मामले पर चर्चा करने को लेकर सुर्खियों में थे. राजनीतिक रूप से आम चर्चा थी कि त्रिवेंद्र सिंह रावत विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर अपने मुख्यमंत्री रहते हुए स्टैंड को हाईकमान को बताने पहुंचे थे.

विधानसभा भर्ती पर त्रिवेंद्र ने उठाए सवाल: यही नहीं उन्होंने यह कहकर धामी सरकार की परेशानियां बढ़ा दी कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा में हुई भाई भतीजावाद वाली इस भर्ती के खिलाफ बकायदा आदेश दिया था, जिसे बाद में कैसे स्वीकृति मिली कोई नहीं जानता. हालांकि, भर्ती घोटालों को लेकर जिस तरह विवाद चल रहा है, उस पर जानकार कहते हैं कि राजनीतिक रूप से इन मामलों को इससे नहीं जोड़ना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से भर्ती में गड़बड़ी को लेकर जो सही दिशा चल रही है, उस पर इसका असर हो सकता है.

वहीं, मौजूदा सरकार में ऐसे कई मौके आए, जब राजनीतिक रूप से यह चर्चाएं रही कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भी राजनीतिक माहौल तैयार किया जा रहा है. कौन से थे वह मामले और क्या रही चर्चाएं जानिए.

त्रिवेंद्र के खिलाफ धामी सरकार ने बनाया राजनीतिक माहौल

  1. देवस्थानम बोर्ड का फैसला पलटने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत बैकफुट पर नजर आए.
  2. UKSSSC पेपर लीक मामले में त्रिवेंद्र सिंह रावत के जांच की मांग करने पर हाकम सिंह का नाम उनसे जोड़ा गया.
  3. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह की विधानसभा रही डोईवाला विधानसभा के एक बड़े व्यवसायी के खिलाफ सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की.
  4. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील पर भी मामला लटका, सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में इंजीनियर को निलंबित किया.

त्रिवेंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट पर जांच: मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी विधानसभा डोईवाला के लिए सूर्यधार झील का प्रोजेक्ट तैयार करवाया और इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में आगे बढ़ाया, लेकिन यह प्रोजेक्ट आज तक लटका हुआ है. हालांकि, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सबसे पहले इस प्रोजेक्ट की खिलाफत शुरू की और इसमें कई घपले घोटाले होने की बात कहकर जांच बैठाई. जिस पर आज तक कार्रवाई जारी है.

हालांकि, कांग्रेस की धामी-त्रिवेंद्र के बीच की दूरियों की बातें को भाजपा खारिज कर रही है. भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के भीतर इतना कुछ पक रहा है कि उन्हें पहले अपने दिल की चिंता होनी चाहिए. भाजपा में कभी आपसी मनमुटाव नहीं होता और सरकार के साथ ही संगठन भी केवल विकास के कार्य को आगे बढ़ाने में ही लगे रहते हैं.

देहरादून: राजनीतिक दलों में आपसी गुटबाजी कोई नई बात नहीं है. वहीं, इन दिनों उत्तराखंड भाजपा के भीतर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह के बीच दूरियों की खबरें चर्चाओं में हैं. खास बात यह है कि इस आम चर्चा को कांग्रेस ने भी हवा देनी शुरू कर दी है और इसे भाजपा के भीतर शह और मात का खेल बता रही है.

धामी ने देवस्थानम बोर्ड का फैसला पलटा: उत्तराखंड में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालते ही पुष्कर सिंह धामी ने सबसे पहले त्रिवेंद्र सिंह सरकार में हुए देवस्थानम बोर्ड का फैसला पलट दिया था. तब भाजपा के ही मुख्यमंत्री का अपनी ही सरकार में पूर्व के फैसले को पलटने पर खूब बहस हुई थी, लेकिन इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच मतभेद को लेकर कोई बात नहीं कही गई.

धामी और त्रिवेंद्र के बीच दूरी की चर्चाओं ने पकड़ा जोर

धामी और त्रिवेंद्र में दूरियां: हालांकि, 2022 में दोबारा भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की दूरियां त्रिवेंद्र सिंह रावत से बढ़ती हुई दिखाई दी. जिसकी राजनीतिक रूप से भी काफी चर्चाएं रही. खास तौर पर उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में हुई परीक्षा के पेपर लीक मामले पर पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का खुलकर बोलना, इसकी बड़ी वजह माना गया. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के वह बयान जो धामी सरकार को मुश्किल में डालते दिखाई दिए.

त्रिवेंद्र रावत का बयान जो धामी सरकार के लिए बनी मुसीबत

  1. त्रिवेंद्र रावत ने उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को भंग करने की बात कहकर धामी सरकार को असमंजस में डाला.
  2. विधानसभा में भाई-भतीजावाद के तहत नौकरी देने के मामले की सीबीआई जांच कराने की बात कही.
  3. विधानसभा भर्तियों को सार्वजनिक रूप से नियमों के खिलाफ बताया था.
  4. उत्तराखंड पुलिस भर्ती से लेकर सभी विवादित भर्तियों पर खुलकर त्रिवेंद्र रावत ने जांच की मांग की.
  5. भर्तियों में गड़बड़ी पर बेरोजगारों के साथ धोखा होने की बात कहकर अपनी सरकार को घेरा.
  6. UKSSSC पेपर लीक मामले में जांच की सबसे पहले मांग उठाने की बात सार्वजनिक रूप से कहते दिखाई दिए त्रिवेंद्र.
  7. अंकिता भंडारी मामले पर भी सरकार को दी थी जल्दबाजी न करने की सलाह.

