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सचिवालय-विधानसभा में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी, मास्टरमाइंड गिरफ्तार, ऐसे करते थे ठगी

सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड को पुलिस ने गिरफ्तार किया है.

Master mind arrested
नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी
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Published : Oct 31, 2021, 5:32 PM IST

Updated : Oct 31, 2021, 6:00 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये हड़पने वाले गिरोह के मुख्य सरगना को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. मामले में पटेल नगर पुलिस ने खुलासा किया है. गिरफ्तार आरोपी का नाम कमल किशोर है, जिसे पुलिस ने त्यागी रोड संगम होटल के पास से गिरफ्तार किया है.

पटेलनगर पुलिस ने खुलासा किया कि इस ठगी गिरोह के सदस्यों द्वारा अलग-अलग व्यक्तियों से धोखाधड़ी कर बड़े स्तर पर करोड़ों रुपये लिए गए थे. साथ ही गिरोह के सदस्य खुद को सचिवालय में बड़ा अधिकारी बताकर धोखाधड़ी किया करते थे. साथ ही आवेदकों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिया करते थे.

वहीं, पुलिस के मुताबिक पूरे प्रकरण के तार कहीं न कहीं सचिवालय और विधानसभा से भी जुड़े हो सकते हैं. जिस पर पुलिस छानबीन कर रही है. माना जा रहा है कि कई और लोगों के साथ ठगी हुई है, जो करोड़ों में मानी जा रही है. अभी तक 10 लोग सामने आए हैं, जिनके साथ ठगी हुई है. साथ ही गिरोह के अन्य आरोपी ललित बिष्ट और मनोज नेगी फरार चल रहे हैं.

सचिवालय-विधानसभा में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी.

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बता दें कि 16 अक्टूबर 2021 मनीष कुमार ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी कमल किशोर पांडेय, मनोज नेगी, चेतन पांडेय और ललित बिष्ट ने उससे और उसके सगे संबंधियों को सरकारी विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर कुल 62 लाख रुपये हड़प लिए. आरोप है कि कमल किशोर पांडेय ने खुद को प्रशासनिक अधिकारी, ललित बिष्ट को सचिवालय में सचिव और मनोज नेगी को अपर सचिव बताया. इतना ही नहीं, इन लोगों ने नौकरी के नाम पर पैसे लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र भी दे दिया.

पीड़ित ने थाना पटेल नगर में कमल किशोर पांडेय सहित 4 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम ने आरोपियों के खातों की बैंको से लेन-देन डिटेल ली. जिसमें पीड़ितों द्वारा समय-समय पर लाखों रुपये जमा कराना पाया गया. आरोपियों के खातों में करोड़ों रुपये का लेन-देन पाया गया. पुलिस ने आरोपियों के संभावित ठिकानों पर दबिश दी, लेकिन आरोपी लगातार फरार चलते रहे.

पढ़ें: हल्द्वानी में पुलिस ने 9 जुआरियों को दबोचा, 10 लाख की नकदी बरामद

इन आरोपियों के मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ आ रहा था. पुलिस टीम ने गिरोह के सरगना आरोपी कमल किशोर पांडेय को त्यागी रोड संगम होटल के पास से गिरफ्तार किया गया. आरोपी से पूछताछ करने पर उसने साथियों के साथ मिलकर कई व्यक्तियों से सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुप की ठगी करने की बात स्वीकार की. इसके आलावा आरोपी कमल किशोर पांडेय द्वारा आवेदकों को इंटरव्यू के लिए सचिवालय और विधानसभा ले जाना और आवेदकों को फर्जी नियुक्ति पत्र देना स्वीकार किया गया.

सीओ सदर हिमांशु वर्मा ने बताया की आरोपी से पूछताछ में बताया कि कमल किशोर पांडेय ने बी-टेक की शिक्षा प्राप्त की है. 2015 से 2019 तक मर्चेंट नेवी रिक्रूटमेंट का काम किया है. आरोपी का भाई सूचना विभाग मे हेड क्लर्क के पद पर नियुक्त है. आरोपी के साथी ललित बिष्ट की पत्नी पीडब्लूडी विभाग में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर नियुक्त हैं. मनोज नेगी उत्तराखंड जल विद्युत निगम पौड़ी मे संविदा पर नियुक्त है, जिस कारण सभी लोगों का सचिवालय में आना जाना लगा रहता था. आरोपियों का सचिवालय और विधानसभा की अच्छी जानकारी भी थी.

