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नदियों के चैनलाइज नहीं होने से आबादी क्षेत्रों में घुस रहा पानी, कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

उत्तराखंड में बारिश ने सभी को बेहाल कर रखा है. नदियों का पानी भी आबादी वाले क्षेत्रों में घुस रहा है, जिसको लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका में आरोप लगाया गया कि सरकार ने नदियों को चैनलाइज नहीं किया, जिसका खामियाजा आम जतना को भुगतना पड़ रहा है. इस मामले में कोर्ट ने भी सरकार से जवाब मांगा है.

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Published : Aug 14, 2023, 3:36 PM IST

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित गौला, कोसी, गंगा और दाबका में हो रहे भू-कटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण आबादी क्षेत्रों में जलभराव, भू कटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सभी पक्षकारों सहित राज्य सरकार से 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 सितंबर की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में बारिश की वजह से आजकल नदियां उफान में हैं. नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ और भू-कटाव हो रहा है, जिसके चलते आबादी क्षेत्र में जलभराव हो रहा है. नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह गई हैं.
पढ़ें- गंगा का जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार के NHAI प्लांट में घुसा पानी, 200 कर्मचारी फंसे

उनका कहना है कि चैनलाइज नहीं होने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया है, जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की और देहरादून में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. बाढ़ से कई पुल बह गए हैं.

आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर और मलबे को नहीं हटाया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश दिनांक 14 फरवरी 2023 का पालन नहीं किया, जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है.
पढ़ें- Watch: कोटद्वार में चंद सेकेंड में नदी में समाया मकान, VIDEO देखिए

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार संबंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलबा, बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइज करे, ताकि बरसात में नदियों का पानी बिना रुकावट बह सके, जो सरकार ने नहीं किया.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार समय समय पर नदियों से गाद, मलबा और बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइज करने का काम करती है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि नदियों व उनके मुहानों पर जमा मलबे को हटाकर नदियों को चैनलाइज करवाया जाए, जिससे बाढ़ व भू कटाव से निजात मिल सके.

नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नंधौर नदी सहित गौला, कोसी, गंगा और दाबका में हो रहे भू-कटाव व बाढ़ से नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण आबादी क्षेत्रों में जलभराव, भू कटाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने सभी पक्षकारों सहित राज्य सरकार से 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई के लिए 12 सितंबर की तिथि नियत की है.

मामले के अनुसार हल्द्वानी चोरगलिया निवासी भुवन चंद्र पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि उत्तराखंड में बारिश की वजह से आजकल नदियां उफान में हैं. नदियों के मुहाने अवरुद्ध होने के कारण बाढ़ और भू-कटाव हो रहा है, जिसके चलते आबादी क्षेत्र में जलभराव हो रहा है. नदियों के उफान पर होने के कारण हजारों हेक्टेयर वन भूमि, पेड़, सरकारी योजनाएं बह गई हैं.
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उनका कहना है कि चैनलाइज नहीं होने के कारण नदियों ने अपना रुख आबादी की तरफ कर दिया है, जिसकी वजह से उधम सिंह नगर, हरिद्वार, हल्द्वानी, रामनगर, रुड़की और देहरादून में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. बाढ़ से कई पुल बह गए हैं.

आबादी क्षेत्रों में बाढ़ आने का मुख्य कारण सरकार की लापरवाही है. सरकार ने नदियों के मुहानों पर जमा गाद, बोल्डर और मलबे को नहीं हटाया है. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश दिनांक 14 फरवरी 2023 का पालन नहीं किया, जिसकी वजह से प्रदेश में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हुई है.
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हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकार संबंधित विभागों को साथ लेकर नदियों से गाद, मलबा, बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइज करे, ताकि बरसात में नदियों का पानी बिना रुकावट बह सके, जो सरकार ने नहीं किया.

सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि सरकार समय समय पर नदियों से गाद, मलबा और बोल्डर हटाकर उन्हें चैनलाइज करने का काम करती है. जनहित याचिका में कोर्ट से प्रार्थना की गई है कि नदियों व उनके मुहानों पर जमा मलबे को हटाकर नदियों को चैनलाइज करवाया जाए, जिससे बाढ़ व भू कटाव से निजात मिल सके.

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