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कोरोनाकाल में उत्तराखंड के 4700 से ज्यादा छात्रों ने स्कूल से तोड़ा नाता, हुए ड्रॉप आउट - More than 4700 students left school

कोरोनाकाल में शिक्षा का हाल भी बेहाल है. उत्तराखंड के 4700 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने इस दौरान स्कूल से नाता तोड़ा है.

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कोरोनाकाल में प्रदेश के 4700 से ज्यादा छात्रों ने स्कूल से तोड़ा नाता
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Published : Jul 1, 2021, 4:37 PM IST

देहरादून: कोरोना काल में लंबे समय से स्कूलों के बंद होने के कारण सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई को बच्चों के पठन-पाठन का जरिया बनाया. इसके बावजूद शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीते एक साल में प्रदेश के विभिन्न सरकारी स्कूलों से 4773 छात्र-छात्राएं विभिन्न कारणों से ड्राप आउट हो चुके हैं.


बता दें यह सभी छात्र अलग-अलग कारणों के चलते ड्रॉप आउट हुए हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया की ड्रॉप आउट होने वाले कुछ छात्र परिवार की आर्थिक तंगी की वजह से ड्रॉप आउट हो जाते हैं.

कोरोनाकाल में प्रदेश के 4700 से ज्यादा छात्रों ने स्कूल से तोड़ा नाता

पढ़ें- कोरोना की तीसरी लहर को लेकर स्वास्थ्य विभाग अलर्ट, किया बच्चों का हेल्थ चेकअप

वहीं इसमें कई छात्र ऐसे भी होते हैं जो कक्षा दसवीं के बाद कहीं नौकरी लग जाने के चलते ड्राप आउट हो जाते हैं. इसके अलावा कुछ ड्रॉप आउट होने वाले छात्रों का कारण यह भी होता है कि उनके परिवार जन उन्हें अपने किसी रिश्तेदार के यहां आगे की पढ़ाई के लिए भेज देते हैं.

पढ़ें- धारचूला क्षेत्र में भूकंप की वजह का वैज्ञानिकों ने लगाया पता, ये है वजह

बता दें कि प्रदेश में एलिमेंट्री स्कूलिंग में ड्रॉप आउट होने वाले छात्रों की संख्या 2.74% है. वहीं सेकेंडरी में 10.54 बच्चे हर साल ड्रॉप आउट हो जाते हैं. समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि हाल ही में हुई केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में बोर्ड की सचिव की ओर से विभाग को एक बार ड्रॉप आउट बच्चों के ट्रेकिंग के निर्देश दिए गए हैं. जिसके तहत जल्दी सर्वे शुरू किया जाएगा. जिसमें स्थानीय शिक्षकों के साथ ही समाजसेवी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी.

देहरादून: कोरोना काल में लंबे समय से स्कूलों के बंद होने के कारण सरकार ने ऑनलाइन पढ़ाई को बच्चों के पठन-पाठन का जरिया बनाया. इसके बावजूद शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार बीते एक साल में प्रदेश के विभिन्न सरकारी स्कूलों से 4773 छात्र-छात्राएं विभिन्न कारणों से ड्राप आउट हो चुके हैं.


बता दें यह सभी छात्र अलग-अलग कारणों के चलते ड्रॉप आउट हुए हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया की ड्रॉप आउट होने वाले कुछ छात्र परिवार की आर्थिक तंगी की वजह से ड्रॉप आउट हो जाते हैं.

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वहीं इसमें कई छात्र ऐसे भी होते हैं जो कक्षा दसवीं के बाद कहीं नौकरी लग जाने के चलते ड्राप आउट हो जाते हैं. इसके अलावा कुछ ड्रॉप आउट होने वाले छात्रों का कारण यह भी होता है कि उनके परिवार जन उन्हें अपने किसी रिश्तेदार के यहां आगे की पढ़ाई के लिए भेज देते हैं.

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बता दें कि प्रदेश में एलिमेंट्री स्कूलिंग में ड्रॉप आउट होने वाले छात्रों की संख्या 2.74% है. वहीं सेकेंडरी में 10.54 बच्चे हर साल ड्रॉप आउट हो जाते हैं. समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक डॉ. मुकुल कुमार सती ने बताया कि हाल ही में हुई केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में बोर्ड की सचिव की ओर से विभाग को एक बार ड्रॉप आउट बच्चों के ट्रेकिंग के निर्देश दिए गए हैं. जिसके तहत जल्दी सर्वे शुरू किया जाएगा. जिसमें स्थानीय शिक्षकों के साथ ही समाजसेवी संस्थाओं की भी मदद ली जाएगी.

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