आरोपी कमल, ललित बिष्ट और मनोज नेगी ने लोगों को सरकारी विभागों में क्लर्क पद पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर पैसा कमाने की योजना बनाई. साल 2018 में एक विवाह समारोह में आरोपी पीड़ित मनीष कुमार से मोती बाजार में मिला. आरोपी ने मनोज से नौकरी लगवाने की बात कही, जिसके बाद मनीष कुमार ने अपने भाई, साले और अन्य लोगों को नौकरी लगवाने के लिए कहा. जिस पर आरोपी ने मनीष कुमार और अन्य लोगों से आईएसबीटी, विधानसभा के पास कई बार मुलाकात की. प्रत्येक अभ्यर्थी की विभिन्न सरकारी विभागों मे नौकरी लगाने के एवज में 6,50,000 रुपए प्रत्येक से लेना तय हुआ.

पढ़ें: संदिग्ध परिस्तिथियों में विवाहिता की मौत, परिजनों ने हत्या की जताई आशंका

जिसके लिए ललित बिष्ट और मनोज नेगी की सहायता से विभिन्न विभागों के फर्जी फार्म मनीष कुमार को भेजे और प्रति अभ्यर्थियों की नौकरी लगाने के लिए तय की गई. धनराशि के हिसाब से 10 अभ्यर्थियों से 62 लाख रुपये लिए गए. इसके बाद आरोपी सहित ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से कुछ अभ्यर्थियों के सचिवालय व विधानसभा के खाली पड़े केबिन में इंटरव्यू कराए. इंटरव्यू मनोज नेगी सचिव और ललित बिष्ट अपर सचिव बनकर लेता था.

इंटरव्यू के बाद आरोपियों ने फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार कर अभ्यर्थियों को दिये और उनका दून अस्पताल में मेडिकल कराया. कुछ समय बाद आरोपियों द्वारा पद निरस्त होने का बहाना बनाया गया और उनके पैसे वापस करने में जानबूझ कर टालमटोल करते रहे. इसके आलावा तीनों आरोपियों ने मिलकर अन्य कई लोगों से भी इसी प्रकार नौकरी लगाने के एवज मे करोड़ों रुपये लिए गए.

देहरादून: उत्तराखंड के विभिन्न विभागों में सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये हड़पने वाले गिरोह के मुख्य सरगना को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. मामले में पटेल नगर पुलिस ने खुलासा किया है. गिरफ्तार आरोपी का नाम कमल किशोर है, जिसे पुलिस ने त्यागी रोड संगम होटल के पास से गिरफ्तार किया है.

पटेलनगर पुलिस ने खुलासा किया कि इस ठगी गिरोह के सदस्यों द्वारा अलग-अलग व्यक्तियों से धोखाधड़ी कर बड़े स्तर पर करोड़ों रुपये लिए गए थे. साथ ही गिरोह के सदस्य खुद को सचिवालय में बड़ा अधिकारी बताकर धोखाधड़ी किया करते थे. साथ ही आवेदकों को फर्जी नियुक्ति पत्र भी दिया करते थे.

वहीं, पुलिस के मुताबिक पूरे प्रकरण के तार कहीं न कहीं सचिवालय और विधानसभा से भी जुड़े हो सकते हैं. जिस पर पुलिस छानबीन कर रही है. माना जा रहा है कि कई और लोगों के साथ ठगी हुई है, जो करोड़ों में मानी जा रही है. अभी तक 10 लोग सामने आए हैं, जिनके साथ ठगी हुई है. साथ ही गिरोह के अन्य आरोपी ललित बिष्ट और मनोज नेगी फरार चल रहे हैं.

सचिवालय-विधानसभा में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी.

पढ़ें: नाले में पड़ा मिला शादी के कार्ड बांटने गए बुजुर्ग का शव

बता दें कि 16 अक्टूबर 2021 मनीष कुमार ने शिकायत दर्ज कराई थी कि आरोपी कमल किशोर पांडेय, मनोज नेगी, चेतन पांडेय और ललित बिष्ट ने उससे और उसके सगे संबंधियों को सरकारी विभाग में नौकरी दिलाने का झांसा देकर कुल 62 लाख रुपये हड़प लिए. आरोप है कि कमल किशोर पांडेय ने खुद को प्रशासनिक अधिकारी, ललित बिष्ट को सचिवालय में सचिव और मनोज नेगी को अपर सचिव बताया. इतना ही नहीं, इन लोगों ने नौकरी के नाम पर पैसे लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र भी दे दिया.

