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आप बीती: जब गुस्साए गजराज के सामने मंत्री जी ने जोड़े हाथ, सुरक्षा कर्मियों ने भी छोड़ दिया था साथ - वन विभाग न्यूज

सोमवार को विश्व हाथी दिवस के अवसर पर देहरादून में हाथियों के सरक्षण को लेकर एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जहां कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने अपने कुछ अनुभव साझा किए.

हरक सिंह रावत
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Published : Aug 12, 2019, 11:43 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के सामने जब गुस्साए हाथी ने दस्तक दी तो मंत्री जी ने घबराकर हाथ जोड़ लिए. अकेले पड़े मंत्री जी को हाथ जोड़े देख हाथी भी टहलता हुआ उनके सामने से नुकसान पहुंचाए बिना आगे निकल गया. ये आप बीती खुद मंत्री जी ने सुनाई है.

खतरे के समय उत्तराखंड पुलिस के जवान कैसे मैदान छोड़कर भाग जाते हैं. इसकी आप बीती कैबिनेट मंत्री ने सुनाई तो सुनने वाले खुद को ठहाके लगाने से नहीं रोक सके. माननीय को यूं तो सुरक्षाकर्मी खतरे के समय उन्हें सुरक्षित करने के लिए दिए जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड पुलिस के जवान खतरा देखकर माननीयों को अकेला छोड़कर भाग खड़े होते हैं.

पढ़ें- ज्यादा हाथी संभालने की स्थिति में नहीं है उत्तराखंड, वन महकमा को सता रहा ये डर

ये हमारा कोई अंदाज़ा नहीं है, बल्कि यह पूरी दास्तान ईटीवी भारत के कैमरे पर एक्सक्लूसिव रिकॉर्ड की गई है जो खुद उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने सुनाई है.

कैबिनेट मंत्री की आप बीती

पढ़ें- पंतनगर कृषि विविः जूनियर को दिया प्रभार तो अनशन पर बैठीं सहायक प्रोफेसर, लगाए गंभीर आरोप

दरअसल, हरक सिंह रावत कोटद्वार से विधायक हैं और कुछ समय पहले जब वह कोटद्वार से जा रहे थे तो अचानक रास्ते में उनके काफिले के ठीक सामने एक हाथी आ खड़ा हुआ. हाथी को खड़ा देख फ्लीट में मौजूद सभी गाड़ियां रुक गईं. इसके बाद जब हाथी कुछ आगे बढ़ा तो मंत्री जी को रास्ता दे रही पुलिस फ्लीट में मौजूद सुरक्षाकर्मी और गाड़ी का ड्राइवर भाग खड़े हुए.

पुलिसकर्मियों को भागता देख मंत्री जी का ड्राइवर भी गाड़ी छोड़ भागने लगा. इस पर मंत्री ने इन्हें इनकी ड्यूटी याद दिलाते हुए कहा कि तुम लोग मेरी सुरक्षा में हो और तुम ही भाग रहे हो. मंत्री जी इतना कहते कि हाथी उनके करीब आ पहुंचा. इसके बाद तो मंत्री जी ने भी गजराज को पास आता देख हाथ जोड़ आंखें बंद कर ली. जिसके बाद गजराज मंत्री जी की गाड़ी को छूते हुए आगे निकल गया. सुरक्षा कर्मियों की बुजदिली और हाथी के खौफ को बयां करते मंत्री जी का अंदाज देखने लायक था.

पढ़ें- उत्तराखंडः चमोली में कुदरत का कहर, बादल फटने से 6 जिंदा दफन, 6 घंटे चला रेस्क्यू

मंत्री जी के इस अनुभव को सुनकर वहां मौजूद हर कोई ठहाके लगाने लगा. यूं तो यह बात पुरानी हो गई है और मंत्री जी भी अब जंगली जानवरों के डर को लेकर इसे बयां कर रहे थे, लेकिन मंत्री जी कि इस आपबीती में पुलिसकर्मियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं.

देहरादून: उत्तराखंड सरकार में कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के सामने जब गुस्साए हाथी ने दस्तक दी तो मंत्री जी ने घबराकर हाथ जोड़ लिए. अकेले पड़े मंत्री जी को हाथ जोड़े देख हाथी भी टहलता हुआ उनके सामने से नुकसान पहुंचाए बिना आगे निकल गया. ये आप बीती खुद मंत्री जी ने सुनाई है.

खतरे के समय उत्तराखंड पुलिस के जवान कैसे मैदान छोड़कर भाग जाते हैं. इसकी आप बीती कैबिनेट मंत्री ने सुनाई तो सुनने वाले खुद को ठहाके लगाने से नहीं रोक सके. माननीय को यूं तो सुरक्षाकर्मी खतरे के समय उन्हें सुरक्षित करने के लिए दिए जाते हैं, लेकिन उत्तराखंड पुलिस के जवान खतरा देखकर माननीयों को अकेला छोड़कर भाग खड़े होते हैं.

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ये हमारा कोई अंदाज़ा नहीं है, बल्कि यह पूरी दास्तान ईटीवी भारत के कैमरे पर एक्सक्लूसिव रिकॉर्ड की गई है जो खुद उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने सुनाई है.

