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उत्तराखंड: छात्रों और शिक्षकों के बीच गैप को दूर करने में लगी सरकार, पिछली सरकार पर लगाया ये आरोप

पहाड़ों पर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति ये है कि कहीं पढ़ने के लिए बच्चे नहीं हैं तो कहीं पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत
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Published : Aug 24, 2019, 8:58 PM IST

Updated : Aug 24, 2019, 10:05 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड राज्य बनने के बाद प्रदेश ने विकास के कई नए आयाम छुए. अगर कुछ नहीं बदला है तो वह है प्रदेश की शिक्षा प्रणाली, जो आज भी पुराने ढर्रे पर चल रही है. आज भी ट्रांसफर एक्ट और सुगम-दुर्गम की खिचड़ी में शिक्षकों और खासकर पहाड़ी अंचलों के छात्रों का भविष्य गर्त में है. हालांकि, सूबे के शिक्षा मंत्री और खुद मुख्यमंत्री का कहना है कि अच्छे दिन आएंगे, लेकिन कब आएंगे यह कोई नहीं जानता.

उत्तराखंड के बेबस शिक्षा तंत्र की वजह से बीते साल जनता दरबार में शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच विवाद हुआ था. आज भी उत्तराखंड के ऐसे कई पहाड़ी जिले हैं, जहां के दुर्गम सीमांत गांव में शिक्षक और छात्र सालों पुरानी व्यवस्था के साथ चल रहे है. यानी कि अगर कोई शिक्षक आज से 15 साल पहले भी उत्तरकाशी या पिथौरागढ़ जिले के दुर्गम इलाके में था तो वह आज भी वहीं रहने को मजबूर है. हालांकि, वो उम्मीद पाले जरूर बैठा है कि कभी तो सरकार उसकी सुध लेगी और उसका ट्रांसफर किसी सुगम इलाके में होगा.

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पहाड़ों पर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति ये है कि कही पढ़ने के लिए बच्चे नहीं है तो कहीं पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है. किसी स्कूल में पांच बच्चों पर 11 अध्यापक हैं तो 100 से बच्चों पर दो ही टीचर. इस तरह की खबर उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली में अक्सर सुर्खियां बनती हैं. हालांकि सरकार ने शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए कुछ परिवर्तन जरूर किया था. इसके लिए ट्रांसफर एक्ट में भी कुछ बदलाव भी किए गए थे.

सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि शिक्षा के अधिकार के मानकों के अनुसार आज उत्तराखंड में शिक्षकों की भारी समस्या है, लेकिन उन्होंने कहा कि समस्या अचानक नहीं खड़ी हुई है. यह पिछले कई सालों से धीरे-धीरे बढ़ती आ जा रही है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की संख्या में आई यह विसंगति जल्दी विभाग दूर करेगा. साथ ही शिक्षकों की कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग में जल्द ही नई भर्तियां भी शुरू की जाएंगी.

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प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि पिछली सरकार में एक गलत शासनादेश की वजह से शिक्षा विभाग में तमाम तरह की विसंगतियां सामने आ रही हैं. पिछली सरकार जाते-जाते 500 से ज्यादा शिक्षकों को पहाड़ से नीचे उतार कर चली गई थी. जिसके दुष्परिणाम आज हम सबके सामने हैं.

सीएम ने कहा कि एक्ट के अलावा तमाम तरह की तकनीकी समस्या पुरानी सरकार खड़ी करके गई है. जिसको लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को इन विसंगतियों को खत्म करने के निर्देश दिए हैं. जल्द ही सरकार इस समस्या का समाधान निकाल लेगी.

देहरादून: उत्तराखंड राज्य बनने के बाद प्रदेश ने विकास के कई नए आयाम छुए. अगर कुछ नहीं बदला है तो वह है प्रदेश की शिक्षा प्रणाली, जो आज भी पुराने ढर्रे पर चल रही है. आज भी ट्रांसफर एक्ट और सुगम-दुर्गम की खिचड़ी में शिक्षकों और खासकर पहाड़ी अंचलों के छात्रों का भविष्य गर्त में है. हालांकि, सूबे के शिक्षा मंत्री और खुद मुख्यमंत्री का कहना है कि अच्छे दिन आएंगे, लेकिन कब आएंगे यह कोई नहीं जानता.

उत्तराखंड के बेबस शिक्षा तंत्र की वजह से बीते साल जनता दरबार में शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के बीच विवाद हुआ था. आज भी उत्तराखंड के ऐसे कई पहाड़ी जिले हैं, जहां के दुर्गम सीमांत गांव में शिक्षक और छात्र सालों पुरानी व्यवस्था के साथ चल रहे है. यानी कि अगर कोई शिक्षक आज से 15 साल पहले भी उत्तरकाशी या पिथौरागढ़ जिले के दुर्गम इलाके में था तो वह आज भी वहीं रहने को मजबूर है. हालांकि, वो उम्मीद पाले जरूर बैठा है कि कभी तो सरकार उसकी सुध लेगी और उसका ट्रांसफर किसी सुगम इलाके में होगा.

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पहाड़ों पर सरकारी स्कूलों में शिक्षा की स्थिति ये है कि कही पढ़ने के लिए बच्चे नहीं है तो कहीं पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है. किसी स्कूल में पांच बच्चों पर 11 अध्यापक हैं तो 100 से बच्चों पर दो ही टीचर. इस तरह की खबर उत्तराखंड की शिक्षा प्रणाली में अक्सर सुर्खियां बनती हैं. हालांकि सरकार ने शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए कुछ परिवर्तन जरूर किया था. इसके लिए ट्रांसफर एक्ट में भी कुछ बदलाव भी किए गए थे.

सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि शिक्षा के अधिकार के मानकों के अनुसार आज उत्तराखंड में शिक्षकों की भारी समस्या है, लेकिन उन्होंने कहा कि समस्या अचानक नहीं खड़ी हुई है. यह पिछले कई सालों से धीरे-धीरे बढ़ती आ जा रही है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की संख्या में आई यह विसंगति जल्दी विभाग दूर करेगा. साथ ही शिक्षकों की कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग में जल्द ही नई भर्तियां भी शुरू की जाएंगी.

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प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने कहा कि पिछली सरकार में एक गलत शासनादेश की वजह से शिक्षा विभाग में तमाम तरह की विसंगतियां सामने आ रही हैं. पिछली सरकार जाते-जाते 500 से ज्यादा शिक्षकों को पहाड़ से नीचे उतार कर चली गई थी. जिसके दुष्परिणाम आज हम सबके सामने हैं.

सीएम ने कहा कि एक्ट के अलावा तमाम तरह की तकनीकी समस्या पुरानी सरकार खड़ी करके गई है. जिसको लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिकारियों को इन विसंगतियों को खत्म करने के निर्देश दिए हैं. जल्द ही सरकार इस समस्या का समाधान निकाल लेगी.

Intro:एंकर- उत्तराखंड राज्य गठन के बाद भले ही सूबे ने कई मायनों में विकास की रफ्तार पकड़ी हो, लेकिन आज तक अगर कुछ नहीं बदला है तो वह है प्रदेश की शिक्षा प्रणाली का वही पुराना ढर्रा। आज भी ट्रांसफर एक्ट और सुगम-दुर्गम की खिचड़ी में शिक्षकों और खासकर पहाड़ी अंचलों के छात्रों का भविष्य गर्त में है। हालांकि सूबे के शिक्षा मंत्री और खुद मुख्यमंत्री का कहना है कि अच्छे दिन आएंगे, लेकिन कब आएंगे यह कोई नहीं जानता...


Body:वीओ- बीते साल जनता दरबार में शिक्षिका उत्तरा पंत बहुगुणा और मुख्यमंत्री के बीच जन्मा बबाल बानगी है उत्तराखंड के बेबस शिक्षा तंत्र की। आज भी उत्तराखंड के ऐसे कहीं पहाड़ी जिले हैं जहां के दुर्गम सीमांत गांव में शिक्षक-छात्रों की दसियों साल पुरानी चली आ रही व्यवस्था चल रही है। यानी कि अगर कोई शिक्षक आज से 15 साल पहले भी उत्तरकाशी या पिथौरागढ़ जिले के दुर्गम इलाके में था तो वह आज भी वही कहीं सुविधाओं में स्थानांतरण की उम्मीद पाले इंतजार कर रहा है। कि कभी तो सरकार उसकी सुध लेगी और उसका ट्रांसफर किसी दूसरी जगह होगा।

पहाड़ों पर आलम यह है कि कहीं तो बच्चे है तो उन्हें पढ़ाने के लिए टीचर नहीं और कहीं 5 बच्चों पर 11 टीचर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इस तरह की अजीब शिक्षा प्रणाली की खबर अक्सर सुर्खियां बनती है और फिर सब भूल जाते हैं। लोग भले ही इन बातों को भूल जाएं लेकिन सरकार का दायित्व है कि वह पिछले कई सालों से चली आ रही इस शिक्षा प्रणाली के को बदलें और शिक्षा नीति में आमूलचूल परिवर्तन कर ट्रांसफर में जो अनियमितताएं हैं उन्हें सुधार करें प्रदेश की शिक्षा प्रणाली को दुरुस्त करें।

सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि शिक्षा के अधिकार के मानकों के अनुसार आज उत्तराखंड में शिक्षकों की भारी समस्या है। लेकिन उन्होंने कहा कि यह आज अचानक नहीं खड़ी हुई है यह पिछले कई सालों से धीरे-धीरे बढ़ती आ रही है। शिक्षा मंत्री ने हमारी इस बात पर खुद मुहर लगा दी कि आज कहीं टीचर ज्यादा है तो बच्चे कम। और कहीं बच्चे अधिक है तो वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों की संख्या बहुत कम है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि शिक्षकों की संख्या में आई यह विसंगति जल्दी विभाग द्वारा दूर की जाएगी ताकि इन हालातों से निपटा जा सके। साथ ही शिक्षकों की कमी को देखते हुए शिक्षा विभाग में जल्द ही नई भर्तियां भी शुरू की जाएंगी।
बाइट- अरविंद पांडे, शिक्षा मंत्री उत्तराखंड

वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत से जब हमने इस समस्या को लेकर सवाल किया तो उनका कहना है कि पिछली सरकार में शिक्षा विभाग को लेकर हुए एक गलत शासनादेश की वजह से यह तमाम तरह की विसंगतियां सामने आ रही है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार जाते-जाते 500 से ज्यादा शिक्षकों को पहाड़ से नीचे उतार कर चली गई जिसके दुष्परिणाम आज हम सबके सामने है। सीएम ने कहा कि एक्ट के अलावा तमाम तरह की तकनीक की समस्या पुरानी सरकार खड़ी करके गई है जिसको लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अधिकारियों को इन विसंगतियों को खत्म करने के निर्देश दिए हैं और जल्द ही सरकार इस समस्या का समाधान निकाल देगी।
बाइट - त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री उत्तराखंड


Conclusion:
Last Updated : Aug 24, 2019, 10:05 PM IST
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