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प्रशासन की लापरवाही ने ले ली एक मासूम की जान, उजड़ गया पूरा परिवार, देखिए ये रिपोर्ट - उत्तराखंड न्यूज

तीर्थनगरी में 7 सितंबर को नगर निगम की संयुक्त टीम ने चंद्रभागा नदी किनारे बसी झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद वहां रहने वाले परिवार बिना छत के रहने को मजबूर हो गए. वहीं, स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते कई लोग बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं. साथ ही एक बच्ची इस बीमारी की चपेट में आकर मौत के आगोश में समा गई.

प्रशासन की लापरवाही ने लील ली एक मासूम की जान.
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Published : Sep 10, 2019, 6:05 PM IST

Updated : Sep 10, 2019, 7:54 PM IST

ऋषिकेश: प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लाख दावे पेश करती हो, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है. ताजा मामला तीर्थनगरी की चंद्रभागा नदी किनारे बसी बस्ती का है, जहां प्रशासन ने नदी किनारे बसी बस्तियों को तोड़ दिया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं को देना भूल गई. जिस कारण प्रशासन की ये लापरवाही बस्तियों में रहने वाले लोगों के ऊपर भारी पड़ रही है. स्थानीय लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण लगातार बीमार हो रहे हैं. वहीं, इस बीमारी के कारण एक बच्ची काल के गाल में समा गई.

प्रशासन की लापरवाही ने लील ली एक मासूम की जान.

दरअसल, 7 सितंबर को एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम की टीम ने चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झोपड़ियों को तोड़ दिया था. जिसके बाद वहां रहने वाले लोगों के ऊपर न छत है और ना खाने को रोटी. यही कारण है कि वहां बच्चों के साथ-साथ बड़े बुजुर्ग भी लगातार बीमार हो रहे हैं.

वहीं स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की अनदेखी के कारण लगातार बीमारियों के चलते एक 5 साल की मासूम बच्ची की मौत भी हो गई. उसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे अभी भी लोग लगातार बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं.

बस्ती में रहने वाले मुन्ना सिंह के पास जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो उनके आंसुओं ने प्रशासन की लापरवाही सामने ला दिया. उन्होंने बताया कि जिस दिन नगर निगम ने उनकी बस्ती को उजाड़ा उस दिन उनकी 5 वर्ष की पोती बीमारी से उभरी थी. बस्ती टूटने की वजह से घर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. सभी लोग अपना सामान लेकर सुरक्षित स्थान पर जाने लगे. इस आपाधापी में उनकी पोती अचानक बीमार हो गई. जब तक उसकी बीमारी का पता चलता तब तक उसने दम तोड़ दिया था.

ये भी पढ़ें: Etv भारत की खबर का बड़ा असर, स्कूली बसों के खिलाफ चला अभियान

मुन्ना राजभर ने रोते हुए बताया कि उनकी पोती की मौत के बाद उसकी दादी की भी हालत बेहद नाजुक हो गई. उनको गंभीर हालत में एम्स ऋषिकेश में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है. मुन्ना राजभर के परिवार की हालत ये हो गई है कि उनकी बहू बच्चे की मौत के बाद सदमे में हैं और वो कुछ भी नहीं बोल पा रहे हैं. यहां तक की उन्होंने 5 दिनों से अन्न जल भी त्याग दिया है.

ऋषिकेश में NGT के आदेश के बाद नगर निगम ने अगस्त माह में चंद्रभागा नदी किनारे बसी झोपड़ियों को एक माह में हटाने का नोटिस दिया था. उसके बाद 7 सितंबर को नगर निगम ने उन झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद वहां रहने वाले परिवार और उनके बच्चे सड़क पर आ गए. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये हालत होने के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी लापरवाह बना बैठा हुआ है. अब सवाल उठता है कि एक बच्चे की मौत का जिम्मेदार कौन है और कौन उस परिवार की किलकारी को वापस ला पाएगा.

