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सावधान! देहरादून के पानी में मानकों के अनुरूप मिनरल्स नहीं, REPORT में चौंकाने वाले तथ्य

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Published : Oct 21, 2019, 2:41 PM IST

Updated : Oct 21, 2019, 3:52 PM IST

स्पेक्स संस्था द्वारा राजधानी के पेयजल की गुणवत्ता पर शोध करने पर कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं.अलग-अलग इलाकों से लिए गए पानी के 96 सेम्पल में टीडीएस (टोटल डिसॉल्व सॉलिड) और क्लोरीन की मात्रा मानकों से कई गुना ज्यादा पाई गई.

पेयजल में खामियां

देहरादूनः आपके घरों में लगे नलों में हर रोज जो पानी आ रहा है क्या आपने कभी उसकी गुणवत्ता के बारे में सोचा है? यदि नहीं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है. राजधानी देहरादून के जाने-माने वैज्ञानिक और स्पेक्स संस्था के सदस्य डॉक्टर बृजमोहन शर्मा बीते कई सालों से राजधानी के पेयजल की गुणवत्ता पर शोध कर रहे हैं. उनकी पेयजल शोध रिपोर्ट कई बार सरकार को आइना भी दिखा चुकी है.

राजधानी के पेयजल आपूर्ति में गुणवत्ता का अभाव.

यहां बड़ा सवाल ये है कि जब सरकार आम लोगों को पीने योग्य पानी तक मुहैया नहीं करा पा रही है तो यह कैसा विकास? स्पेक्स संस्था के वैज्ञानिक बृजमोहन शर्मा की ओर से पानी की गुणवत्ता पर किए गए शोध में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. उनके मुताबिक दून की जनता जिस पानी का सेवन कर रही है, वह कहीं से भी पीने योग्य नहीं है.

वैज्ञानिक डॉक्टर बृजमोहन शर्मा बताते हैं कि उनके द्वारा लिए गए दून के पानी के सैंपल में टीडीएस (टोटल डिसॉल्व सॉलिड) की मात्रा मानकों से कई गुना ज्यादा पाई गई है. यहां के पानी में क्लोरीन भी काफी अधिक है. यही कारण है कि अब दून के लगभग हर घर में आरओ या वाटर प्यूरीफायर लगा हुआ है, लेकिन लोगों को यह पता नहीं है कि आरओ में 30 से 50 फीसदी पानी व्यर्थ जाता है. इसके साथ ही जो पानी में जरूरी मिनरल्स होने चाहिए वह भी खत्म हो जाते हैं.

ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूनवासी जो पानी पी रहे हैं वह उनके सेहत के लिए कितना लाभदायक है. वैज्ञानिक डॉक्टर शर्मा बताते हैं कि उनकी संस्था स्पेक्स की ओर से राजधानी के अलग अलग इलाकों से पानी के 96 सेम्पल लिए गए थे. जिसमें शहर के पानी में टीडीएस (टोटल डिसॉल्व सॉलिड) और क्लोरीन की मात्रा मानकों से कई गुना ज्यादा पाई गई है.

बात टीडीएस की करें तो अकेता एवेन्यू में टीडीएस सबसे अधिक 713mg/l प्रति लीटर पाया गया है. वहीं विजय कॉलोनी के पानी में सबसे कम टीडीएस यानी 300 mg/l पाया गया है जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक है.

दून के अलग-अलग इलाकों में क्लोरीन की मात्रा की करें तो शहर के महज दो स्थानों नई बिंदाल बस्ती, चंदर नगर के पानी में ही क्लोरीन की मात्रा सही पाई गई है जो कि 0.2 mg/l है. वहीं बात राजधानी के अन्य इलाकों की करें तो अन्य 32 इलाकों के पानी में क्लोरीन की मात्रा शून्य थी.

यह भी पढ़ेंः KBC की हॉट सीट तक पहुंचा उतराखंड पुलिस का जवान, आज होगा सीधा प्रसारण

इसके अलावा शोध में राजधानी के कुछ 44 इलाके ऐसे भी पाए गए हैं जहां के पानी में क्लोरीन की मात्रा काफी अधिक थी. इसमें मंडी, चकराता रोड, कालिदास रोड, डोबालवाला, सिरमौर रोड, बल्लूपुर रोड, शिवाजी मार्ग, कांग्रेस भवन, सालावाला, चीकू वाला, नेहरू कॉलोनी, कंडोली, विजय कॉलोनी, डालनवाला का नाम शामिल है.

यहां जानकारी के लिए बता दें कि पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा या कमी की वजह से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इसकी वजह से अस्थमा, गॉल ब्लैडर, कैंसर, छाती संबंधी रोग और हृदय से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.

देहरादूनः आपके घरों में लगे नलों में हर रोज जो पानी आ रहा है क्या आपने कभी उसकी गुणवत्ता के बारे में सोचा है? यदि नहीं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है. राजधानी देहरादून के जाने-माने वैज्ञानिक और स्पेक्स संस्था के सदस्य डॉक्टर बृजमोहन शर्मा बीते कई सालों से राजधानी के पेयजल की गुणवत्ता पर शोध कर रहे हैं. उनकी पेयजल शोध रिपोर्ट कई बार सरकार को आइना भी दिखा चुकी है.

राजधानी के पेयजल आपूर्ति में गुणवत्ता का अभाव.

