देहरादून: देश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के उद्देश्य से एनसीईआरटी जल्द ही स्कूली छात्रों के लिए एक राष्ट्रीय स्तरीय पाठ्यक्रम यानी राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) तैयार करेगा. इसके लिए एनसीईआरटी की ओर से देश के सभी राज्यों से उनका राज्य स्तरीय सिलेबस मांगा गया है. बात उत्तराखंड राज्य की करें तो राज्य ने भी एनसीईआरटी को अपना सिलेबस भेजने की तैयारियां शुरू कर दी है. इसके तहत शिक्षा विभाग के विभिन्न अधिकारियों को नोडल अधिकारी बनाया गया है.
सीमा जौनसारी ने दी जानकारी
उत्तराखंड शिक्षा विभाग में निदेशक अकादमी शोध एवं प्रशिक्षण सीमा जौनसारी ने बताया कि एनसीईआरटी की ओर से उत्तराखंड राज्य को राज्य स्तरीय सिलेबस तैयार करने का आदेश मिल चुका है. इसके तहत स्कूल शिक्षा, शिक्षक शिक्षा प्रौढ़ शिक्षा और प्री स्कूल पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर दिए गए हैं. वहीं उत्तराखंड राज्य जल्द ही हिंदी भाषा में अपना राज्य स्तरीय पाठ्यक्रम तैयार कर एनसीईआरटी को भेज देगा.
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85 फीसद स्कूलों के सिलेबस बदल जाएंगे
गौरतलब है कि एनसीईआरटी की ओर से राष्ट्रीय करिकुलम फ्रेमवर्क लागू किए जाने पर उत्तराखंड राज्य के 85 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में पाठ्यक्रम पूरी तरीके से बदल जाएगा. इसकी बड़ी वजह यह है कि उत्तराखंड राज्य में ज्यादातर स्कूल या तो उत्तराखंड बोर्ड के अंतर्गत आते हैं या सीबीएसई बोर्ड के अंतर्गत. वहीं कुछ ही स्कूल ऐसे हैं जो आईसीएसई बोर्ड के अंतर्गत आते हैं, जिसमें एनसीईआरटी का सिलेबस लागू नहीं होता है.
आखिर क्यों पड़ गई राष्ट्रीय स्तरीय पाठ्यक्रम में बदलाव की जरूरत?
केंद्र सरकार की ओर से पिछले साल यानी 2020 में नई शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है. इसके बावजूद वर्तमान में देश के अधिकांश स्कूलों में एनसीईआरटी की ओर से साल 2005 में तैयार किया गया राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क ही लागू है. ऐसे में नई शिक्षा नीति के मापदंडों पर पूरी तरह खरा उतरने के लिए राष्ट्रीय पाठ्यक्रम फ्रेमवर्क में बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है.