ऋषिकेश: प्रदेश सरकार भले ही स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर लाख दावे पेश करती हो, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है. ताजा मामला तीर्थनगरी की चंद्रभागा नदी किनारे बसी बस्ती का है, जहां प्रशासन ने नदी किनारे बसी बस्तियों को तोड़ दिया, लेकिन स्वास्थ्य सुविधाओं को देना भूल गई. जिस कारण प्रशासन की ये लापरवाही बस्तियों में रहने वाले लोगों के ऊपर भारी पड़ रही है. स्थानीय लोग स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी के कारण लगातार बीमार हो रहे हैं. वहीं, इस बीमारी के कारण एक बच्ची काल के गाल में समा गई.

प्रशासन की लापरवाही ने लील ली एक मासूम की जान.

दरअसल, 7 सितंबर को एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम की टीम ने चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झोपड़ियों को तोड़ दिया था. जिसके बाद वहां रहने वाले लोगों के ऊपर न छत है और ना खाने को रोटी. यही कारण है कि वहां बच्चों के साथ-साथ बड़े बुजुर्ग भी लगातार बीमार हो रहे हैं.

वहीं स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन की अनदेखी के कारण लगातार बीमारियों के चलते एक 5 साल की मासूम बच्ची की मौत भी हो गई. उसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया, जिससे अभी भी लोग लगातार बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं.

बस्ती में रहने वाले मुन्ना सिंह के पास जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो उनके आंसुओं ने प्रशासन की लापरवाही सामने ला दिया. उन्होंने बताया कि जिस दिन नगर निगम ने उनकी बस्ती को उजाड़ा उस दिन उनकी 5 वर्ष की पोती बीमारी से उभरी थी. बस्ती टूटने की वजह से घर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया. सभी लोग अपना सामान लेकर सुरक्षित स्थान पर जाने लगे. इस आपाधापी में उनकी पोती अचानक बीमार हो गई. जब तक उसकी बीमारी का पता चलता तब तक उसने दम तोड़ दिया था.

ये भी पढ़ें: Etv भारत की खबर का बड़ा असर, स्कूली बसों के खिलाफ चला अभियान

मुन्ना राजभर ने रोते हुए बताया कि उनकी पोती की मौत के बाद उसकी दादी की भी हालत बेहद नाजुक हो गई. उनको गंभीर हालत में एम्स ऋषिकेश में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है. मुन्ना राजभर के परिवार की हालत ये हो गई है कि उनकी बहू बच्चे की मौत के बाद सदमे में हैं और वो कुछ भी नहीं बोल पा रहे हैं. यहां तक की उन्होंने 5 दिनों से अन्न जल भी त्याग दिया है.

ऋषिकेश में NGT के आदेश के बाद नगर निगम ने अगस्त माह में चंद्रभागा नदी किनारे बसी झोपड़ियों को एक माह में हटाने का नोटिस दिया था. उसके बाद 7 सितंबर को नगर निगम ने उन झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया था, जिसके बाद वहां रहने वाले परिवार और उनके बच्चे सड़क पर आ गए. स्थानीय लोगों का आरोप है कि ये हालत होने के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग भी लापरवाह बना बैठा हुआ है. अब सवाल उठता है कि एक बच्चे की मौत का जिम्मेदार कौन है और कौन उस परिवार की किलकारी को वापस ला पाएगा.

Intro:Special

ऋषिकेश-- प्रशासन की लापरवाही के कारण चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती मैं लगातार बीमारी फैल रही है अभी तक 4 से 5 बच्चे बीमार हो चुके हैं वहीं एक बच्चे की बीमारी के चलते मौत हो चुकी है दरअसल 7 सितंबर को एनजीटी के आदेश के बाद नगर निगम की टीम ने चंद्रभागा नदी के किनारे बसी झोपड़ियों को तोड़ दिया था जिसके बाद वहां रहने वाले लोगों के ऊपर ना छत है ना खाने को रोटी ना सोने को बिस्तर यही कारण है कि वहां बच्चों के साथ-साथ बड़े बुजुर्ग भी लगातार बीमार हो रहे हैं।