कैबिनेट मंत्री की आप बीती

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दरअसल, हरक सिंह रावत कोटद्वार से विधायक हैं और कुछ समय पहले जब वह कोटद्वार से जा रहे थे तो अचानक रास्ते में उनके काफिले के ठीक सामने एक हाथी आ खड़ा हुआ. हाथी को खड़ा देख फ्लीट में मौजूद सभी गाड़ियां रुक गईं. इसके बाद जब हाथी कुछ आगे बढ़ा तो मंत्री जी को रास्ता दे रही पुलिस फ्लीट में मौजूद सुरक्षाकर्मी और गाड़ी का ड्राइवर भाग खड़े हुए.

पुलिसकर्मियों को भागता देख मंत्री जी का ड्राइवर भी गाड़ी छोड़ भागने लगा. इस पर मंत्री ने इन्हें इनकी ड्यूटी याद दिलाते हुए कहा कि तुम लोग मेरी सुरक्षा में हो और तुम ही भाग रहे हो. मंत्री जी इतना कहते कि हाथी उनके करीब आ पहुंचा. इसके बाद तो मंत्री जी ने भी गजराज को पास आता देख हाथ जोड़ आंखें बंद कर ली. जिसके बाद गजराज मंत्री जी की गाड़ी को छूते हुए आगे निकल गया. सुरक्षा कर्मियों की बुजदिली और हाथी के खौफ को बयां करते मंत्री जी का अंदाज देखने लायक था.

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मंत्री जी के इस अनुभव को सुनकर वहां मौजूद हर कोई ठहाके लगाने लगा. यूं तो यह बात पुरानी हो गई है और मंत्री जी भी अब जंगली जानवरों के डर को लेकर इसे बयां कर रहे थे, लेकिन मंत्री जी कि इस आपबीती में पुलिसकर्मियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए हैं.

Intro:exclusive byte....आपबीती


summary- उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत के सामने गुस्साए हाथी ने दस्तक दी तो मंत्री जी ने घबराकर हाथ जोड़ लिए... अकेले पड़े मंत्री जी को हाथ जोड़े देख हाथी भी टहलका हुआ उनके सामने से उन्हें नुकसान पहुंचाए बिना आगे निकल गया। सुनिए आपबीती मंत्री जी की ही जुबानी.....

खतरे के समय उत्तराखंड पुलिस के जवान कैसे मैदान छोड़कर भाग जाते हैं इसकी आप बीती कैबिनेट मंत्री ने सुनाई तो सुनने वाले खुद को ठहाके लगाने से नही रोक सके।




Body:माननीय को यूं तो सुरक्षाकर्मी खतरे के समय उन्हें सुरक्षित करने के लिए दिए जाते हैं... लेकिन उत्तराखंड पुलिस के जवान खतरा देखकर माननीयों को अकेला छोड़कर भाग खड़े होते हैं.. ये हमारा कोई अंदाज़ा नहीं है... बल्कि यह पूरी दास्तान ईटीवी भारत के कैमरे पर एक्सक्लूसिव रिकॉर्ड की गई है जो खुद उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने सुनाई है। दरअसल हरक सिंह रावत कोटद्वार से विधायक है और कुछ समय पहले जब वह कोटद्वार से जा रहे थे तो अचानक रास्ते में उनके काफिले के ठीक सामने एक हाथी आ खड़ा हुआ... हाथी को खड़ा देख फ्लीट में मौजूद सभी गाड़ियां रुक गई.. इसके बाद जब हाथी कुछ आगे बढ़ा तो मंत्री जी को रास्ता दे रही पुलिस फ्लीट में मौजूद सुरक्षाकर्मी और गाड़ी का ड्राइवर भाग खड़े हुए... पुलिसकर्मियों को भागता देख मंत्री जी का ड्राइवर भी गाड़ी छोड़ भागने लगा... इस पर मंत्री ने इन्हें इनकी ड्यूटी याद दिलाते हुए कहा कि तुम लोग मेरी सुरक्षा में हो और तुम ही भाग रहे हो... मंत्री जी इतना कहते कि हाथी उनके करीब आ पहुंचा... इसके बाद तो मंत्री जी ने भी गजराज को पास आता देख उसे हाथ जोड़ आंखें बंद कर ली... जिसके बाद गजराज मंत्री जी की गाड़ी को छूते हुए आगे निकल गया। सुनिए मंत्री जी कैसे सुरक्षा कर्मियों की बुजदिली और हाथी के खौफ को बयां कर रहे हैं....

हरक सिंह रावत वन एवं पर्यावरण मंत्री उत्तराखंड




Conclusion:मंत्री जी के इस अनुभव का सुनकर वहां मौजूद हर कोई ठहाके लगाने लगा... यूं तो यह बात पुरानी हो गई है और मंत्री जी भी अब जंगली जानवरों के डर को लेकर इसे बयां कर रहे थे लेकिन मंत्री जी कि इस आपबीती में पुलिसकर्मियों की भूमिका पर सवाल खड़े हो गए है।
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