त्रिवेंद्र के बयानों से बढ़ी सरकार की मुश्किल: इन बयानों को लेकर चर्चाएं है कि भर्ती प्रकरण में त्रिवेंद्र सिंह रावत का जांच को लेकर मुखर होना धामी सरकार और उनके बीच दूरियां बढ़ाता चला गया. इतना ही नहीं विधानसभा में भाई भतीजावाद के तहत नौकरी देने के जिस मामले पर भाजपा नेताओं ने चुप्पी साधे रखी, उस पर भी त्रिवेंद्र रावत ने विधानसभा अध्यक्ष से लेकर सभी को नसीहत दे डाली.

त्रिवेंद्र-धामी की दूरी पर कांग्रेस की चुटकी: अंकिता भंडारी मामले पर भी त्रिवेंद्र रावत चुप नहीं रहे. यही नहीं विधानसभा भर्ती घोटाले पर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी के कड़े फैसले पर त्रिवेंद्र सिंह उनके साथ खड़े दिखाई दिए. यह वह स्थिति थी जब धामी सरकार की छवि जनता में खराब हो रही थी और ऋतु खंडूड़ी ने राजनीतिक रूप से एक ईमानदार छवि को विकसित करते दिखाई दे रही थी. वहीं, इन धामी और त्रिवेंद्र के बीच दूरियों और राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर कांग्रेस चुटकी लेती नजर आ रही है. कांग्रेस नेताओं की माने तो प्रदेश में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और त्रिवेंद्र सिंह रावत सीधे तौर पर आमने-सामने हैं. बीजेपी में अब लड़ाई शह और मात की तरफ बढ़ रही है.
ये भी पढ़ें: अंकिता हत्याकांड: तिरंगा यात्रा के दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प, हिरासत में 32 लोग

त्रिवेंद्र के दिल्ली दौरे से बढ़ी टेंशन: प्रदेश में भर्ती घोटालों और भाई भतीजावाद में फंसी भाजपा सरकार मुश्किल में दिखाई दे रही थी, तो त्रिवेंद्र सिंह रावत दिल्ली में पार्टी के बड़े नेताओं से मिलकर इस मामले पर चर्चा करने को लेकर सुर्खियों में थे. राजनीतिक रूप से आम चर्चा थी कि त्रिवेंद्र सिंह रावत विधानसभा में हुई भर्तियों को लेकर अपने मुख्यमंत्री रहते हुए स्टैंड को हाईकमान को बताने पहुंचे थे.

विधानसभा भर्ती पर त्रिवेंद्र ने उठाए सवाल: यही नहीं उन्होंने यह कहकर धामी सरकार की परेशानियां बढ़ा दी कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए विधानसभा में हुई भाई भतीजावाद वाली इस भर्ती के खिलाफ बकायदा आदेश दिया था, जिसे बाद में कैसे स्वीकृति मिली कोई नहीं जानता. हालांकि, भर्ती घोटालों को लेकर जिस तरह विवाद चल रहा है, उस पर जानकार कहते हैं कि राजनीतिक रूप से इन मामलों को इससे नहीं जोड़ना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से भर्ती में गड़बड़ी को लेकर जो सही दिशा चल रही है, उस पर इसका असर हो सकता है.

वहीं, मौजूदा सरकार में ऐसे कई मौके आए, जब राजनीतिक रूप से यह चर्चाएं रही कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ भी राजनीतिक माहौल तैयार किया जा रहा है. कौन से थे वह मामले और क्या रही चर्चाएं जानिए.

त्रिवेंद्र के खिलाफ धामी सरकार ने बनाया राजनीतिक माहौल

  1. देवस्थानम बोर्ड का फैसला पलटने पर त्रिवेंद्र सिंह रावत बैकफुट पर नजर आए.
  2. UKSSSC पेपर लीक मामले में त्रिवेंद्र सिंह रावत के जांच की मांग करने पर हाकम सिंह का नाम उनसे जोड़ा गया.
  3. पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह की विधानसभा रही डोईवाला विधानसभा के एक बड़े व्यवसायी के खिलाफ सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की.
  4. पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के ड्रीम प्रोजेक्ट सूर्यधार झील पर भी मामला लटका, सरकार ने भ्रष्टाचार के मामले में इंजीनियर को निलंबित किया.

त्रिवेंद्र का ड्रीम प्रोजेक्ट पर जांच: मुख्यमंत्री रहते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपनी विधानसभा डोईवाला के लिए सूर्यधार झील का प्रोजेक्ट तैयार करवाया और इसे अपना ड्रीम प्रोजेक्ट के रूप में आगे बढ़ाया, लेकिन यह प्रोजेक्ट आज तक लटका हुआ है. हालांकि, सिंचाई मंत्री सतपाल महाराज ने सबसे पहले इस प्रोजेक्ट की खिलाफत शुरू की और इसमें कई घपले घोटाले होने की बात कहकर जांच बैठाई. जिस पर आज तक कार्रवाई जारी है.

हालांकि, कांग्रेस की धामी-त्रिवेंद्र के बीच की दूरियों की बातें को भाजपा खारिज कर रही है. भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के भीतर इतना कुछ पक रहा है कि उन्हें पहले अपने दिल की चिंता होनी चाहिए. भाजपा में कभी आपसी मनमुटाव नहीं होता और सरकार के साथ ही संगठन भी केवल विकास के कार्य को आगे बढ़ाने में ही लगे रहते हैं.

Last Updated : Oct 18, 2022, 11:04 PM IST
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