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महाभारत सर्किट योजना पर हो रहा 'महाभारत', केंद्र में अटका त्रिवेंद्र सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट

प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी महाभारत सर्किट योजना, केंद्र सरकार से स्वीकृति नहीं मिलने के कारण परवान नहीं चढ़ पाई है. जिससे जौनसार-बाबर क्षेत्र के चकराता, त्यूणी, देववन और लाखामंडल के साथ उत्तरकाशी जिले के पुरोला तक फैले महाभारत काल के अवशेषों को फिर से जीवंत रखने की कवायद अधर में लटक गई है.

mahabharat circuit scheme
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Published : Aug 3, 2019, 8:56 PM IST

देहरादूनः उत्तराखंड में महाभारत सर्किट हाउस बनाने की योजना अधर में लटकती नजर आ रही है. बीते साल ही राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेजा था. जिससे केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना में महाभारत सर्किट योजना को शामिल किया जा सके, लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है.

अधर में लटकी महाभारत सर्किट योजना.

दरअसल, राज्य सरकार ने जौनसार-बाबर क्षेत्र में चकराता, त्यूणी, देववन और लाखामंडल के साथ उत्तरकाशी जिले के पुरोला तक फैले महाभारत काल के निशान को फिर से जीवंत करने के लिए महाभारत सर्किट बनाने का फैसला लिया था. इन क्षेत्रों में काफी कम संख्या में पर्यटक घूमने जाते हैं.

जिसकी वजह से राज्य सरकार इसे सर्किट हाउस के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है. इसका मकसद अछूते पर्यटक स्थल की ओर पर्यटकों को आकर्षित करना है, साथ ही पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना और स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करना है.

ये भी पढ़ेंः अनाजों से बनाई जा रही तिरंगे वाली राखियां, सरहद पर तैनात जवानों की कलाई पर सजेगा 'प्यार'

100 करोड़ की लागत से बनेगा महाभारत सर्किट हाउस
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि महाभारत सर्किट हाउस योजना बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है. यमुना घाटी में जौनसार बाबर और चकराता क्षेत्र में काफी सारे कतिपय मंदिर हैं. कई जगहों पर अनेक अवशेष भी पाए गए हैं. जिसे महाभारत काल से जोड़ कर देखा जा रहा है. उसी के आसपास सर्किट बनाया जाना है. जिसके लिए करीब 100 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया गया है. इस योजना का प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है.

केंद्र से स्वीकृति के बाद शुरू होगा सर्किट हाउस का निर्माण
पर्यटन सचिव ने बताया कि सरकार की स्वदेश सुदर्शन योजना के तहत महाभारत सर्किट हाउस योजना प्रस्तावित है. मामले को लेकर केंद्र सरकार से पूर्व में चर्चा भी की जा चुकी है. अभी अन्य चर्चा होनी बाकी है. स्वीकृति मिलने के बाद ही इस योजना पर कार्रवाई शुरू की जाएगी.

उन्होंने कहा कि महाभारत सर्किट हाउस का निर्माण केंद्र सरकार की धनराशि से बनाने का प्रस्ताव है. किसी कारणवश स्वदेश सुदर्शन योजना के तहत केंद्र सरकार से धनराशि नहीं मिल पाती है तो राज्य सरकार की ओर से फेज वाइज सर्किट हाउस बनाने पर विचार किया जाएगा.

देहरादूनः उत्तराखंड में महाभारत सर्किट हाउस बनाने की योजना अधर में लटकती नजर आ रही है. बीते साल ही राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेजा था. जिससे केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना में महाभारत सर्किट योजना को शामिल किया जा सके, लेकिन इस महत्वाकांक्षी योजना पर कोई निर्णय नहीं हो पाया है.

अधर में लटकी महाभारत सर्किट योजना.

दरअसल, राज्य सरकार ने जौनसार-बाबर क्षेत्र में चकराता, त्यूणी, देववन और लाखामंडल के साथ उत्तरकाशी जिले के पुरोला तक फैले महाभारत काल के निशान को फिर से जीवंत करने के लिए महाभारत सर्किट बनाने का फैसला लिया था. इन क्षेत्रों में काफी कम संख्या में पर्यटक घूमने जाते हैं.

जिसकी वजह से राज्य सरकार इसे सर्किट हाउस के रूप में विकसित करने की योजना बना रही है. इसका मकसद अछूते पर्यटक स्थल की ओर पर्यटकों को आकर्षित करना है, साथ ही पर्यटकों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराना और स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध करना है.