यहां बड़ा सवाल ये है कि जब सरकार आम लोगों को पीने योग्य पानी तक मुहैया नहीं करा पा रही है तो यह कैसा विकास? स्पेक्स संस्था के वैज्ञानिक बृजमोहन शर्मा की ओर से पानी की गुणवत्ता पर किए गए शोध में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. उनके मुताबिक दून की जनता जिस पानी का सेवन कर रही है, वह कहीं से भी पीने योग्य नहीं है.

वैज्ञानिक डॉक्टर बृजमोहन शर्मा बताते हैं कि उनके द्वारा लिए गए दून के पानी के सैंपल में टीडीएस (टोटल डिसॉल्व सॉलिड) की मात्रा मानकों से कई गुना ज्यादा पाई गई है. यहां के पानी में क्लोरीन भी काफी अधिक है. यही कारण है कि अब दून के लगभग हर घर में आरओ या वाटर प्यूरीफायर लगा हुआ है, लेकिन लोगों को यह पता नहीं है कि आरओ में 30 से 50 फीसदी पानी व्यर्थ जाता है. इसके साथ ही जो पानी में जरूरी मिनरल्स होने चाहिए वह भी खत्म हो जाते हैं.

ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूनवासी जो पानी पी रहे हैं वह उनके सेहत के लिए कितना लाभदायक है. वैज्ञानिक डॉक्टर शर्मा बताते हैं कि उनकी संस्था स्पेक्स की ओर से राजधानी के अलग अलग इलाकों से पानी के 96 सेम्पल लिए गए थे. जिसमें शहर के पानी में टीडीएस (टोटल डिसॉल्व सॉलिड) और क्लोरीन की मात्रा मानकों से कई गुना ज्यादा पाई गई है.

बात टीडीएस की करें तो अकेता एवेन्यू में टीडीएस सबसे अधिक 713mg/l प्रति लीटर पाया गया है. वहीं विजय कॉलोनी के पानी में सबसे कम टीडीएस यानी 300 mg/l पाया गया है जो सेहत के लिए बेहद हानिकारक है.

दून के अलग-अलग इलाकों में क्लोरीन की मात्रा की करें तो शहर के महज दो स्थानों नई बिंदाल बस्ती, चंदर नगर के पानी में ही क्लोरीन की मात्रा सही पाई गई है जो कि 0.2 mg/l है. वहीं बात राजधानी के अन्य इलाकों की करें तो अन्य 32 इलाकों के पानी में क्लोरीन की मात्रा शून्य थी.

यह भी पढ़ेंः KBC की हॉट सीट तक पहुंचा उतराखंड पुलिस का जवान, आज होगा सीधा प्रसारण

इसके अलावा शोध में राजधानी के कुछ 44 इलाके ऐसे भी पाए गए हैं जहां के पानी में क्लोरीन की मात्रा काफी अधिक थी. इसमें मंडी, चकराता रोड, कालिदास रोड, डोबालवाला, सिरमौर रोड, बल्लूपुर रोड, शिवाजी मार्ग, कांग्रेस भवन, सालावाला, चीकू वाला, नेहरू कॉलोनी, कंडोली, विजय कॉलोनी, डालनवाला का नाम शामिल है.

यहां जानकारी के लिए बता दें कि पानी में क्लोरीन की अत्यधिक मात्रा या कमी की वजह से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं. इसकी वजह से अस्थमा, गॉल ब्लैडर, कैंसर, छाती संबंधी रोग और हृदय से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं.

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FTP Folder- uk_deh_02_doon_water_quality_pkg_7201636

देहरादून- आपके घरों में लगे नलों में हर रोज जो पानी आ रहा है क्या आपने कभी उसकी गुणवंता के बारे में सोचा है ? यदि नही तो यह खबर आपको जरूर पढ़नी चहिए ।

राजधानी देहरादून के जाने-माने वैज्ञानिक और स्पेक्स संस्था के सदस्य डॉक्टर बृजमोहन शर्मा बीते कई सालों से राजधानी के पेयजल की गुणवत्ता पर शोध कर रहे हैं । उनकी पेयजल शोध रिपोर्ट कई बार सरकार को आईना भी दिखा चुकी है।

यहां यह बड़ा सवाल है कि जब सरकार आम लोगों को पीने योग्य पानी तक मुहैया नहीं करा पा रहे हैं तो यह कैसा विकास ? गौरतलब है कि स्पाइक संस्था के वैज्ञानिक डॉक्टर बृजमोहन शर्मा की ओर से राजधानी के पानी की गुणवत्ता पर किए गए शोध में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं । उनके मुताबिक दून की जनता जस पानी का सेवन कर रही है वह कहीं से भी पीने योग्य नहीं है।




Body:वैज्ञानिक डॉ बृजमोहन शर्मा बताते हैं कि उनके द्वारा लिए गए दून के पानी के सैंपल में टीडीएस (टोटल डिसॉल्व सॉलिड) की मात्रा मानकों से कई गुना ज्यादा पाई गई है। वहीं यहां के पानी में क्लोरीन भी काफी अधिक है । यही कारण है कि अब दून के लगभग हर घर मे आर.ओ या वाटर प्यूरीफायर लगा हुआ है । लेकिन लोगो को यह भी पता ही आरओ में 30 से 50 फ़ीसदी पानी व्यर्थ जाता है । इसके साथ ही जो पानी में जरूरी मिनरल्स होने चाहिए वह भी खत्म हो जाता है । ऐसे में इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि दूनवासी जो पानी पी रहे हैं वह उनके सेहत के लिए कितना लाभदायक है ।






Conclusion:
Last Updated : Oct 21, 2019, 3:52 PM IST
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