नैनीताल: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को हरिद्वार कुंभ कोरोना फर्जी टेस्ट मामले में आरोपित मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरद पंत और मलिका पंत की तरफ से दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की. गुरुवार को सरकार की तरफ से भी 17 जुलाई को एक प्रार्थना पत्र देकर कोर्ट से अनुरोध किया गया कि पूर्व के आदेश को रिकॉल किया जाये या वापस लिया जाये.
सरकार की तरफ से दिए गए प्रार्थना पत्र में कहा गया था कि जांच में इनके खिलाफ गंभीर सबूत मिले हैं और पुलिस ने इन गंभीर साक्ष्यों के आधार पर इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 467 और लगा दी है, जिसमें सजा सात साल से अधिक है. अब अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य का निर्णय इन पर लागू नहीं होता है.
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हालांकि, कोर्ट ने सरकार के प्रार्थना पत्र को सुनने के बाद निरस्त कर दिया है. कोर्ट ने जांच अधिकारी को निर्देश दिए हैं कि अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य 2014 में पारित दिशा निर्देशों का पालन करें. मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एनएस धनिक की एकलपीठ में हुई थी.
दरअसल, आरोपित मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज के सर्विस पार्टनर शरद पंत और मलिका पंत ने याचिका दायर कर कहा था कि वो मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेस में एक सर्विस प्रोवाइडर हैं. परीक्षण और डेटा प्रविष्टि के दौरान मैक्स कॉपोरेट का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं था. इसके अलावा परीक्षण और डेटा प्रविष्टि का सारा काम स्थानीय स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की प्रत्यक्ष निगरानी में किया गया था. इन अधिकारियों की मौजूदगी में परीक्षण स्टालों ने जो कुछ भी किया था उसे अपनी मंजूरी दे दी.
शरद पंत और मलिका पंत ने कहा कि यदि कोई गलत कार्य कर रहा था तो कुंभ मेले की पूरी अवधि के दौरान अधिकारी चुप क्यों रहे? मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरिद्वार एसएन झा ने पुलिस में मुकदमा दर्ज करते हुए आरोप लगाया था कि कुंभ मेले के दौरान मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज द्वारा अपने को लाभ पहुंचाने के लिए फर्जी तरीके से टेस्ट इत्यादि कराए गए.
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कोर्ट ने पूर्व में 2014 के अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के आधार पर इनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी. निर्णय में यह प्रावधान है कि सात साल से कम सजा वाले केसों में गिरफ्तार नहीं करने व जांच में सहयोग करने के दिशा निर्देश दिए गए थे. इन्हीं दिशा निर्देशों के आधार पर कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी पर रोक व जांच में सहयोग करने को कहा था.
क्या है मामला: हरिद्वार कुंभ मेले में कोरोना जांच के लिए सरकार के 10 कंपनियों को अधिकृत किया था. इसमें से एक मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज थी. मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज की दो लैब (दिल्ली की लालचंदानी और हिसार की नलवा) ने हरिद्वार कुंभ मेले में कोरोना जांच की थी. इन दोनों लैब की करीब एक लाख जांच संदेह के घेरे में हैं.
इस मामले में हरिद्वार के तत्कालीन जिलाधिकारी सी. रविशंकर के आदेश पर हरिद्वार सीएमओ ने मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज, दिल्ली की लालचंदानी और हिसार की नलवा लैब के खिलाफ शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया था. हरिद्वार एसएसपी ने इस मामले की जांच के लिए एक एसआईटी का गठन भी किया था, जो इस मामले की जांच कर रही है.
ऐसे आया था सच सामने: दरअसल, पंजाब के एक व्यक्ति के पास फोन गया था कि उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई है. लेकिन हैरानी की बात ये थी कि जिस व्यक्ति के पास हरिद्वार से कोरोना निगेटिव रिपोर्ट का फोन गया था, वो हरिद्वार ही नहीं आया था. ऐसे में उसने हरिद्वार में मामले की शिकायत की. लेकिन वहीं के प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.
इसके बाद उक्त व्यक्ति ने आईसीएमआर को पत्र लिखा. आईसीएमआर ने उत्तराखंड के स्वास्थ्य सचिव को मामले की जांच कराने के लिए कहा. स्वास्थ्य सचिव ने जांच कराई तो सामने आया कि एक टेस्ट के लिए सैकड़ों नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं कई टेस्ट में एक ही आधार नंबर लिखा गया है. इसके अलावा एक ही घर से सैकड़ों सैंपल लेने की बात भी सामने आई, जो नामुमकिन लगता है. इसके बाद इस मामले में तूल पकड़ा.