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राजाजी नेशनल पार्क लाए जा रहे बाघों को बचाने का पायलट प्रोजेक्ट, NCTA ने जारी किए निर्देश

उत्तराखंड में राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिमी क्षेत्र में बाघों को बचाने के प्रोजेक्ट पर एनटीसीए गंभीर है. अब इसके लिए एनटीसीए ने उत्तराखंड वन विभाग को पत्र भेजकर ट्रांसलोकेट किए जा रहे बाघों पर दिशा निर्देश जारी किए हैं.

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Published : Jan 21, 2021, 8:14 PM IST

देहरादून: राजाजी नेशनल पार्क में बाघों को बचाने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट के कारण ऐसी कई गतिविधियां हैं, जिस पर फिलहाल निगरानी रखी जा रही है. एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) ने वन विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि विभाग ने मोतीचूर और कांसरो रेंज में पर्यटन गतिविधियों को रोक दिया है. ऐसा ट्रांसलोकेट किए जा रहे बाघों के कारण हुआ है. ऐसे में यदि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक चाहे तो इस निर्णय को आगे बढ़ा सकते हैं.

एनटीसीए ने राजाजी नेशनल पार्क लाए गए बाघों की निगरानी के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं. जिसमें ट्रांसलोकेट किए गए प्रत्येक बाघ पर दो हाथी वाले निगरानी दल को लगाने के निर्देश दिए हैं. एनटीसीए ने वन विभाग की ट्रांसलोकेट को लेकर तारीफ भी की है. इस बीच पत्र में साफ है कि फिलहाल राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिमी क्षेत्र में छोड़े गए बाघ और बाघिन नए क्षेत्र में अपना परिछेत्र तैयार कर रहे हैं. ऐसे में यदि जरूरत पड़े तो तीसरे भाग को लाने से पहले इनकी स्थिति को देख लिया जाए.

पढ़ेंः कॉर्बेट पार्क में दो बाघों के बीच वर्चस्व की लड़ाई, वायरल हो रहा वीडियो

हालांकि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि वह एक हफ्ते में तीसरा बाघ भी राजाजी नेशनल पार्क में लाने जा रहे हैं. एनटीसीए से इसकी मंजूरी भी मिल चुकी है. उधर, बाघिन पर लगाए गए कॉलर आईडी के जरिए ये भी साफ हो रहा है कि राजाजी नेशनल पार्क में लाए गए बाघों ने शिकार करना शुरू कर दिया है. वे इस क्षेत्र में दबदबा बनाने में जुटे हैं. एनटीसीए ने हरिद्वार देहरादून मार्ग पर ओवरब्रिज के कामों को तेजी से किए जाने निर्देश दिए हैं.

उधर, कई महीनों से लापता चल रही बाघिन को लेकर भी खोजबीन चल रही है. जानकार बताते हैं कि इसके लिए हाथियों के दल को भी लगाया गया है. अधिकारियों को इस को ट्रेस करने के निर्देश दिए गए हैं. उधर राजाजी नेशनल पार्क के आसपास के वन क्षेत्रों के अधिकारियों को भी इसके मद्देनजर चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं.

देहरादून: राजाजी नेशनल पार्क में बाघों को बचाने के लिए चल रहे प्रोजेक्ट के कारण ऐसी कई गतिविधियां हैं, जिस पर फिलहाल निगरानी रखी जा रही है. एनटीसीए (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) ने वन विभाग को पत्र लिखकर कहा है कि विभाग ने मोतीचूर और कांसरो रेंज में पर्यटन गतिविधियों को रोक दिया है. ऐसा ट्रांसलोकेट किए जा रहे बाघों के कारण हुआ है. ऐसे में यदि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक चाहे तो इस निर्णय को आगे बढ़ा सकते हैं.

एनटीसीए ने राजाजी नेशनल पार्क लाए गए बाघों की निगरानी के लिए कुछ दिशा निर्देश जारी किए हैं. जिसमें ट्रांसलोकेट किए गए प्रत्येक बाघ पर दो हाथी वाले निगरानी दल को लगाने के निर्देश दिए हैं. एनटीसीए ने वन विभाग की ट्रांसलोकेट को लेकर तारीफ भी की है. इस बीच पत्र में साफ है कि फिलहाल राजाजी नेशनल पार्क के पश्चिमी क्षेत्र में छोड़े गए बाघ और बाघिन नए क्षेत्र में अपना परिछेत्र तैयार कर रहे हैं. ऐसे में यदि जरूरत पड़े तो तीसरे भाग को लाने से पहले इनकी स्थिति को देख लिया जाए.

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हालांकि मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक जेएस सुहाग ने बताया कि वह एक हफ्ते में तीसरा बाघ भी राजाजी नेशनल पार्क में लाने जा रहे हैं. एनटीसीए से इसकी मंजूरी भी मिल चुकी है. उधर, बाघिन पर लगाए गए कॉलर आईडी के जरिए ये भी साफ हो रहा है कि राजाजी नेशनल पार्क में लाए गए बाघों ने शिकार करना शुरू कर दिया है. वे इस क्षेत्र में दबदबा बनाने में जुटे हैं. एनटीसीए ने हरिद्वार देहरादून मार्ग पर ओवरब्रिज के कामों को तेजी से किए जाने निर्देश दिए हैं.

उधर, कई महीनों से लापता चल रही बाघिन को लेकर भी खोजबीन चल रही है. जानकार बताते हैं कि इसके लिए हाथियों के दल को भी लगाया गया है. अधिकारियों को इस को ट्रेस करने के निर्देश दिए गए हैं. उधर राजाजी नेशनल पार्क के आसपास के वन क्षेत्रों के अधिकारियों को भी इसके मद्देनजर चौकसी बरतने के निर्देश दिए गए हैं.

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