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100 करोड़ की लागत से बनेगा महाभारत सर्किट हाउस
पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि महाभारत सर्किट हाउस योजना बड़ी महत्वाकांक्षी योजना है. यमुना घाटी में जौनसार बाबर और चकराता क्षेत्र में काफी सारे कतिपय मंदिर हैं. कई जगहों पर अनेक अवशेष भी पाए गए हैं. जिसे महाभारत काल से जोड़ कर देखा जा रहा है. उसी के आसपास सर्किट बनाया जाना है. जिसके लिए करीब 100 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट बनाया गया है. इस योजना का प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है.

केंद्र से स्वीकृति के बाद शुरू होगा सर्किट हाउस का निर्माण
पर्यटन सचिव ने बताया कि सरकार की स्वदेश सुदर्शन योजना के तहत महाभारत सर्किट हाउस योजना प्रस्तावित है. मामले को लेकर केंद्र सरकार से पूर्व में चर्चा भी की जा चुकी है. अभी अन्य चर्चा होनी बाकी है. स्वीकृति मिलने के बाद ही इस योजना पर कार्रवाई शुरू की जाएगी.

उन्होंने कहा कि महाभारत सर्किट हाउस का निर्माण केंद्र सरकार की धनराशि से बनाने का प्रस्ताव है. किसी कारणवश स्वदेश सुदर्शन योजना के तहत केंद्र सरकार से धनराशि नहीं मिल पाती है तो राज्य सरकार की ओर से फेज वाइज सर्किट हाउस बनाने पर विचार किया जाएगा.

Intro:देवभूमि उत्तराखंड में महत्वपूर्ण महाभारत सर्किट हाउस बनने की योजना अधर में लटकती नज़र आ रही है। पिछले साल ही राज्य सरकार ने महाभारत सर्किट का प्रोजेक्ट बनाकर केंद्र सरकार को भेज दिया था। ताकि केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन योजना में महाभारत सर्किट योजना को शामिल किया जा सके। लेकिन केंद्र में दोबारा नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद भी अभी तक इस महत्वकांक्षी योजना पर कोई निर्णय नही हो पाया है। लिहाजा कब तक इस महत्वकांक्षी योजना को केंद्र सरकार की स्वीकृति मिल पाएगी, ये एक बड़ा सवाल है?



Body:राज्य सरकार ने जौनसार बाबर क्षेत्र में चकराता, त्यूणी, देववन और लाखामंडल के साथ ही उत्तरकाशी जिले के पुरोला तक पसरे महाभारत काल के निशान को फिर से जीवंत करने के लिए महाभारत सर्किट बनाने का फैसला लिया था। इसके साथ ही इन क्षेत्रों में बेहद ही कम मात्रा में पर्यटक घूमने जाते है। जिस वजह से राज्य सरकार इसे सर्किट हाउस के रूप में विकसित करना चाहती है, जिससे भारी मात्रा में पर्यटक घूमने आएंगे, साथ ही इससे न सिर्फ पर्यटकों को सुविधाएं उपलब्ध होंगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल सकेंगे। 


100 करोड़ की लागत से बनेगा महाभारत सर्किट हाउस

पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने बताया कि महाभारत सर्किट हाउस की योजना बड़ी महत्त्वकांक्षी योजना है। इस प्रस्ताव जो बना है उसके अनुसार यमुना घाटी में जौनसार बाबर और चकराता क्षेत्र में बहुत सारे कतिपय मंदिर है और अवशेष पाए गए है जिसे महाभारत से जोड़ कर देखा जा रहा है, उसी के आसपास सर्किट बनाया जाना है जिसके लिए कारोब 100 करोड़ का प्रोजेक्ट बनाया गया है। और इस योजना का प्रस्ताव भारत सरकार को भेज दिया गया था। 


केन्द्र से स्वीकृति के बाद शुरू होगी सर्किट हाउस का निर्माण

पर्यटन सचीव ने बताया कि भारत सरकार की स्वदेश सुदर्शन योजना के तहत महाभारत सर्किट हाउस योजना प्रस्तावित है। इस संबंध में भारत सरकार से प्रीडिस्कशन भी हो चुका है। और अभी डीटेल्ड डिस्कशन होना बाकी है और स्वीकृति मिलने के बाद ही इस योजना पर कार्यवाही प्रारंभ हो पाएगी। क्योकि यह महाभारत सर्किट हाउस का निर्माण भारत सरकार की धनराशि से बनने का प्रस्ताव है। साथ ही बताया कि अगर ऐसी कोई स्तिथि बन जाती है जिसमे स्वदेश सुदर्शन योजना के तहत भारत सरकार से धनराशि नही मिल पाती है तो राज्य सरकार, द्वारा फेज वाइज सर्किट हाउस को बनाने पर विचार किया जाएगा। 

बाइट - दिलीप जावलकर, पर्यटन सचिव


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