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देहरादून जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन, सैकड़ों मामलों का हुआ निस्तारण

देहरादून जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन (national lok adalat organized dehradun) किया गया. जिसमें सैकड़ों मामलों का निस्तारण किया गया. लोगों में लोक अदालत को काफी उत्साह देखने को मिला.

national lok adalat
राष्ट्रीय लोक अदालत
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Published : Dec 11, 2021, 9:41 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली और उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के तत्वाधान में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. इसी कड़ी में देहरादून, विकासनगर, ऋषिकेश, डोईवाला और चकराता में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में काफी संख्या में लोग मामलों के निस्तारण के लिए पहुंचे. जहां विभिन्न वादों को निस्तारण भी किया गया.

राष्ट्रीय लोक अदालत में फौजदारी के शमनीय मामले, व्यवहारिक और कुटुंब न्यायालयों के मामले, धारा 138 एनआई एक्ट संबंधित मामले, बैंक और ऋण वसूली से संबंधित मामले, मोटर दुर्घटना प्रतिकार संबंधित मामले, दीवानी, राजस्व और श्रम संबंधित वाद, भूमि अर्जन के वाद, विद्युत एवं जलकर बिलों के मामले, राजस्व संबंधित वाद, वेतनभत्तों और सेवानिवृत्ति से संबंधित वाद व अन्य मामले सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित किए गए.

देहरादून जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन.

ये भी पढ़ेंः बार एसोसिएशन ऋषिकेश का चुनाव संपन्न, 15वीं बार अध्यक्ष चुने गए राजेंद्र सजवाण

लोक अदालत में मामलों के निस्तारण के लिए 17 पीठों का गठन किया गया था. इस लोक अदालत में कुल 1526 मुकदमों का निस्तारण किया गया और 6,07,53,283 रुपए का समझौता हुआ. अदालत में 138 एनआई एक्ट वाद में 2 लाख तक के वाद और 2 लाख से ज्यादा के 325 वाद निस्तारित किए गए. साथ ही लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के बैंक रिकवरी के मामले निस्तारित किए गए. लोक अदालत में 312 प्री-लिटिगेशन मामलों का निस्तारण आपसे समझौते के आधार पर किया गया और 2,02,56,722 रुपए की रिकवरी भी की गई.

उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नेहा कुशवाहा (Secretary of DLSA and Civil Judge Neha Kushwaha) ने बताया कि देहरादून जिले के सभी न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन (national lok adalat organized in dehradun) किया गया. लोक अदालत में प्री लिट्रेशन के लिए काफी भीड़ उमड़ी रही.

ये भी पढ़ेंः अवैध खनन पर जंग: हरक सिंह ने हरदा पर ही खड़े किये सवाल, बोले- जनता से पूछो किसके राज में हुआ 'खेल'

उन्होंने कहा कि लोग काफी जागरूक हैं, जनता लोक अदालत में आए और जो भी उनके वाद हैं, उनका निस्तारण करने का प्रयास किया गया. लोक अदालत से लोगों का कोर्ट में लगने वाला समय बचता है और लोक अदालत का निर्णय दोनों पार्टियों पर बाध्य होता है. लोक अदालत के आदेश अनितम होते हैं और पक्षकारों को उनके की ओर से दिया गया न्याय शुल्क भी वापस दिया जाता है.

देहरादूनः उत्तराखंड में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली और उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल के तत्वाधान में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया. इसी कड़ी में देहरादून, विकासनगर, ऋषिकेश, डोईवाला और चकराता में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालत में काफी संख्या में लोग मामलों के निस्तारण के लिए पहुंचे. जहां विभिन्न वादों को निस्तारण भी किया गया.

राष्ट्रीय लोक अदालत में फौजदारी के शमनीय मामले, व्यवहारिक और कुटुंब न्यायालयों के मामले, धारा 138 एनआई एक्ट संबंधित मामले, बैंक और ऋण वसूली से संबंधित मामले, मोटर दुर्घटना प्रतिकार संबंधित मामले, दीवानी, राजस्व और श्रम संबंधित वाद, भूमि अर्जन के वाद, विद्युत एवं जलकर बिलों के मामले, राजस्व संबंधित वाद, वेतनभत्तों और सेवानिवृत्ति से संबंधित वाद व अन्य मामले सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित किए गए.

देहरादून जिले में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन.

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लोक अदालत में मामलों के निस्तारण के लिए 17 पीठों का गठन किया गया था. इस लोक अदालत में कुल 1526 मुकदमों का निस्तारण किया गया और 6,07,53,283 रुपए का समझौता हुआ. अदालत में 138 एनआई एक्ट वाद में 2 लाख तक के वाद और 2 लाख से ज्यादा के 325 वाद निस्तारित किए गए. साथ ही लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के बैंक रिकवरी के मामले निस्तारित किए गए. लोक अदालत में 312 प्री-लिटिगेशन मामलों का निस्तारण आपसे समझौते के आधार पर किया गया और 2,02,56,722 रुपए की रिकवरी भी की गई.

उत्तराखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव नेहा कुशवाहा (Secretary of DLSA and Civil Judge Neha Kushwaha) ने बताया कि देहरादून जिले के सभी न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन (national lok adalat organized in dehradun) किया गया. लोक अदालत में प्री लिट्रेशन के लिए काफी भीड़ उमड़ी रही.

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उन्होंने कहा कि लोग काफी जागरूक हैं, जनता लोक अदालत में आए और जो भी उनके वाद हैं, उनका निस्तारण करने का प्रयास किया गया. लोक अदालत से लोगों का कोर्ट में लगने वाला समय बचता है और लोक अदालत का निर्णय दोनों पार्टियों पर बाध्य होता है. लोक अदालत के आदेश अनितम होते हैं और पक्षकारों को उनके की ओर से दिया गया न्याय शुल्क भी वापस दिया जाता है.

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