Body:वी/ओ--तीर्थनगरी ऋषिकेश में 7 सितंबर को नगरनिगम की संयुक्त टीम द्वारा चंद्रभागा में बसी झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया गया , जिसके बाद वहां रहने वाले परिवार बिना छत के अनाथ से हो गए । साथ ही धूप बारिश में तप कर , भूखे - प्यासे बीमारियों का शिकार हो गए,स्वास्थ्य विभाग व प्रशासन की अनदेखी के कारण लगातार बीमारियों के चलते एक 5 साल की मासूम बच्चे की मौत भी हो गई । उसके बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग व स्थानीय प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया जिससे अभी भी लगातार लोग बीमारियों से ग्रसित हैं और वहीं बस्ती के लोग भुखमरी के कगार पर पंहुच चुके है । 


वी/ओ-- बस्ती में रहने वाले मुन्ना सिंह के पास जब ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो वे अपने आंसुओं को रोक नहीं पाए और उन्होंने आपबीती बताते हुए कहा कि जिस दिन नगर निगम ने उनकी बस्ती को उजाड़ा उस दिन उनकी 5 वर्ष की पोती बीमारी से उभरी थी और हंस खेल रही थी तभी बस्ती टूटने की वजह से घर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया सभी लोग अपना अपना सामान लेकर सुरक्षित स्थान पर जाने लगे इस आपाधापी में उनकी पोती अचानक बीमार हो गई जब तक उसकी बीमारी का हाल जान पाते तब तक उसने दम तोड़ दिया था मुन्ना राजभर ने रोते हुए बताया कि उनकी पोती की मौत के बाद उसकी दादी की भी हालत बेहद नाजुक हो गई और उसको गंभीर हालत में एम्स ऋषिकेश में उपचार के लिए भर्ती कराया गया है मुन्ना राजभर के परिवार की हालत यह हो गई है कि उनकी बहू बच्चे की मौत के बाद सदमे में हैं और वह कुछ भी नहीं बोल पा रही है यहां तक कि 5 दिनों से उसने अन्य जल भी त्याग दिया है।


वी/ओ-- चंद्रभागा नदी के किनारे बसी बस्ती में 80 परिवारों को उजाड़ दिया गया है इन परिवारों के उजड़ने के बाद सिर्फ मुन्ना राजभर का परिवार ही नहीं बल्कि कई परिवारों के सामने संकट खड़ा हुए हैं बस्ती में 4 से 5 बच्चे बीमार हो चुके हैं जिनको उपचार के लिए चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है वहीं कई बुजुर्ग और महिलाएं भी बीमारी से ग्रसित हैं बस्ती के लोगों की यह हालत होने के बावजूद भी स्थानीय प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है वहीं स्वास्थ्य विभाग भी लापरवाह बैठा है इतना ही नहीं अभी तक चंद्रभागा बस्ती में बसे लोगों की हालत जानने के लिए कोई भी सरकारी नुमाइंदा या फिर कोई बड़ा नेता नहीं पहुंचा है हालांकि वोट लेने के लिए सब लोग बस्ती का रुख करते हैं। आज वहां पर रहने वाले लोगों की हालत यह हो गई है कि उनको खुले में धूप और बारिश में ही अपना जीवन बिताना पड़ा रहा है।


Conclusion:वी/ओ--ऋषिकेश में NGT के आदेश के बाद नगर निगम ने अगस्त माह में चंद्रभागा में बसी झोपड़ियों को एक माह का झोपड़ियां हटाने का नोटिस दिया, उसके बाद 7 सितंबर को नगर निगम द्वारा उन झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया गया,जिसके बाद वहां रहने वाले परिवार व उनके बच्चे सड़क पर आ गए, जिसके लिए शासन -प्रशासन ने स्वास्थ्य , खाने रहने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की,जिससे झोपड़ी ध्वस्त होने के बाद लगातार वहां रहने वाला परिवार भूखे - प्यासे सड़कों पर आ गया है,जिस कारण लगातार बीमारी का शिकार हो रहे हैं।

बाईट--मुन्ना राजभर(मृतक बच्ची के दादा)
बाईट--स्थानीय
बाईट--स्थानीय
वाकथ्रू--विनय पाण्डेय ऋषिकेश

Last Updated : Sep 10, 2019, 7:54 PM IST
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