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अब लाइसेंस बनवाने के लिए नहीं चलेगा जुगाड़, 15 अगस्त से सभी को देना होगा टेस्ट

प्रदेश में फिलहाल परिवहन विभाग के कार्यालयों में लाइसेंस बनाने के लिए टेस्ट दिया जाता है. लेकिन देखा जाता है कि टेस्ट पास करने के लिए विभागीय कर्मचारियों द्वारा सहयोग किया जाता है.

लाइसेंस बनवाने के लिए नहीं चलेगा जुगाड़.
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Published : Apr 19, 2019, 11:39 AM IST

Updated : Apr 19, 2019, 11:58 AM IST

देहरादून: आरटीओ कार्यालय में अब ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए किसी भी प्रकार की सिफारिश नहीं चलेगी. आरटीओ कार्यालय में अब कंप्यूटर के नतीजे के बाद ही सफल आवेदकों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे. परिवहन विभाग,आईडीटीआर और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर इस योजना को 15 अगस्त से लाने की तैयारी में जुटा है.

प्रदेश में फिलहाल परिवहन विभाग के कार्यालयों में लाइसेंस बनाने के लिए टेस्ट दिया जाता है. लेकिन देखा जाता है कि टेस्ट पास करने के लिए विभागीय कर्मचारियों द्वारा सहयोग किया जाता है. हालांकि कुछ समय पहले परिवहन विभाग ने पर्वतीय वाहनों के लाइसेंस के लिए आरटीडीआर प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन इसमें भी सिफारिश के कारण टेस्ट पास करने की गुंजाइश रहती थी.

जिसके बाद अब परिवहन विभाग, आरटीडीआर और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर भारी वाहन के लाइसेंस के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं. इस योजना को ट्रायल के तौर पर 1 जुलाई से शुरू किया जाएगा.

आरटीओ अरविंद पांडे ने बताया की इस व्यवस्था को लाने के लिए परिवहन विभाग इंस्टिट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च और माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर कार्य कर रहा है. उन्होंने बताया कि इस योजना को 1 जुलाई से ट्रायल मोड़ करने के बाद 15 अगस्त से विधिवत तरीके से शुरू किया जाएगा.

इस योजना के तहत वाहन के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. यह कैमरे कंप्यूटर से कनेक्ट रहेंगे. टेस्ट के दौरान ड्राइवर की पूरी रिकॉर्डिंग की जाएगी. साथ ही यह भी देखा जाएगा कि ड्राइवर ने सीट बेल्ट बांधी है या नहीं.

देहरादून: आरटीओ कार्यालय में अब ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए किसी भी प्रकार की सिफारिश नहीं चलेगी. आरटीओ कार्यालय में अब कंप्यूटर के नतीजे के बाद ही सफल आवेदकों को लाइसेंस जारी किए जाएंगे. परिवहन विभाग,आईडीटीआर और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर इस योजना को 15 अगस्त से लाने की तैयारी में जुटा है.

प्रदेश में फिलहाल परिवहन विभाग के कार्यालयों में लाइसेंस बनाने के लिए टेस्ट दिया जाता है. लेकिन देखा जाता है कि टेस्ट पास करने के लिए विभागीय कर्मचारियों द्वारा सहयोग किया जाता है. हालांकि कुछ समय पहले परिवहन विभाग ने पर्वतीय वाहनों के लाइसेंस के लिए आरटीडीआर प्रक्रिया शुरू की थी. लेकिन इसमें भी सिफारिश के कारण टेस्ट पास करने की गुंजाइश रहती थी.

जिसके बाद अब परिवहन विभाग, आरटीडीआर और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर भारी वाहन के लाइसेंस के लिए सॉफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं. इस योजना को ट्रायल के तौर पर 1 जुलाई से शुरू किया जाएगा.

आरटीओ अरविंद पांडे ने बताया की इस व्यवस्था को लाने के लिए परिवहन विभाग इंस्टिट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च और माइक्रोसॉफ्ट के साथ मिलकर कार्य कर रहा है. उन्होंने बताया कि इस योजना को 1 जुलाई से ट्रायल मोड़ करने के बाद 15 अगस्त से विधिवत तरीके से शुरू किया जाएगा.

इस योजना के तहत वाहन के अंदर और बाहर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएंगे. यह कैमरे कंप्यूटर से कनेक्ट रहेंगे. टेस्ट के दौरान ड्राइवर की पूरी रिकॉर्डिंग की जाएगी. साथ ही यह भी देखा जाएगा कि ड्राइवर ने सीट बेल्ट बांधी है या नहीं.

Intro:आरटीओ कार्यालय में अब ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के लिए किसी भी प्रकार की सिफारिश नहीं चलेगी। आरटीओ कार्यालय में अब कंप्यूटर चेक क्या क्या करेगा।और कंप्यूटर के नतीजे के बाद ही सफल आवेदकों को लाइसेंस जारी किया जाए करेगा। परिवहन विभाग,आईडीटीआर और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर इस योजना को 15 अगस्त से लाने की तैयारी में जुट गया है


Body:प्रदेश में फिलहाल परिवहन विभाग के कार्यालयों में लाइसेंस बनाने के लिए टेस्ट दिया जाता है।और टेस्ट पास करने के लिए विभाग कर्मचारी के पास ही सारी कमान होती है। और अगर किसी की विभाग में थोड़ी बहुत जान पहचान हो और वाहन चलाना आता हो तो उसे विभाग कर्मचारी द्वारा पास कर दिया जाता है और कुछ समय बाद पास कर्ता को लाइसेंस दे दिया जाता है। हालांकि कुछ समय पहले परिवहन विभाग ने पर्वतीय वाहनों के लाइसेंस के लिए आरटीडीआर प्रक्रिया शुरू की थी इसमें आरटीडीआर पूरा ट्रैक बना हुआ है जिसमें प्रवर्तीय मार्गों की तरह टेढ़े मोड चढ़ाई और ढलान आदि बनाए गए हैं। इसमें भी सिफारिश के कारण गलती होने पर भी टेस्ट पास करने की गुंजाइश रहती थी। लेकिन अब परिवहन विभाग, आरटीडीआर और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर सॉफ्टवेयर से शुरुआती तौर पर भारी वाहन के लाइसेंस के लिए तैयार किया जा रहा है। इस योजना को ट्रायल के तौर पर 1 जुलाई से शुरू किया जाएगा और फिर विधिवत रूप से आरंभ कर दिया जाएगा।


Conclusion:आरटीओ अरविंद पांडे ने बताया की इस व्यवस्था को लाने के लिए परिवहन विभाग इंस्टिट्यूट ऑफ़ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर योजना लाने की कोशिश की जा रही है।इस योजना को 1 जुलाई से ट्रायल मोड़ करने के बाद 15 अगस्त से विधिवत तरीके से शुरू किया जाएगा। इस योजना के तहत वाहन के अंदर और बाहर सीसी कैमरे लगाए जाएंगे।यह कैमरे कंप्यूटर से कनेक्ट रहेंगे टेस्ट के दौरान ड्राइवर की पूरी रिकॉर्डिंग की जाएगी और देखा जाएगा कि ड्राइवर ने सीट बेल्ट बांधी है या नहीं।

विसुल मेल किये है।मेल से उठाने की कृपा करें।
Last Updated : Apr 19, 2019, 11:58 AM IST
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