पीड़ित ने थाना पटेल नगर में कमल किशोर पांडेय सहित 4 आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया. मामले में कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम ने आरोपियों के खातों की बैंको से लेन-देन डिटेल ली. जिसमें पीड़ितों द्वारा समय-समय पर लाखों रुपये जमा कराना पाया गया. आरोपियों के खातों में करोड़ों रुपये का लेन-देन पाया गया. पुलिस ने आरोपियों के संभावित ठिकानों पर दबिश दी, लेकिन आरोपी लगातार फरार चलते रहे.

पढ़ें: हल्द्वानी में पुलिस ने 9 जुआरियों को दबोचा, 10 लाख की नकदी बरामद

इन आरोपियों के मोबाइल नंबर भी स्विच ऑफ आ रहा था. पुलिस टीम ने गिरोह के सरगना आरोपी कमल किशोर पांडेय को त्यागी रोड संगम होटल के पास से गिरफ्तार किया गया. आरोपी से पूछताछ करने पर उसने साथियों के साथ मिलकर कई व्यक्तियों से सरकारी विभागों में नौकरी दिलाने के नाम पर करोड़ों रुप की ठगी करने की बात स्वीकार की. इसके आलावा आरोपी कमल किशोर पांडेय द्वारा आवेदकों को इंटरव्यू के लिए सचिवालय और विधानसभा ले जाना और आवेदकों को फर्जी नियुक्ति पत्र देना स्वीकार किया गया.

सीओ सदर हिमांशु वर्मा ने बताया की आरोपी से पूछताछ में बताया कि कमल किशोर पांडेय ने बी-टेक की शिक्षा प्राप्त की है. 2015 से 2019 तक मर्चेंट नेवी रिक्रूटमेंट का काम किया है. आरोपी का भाई सूचना विभाग मे हेड क्लर्क के पद पर नियुक्त है. आरोपी के साथी ललित बिष्ट की पत्नी पीडब्लूडी विभाग में प्रशासनिक अधिकारी के पद पर नियुक्त हैं. मनोज नेगी उत्तराखंड जल विद्युत निगम पौड़ी मे संविदा पर नियुक्त है, जिस कारण सभी लोगों का सचिवालय में आना जाना लगा रहता था. आरोपियों का सचिवालय और विधानसभा की अच्छी जानकारी भी थी.

आरोपी कमल, ललित बिष्ट और मनोज नेगी ने लोगों को सरकारी विभागों में क्लर्क पद पर नौकरी दिलाने का झांसा देकर पैसा कमाने की योजना बनाई. साल 2018 में एक विवाह समारोह में आरोपी पीड़ित मनीष कुमार से मोती बाजार में मिला. आरोपी ने मनोज से नौकरी लगवाने की बात कही, जिसके बाद मनीष कुमार ने अपने भाई, साले और अन्य लोगों को नौकरी लगवाने के लिए कहा. जिस पर आरोपी ने मनीष कुमार और अन्य लोगों से आईएसबीटी, विधानसभा के पास कई बार मुलाकात की. प्रत्येक अभ्यर्थी की विभिन्न सरकारी विभागों मे नौकरी लगाने के एवज में 6,50,000 रुपए प्रत्येक से लेना तय हुआ.

पढ़ें: संदिग्ध परिस्तिथियों में विवाहिता की मौत, परिजनों ने हत्या की जताई आशंका

जिसके लिए ललित बिष्ट और मनोज नेगी की सहायता से विभिन्न विभागों के फर्जी फार्म मनीष कुमार को भेजे और प्रति अभ्यर्थियों की नौकरी लगाने के लिए तय की गई. धनराशि के हिसाब से 10 अभ्यर्थियों से 62 लाख रुपये लिए गए. इसके बाद आरोपी सहित ललित बिष्ट व मनोज नेगी की सहायता से कुछ अभ्यर्थियों के सचिवालय व विधानसभा के खाली पड़े केबिन में इंटरव्यू कराए. इंटरव्यू मनोज नेगी सचिव और ललित बिष्ट अपर सचिव बनकर लेता था.

इंटरव्यू के बाद आरोपियों ने फर्जी नियुक्ति पत्र तैयार कर अभ्यर्थियों को दिये और उनका दून अस्पताल में मेडिकल कराया. कुछ समय बाद आरोपियों द्वारा पद निरस्त होने का बहाना बनाया गया और उनके पैसे वापस करने में जानबूझ कर टालमटोल करते रहे. इसके आलावा तीनों आरोपियों ने मिलकर अन्य कई लोगों से भी इसी प्रकार नौकरी लगाने के एवज मे करोड़ों रुपये लिए गए.

Last Updated : Oct 31, 2021, 6:00 PM IST
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