देहरादूनः एक साल पहले 21 जून 2022 को आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) ने मिलकर 'नभ-नेत्र' नाम के एक ग्राउंड कंट्रोल सिस्टम को लॉन्च किया था. उस दौरान सिस्टम की कई खासियत संबंधित विभागों द्वारा बताई गई थी. साथ ही इस पर खर्च किए गए 1 करोड़ 10 लाख की लागत के बारे में भी बताया गया था. उस दौरान दावा किया गया था कि आने वाले भविष्य में किसी भी तरह की आपदा में यह मूविंग ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन मौके पर जाकर चंद घंटे में आपदा का रियल टाइम असेसमेंट करेगा. इस टेक्नोलॉजी के मदद से आपदा प्रबंधन को तत्काल मदद मिलेगी. लेकिन करीब सवा साल के बाद यह सिस्टम सचिवालय में धूल फांक रहा है.
सचिवालय में खड़ा "नभ-नेत्र" वाहन को आज एक साल से ज्यादा का समय हो गया है. आपदा आने पर तुरंत ही टेक्नोलॉजी की मदद से रियल टाइम एसेसमेंट और लाइव फीड टेलीकास्ट सचिवालय में मौजूद सेंट्रल कंट्रोल रूम की मदद करने वाला वाहन सचिवालय में धूंल फांक रहा है. इसका कारण जानने की ईटीवी भारत ने कोशिश की तो पता चला कि वाहन सचिवालय में खड़े-खड़े केवल धूल फांक रहा है. इसका किसी भी तरह से इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है.
आपदा में नहीं आई तकनीक काम: लॉन्च करने के दौरान देखा गया था कि टेक्नोलॉजी पर लगे 360 कैमरा ड्रोन और सभी तरह के उपकरण काम कर रहे थे. लेकिन आज वाहन में किसी भी तरह का कोई टेक्निकल स्टाफ नहीं है. 360 कैमरों पर कपड़ा पड़ा है. खिड़कियों पर जंग लग रहा है. खास बात है कि पिछले 1 साल में प्रदेश के जोशीमठ, सरखेत, हरिद्वार सहित कई इलाकों में आपदाएं आई. लेकिन ना तो नभ-नेत्र की टेक्नोलॉजी काम आई और ना ही इसे किसी तरह का डाटा असेसमेंट किया गया.
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ऑपरेट के लिए तकनीकी स्टाफ नहीं: इस पूरे मामले पर हमने आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा से भी बातचीत की. उन्होंने खुद इस बात को माना कि कहीं ना कहीं इस तकनीकी को पूरी तरह से धरातल पर उतारने में कमी रही है. उन्होंने बताया कि इसे आईटीडीए द्वारा विकसित किया गया है. लेकिन अभी आपदा प्रबंधन विभाग के पास इसे ऑपरेट करने के लिए किसी तरह का तकनीकी स्टाफ नहीं है.
आपदा प्रबंधन विभाग के तमाम सर्वे पर किया जाएगा उपयोग: उन्होंने बताया कि इस टेक्नोलॉजी में कुछ रिफॉर्म की योजना बना रहे हैं. कोशिश कर रहे हैं कि इस तकनीकी का कुछ उपयोग आपदा प्रबंधन विभाग के लिए किया जाए. रंजीत कुमार सिन्हा ने यह भी बताया कि आपदा प्रबंधन इस रणनीति पर काम कर रहा है कि आपदा प्रबंधन विभाग के तमाम सर्वे हो या फिर अन्य विभागों द्वारा किए जा रहे सर्वे हो, उसमें नभ-नेत्र में लगे ड्रोन का उपयोग किया जाएगा.