देहरादून: लॉकडाउन की मार प्रदेश में राजश्व के मामले में सबसे आगे रहने वाले शराब व्यापार पर सबसे ज्यादा पड़ी है. ऐसे में सरकार द्वारा शराब व्यवसायियों को कुछ राहत तो दी गयी लेकिन व्यवसायियों के लिए ये राहत ऊंट के मुह में जीरा साबित हो रही है. यही वजह है कि आज हड़ताल जैसी नौबत आने को है. इसी मुद्दे पर ईटीवी भारत ने शराब व्यवसायियों से खास बातचीत की.
जब भी सरकार का बजट आता है तो राजस्व के लिहाज से सबसे पहली नजर आबकारी विभाग पर होती है. हर साल करोड़ों का भारी-भरकम राजस्व केवल आबकारी के लिए तय किया जाता है और हर साल उम्मीद से बेहतर राजस्व आबकारी विभाग को प्राप्त होता है. इसके पीछे उत्तराखंड की ओर लोगों की बढ़ती लोकप्रियता, यहां का पर्यटन और साल-दर-साल उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों की संख्या में होने वाले बढ़ोत्तरी है, लेकिन इस साल कोविड-19 ने पूरा समीकरण ही बदल कर रख दिया है.
कोरोनावायरस और लॉकडाउन की मार से शराब व्यापार के समीकरण तो पूरी तरह से बदल ही दिए हैं, लेकिन शराब व्यापार पर सरकार को जाने वाले राजस्व और टैक्स में कोई बदलाव नहीं किया गया है. मानवीय पक्ष देखते हुए सरकार की ओर से शराब व्यवसायियों को कुछ राहत दी गई, लेकिन आज की तारीख में शराब व्यवसायियों का कहना है कि सरकार द्वारा दी गई यह राहत उनके लिए 'ऊंट के मुंह में जीरा' साबित हो रही है.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में शराब व्यवसायी भगवती बिष्ट ने बताया कि 22 मार्च से सरकार द्वारा लॉकडाउन किया गया था और पिछले वित्तीय वर्ष में 22 तारीख से लेकर 31 मार्च तक तकरीबन 10 दिन और इस वित्तीय वर्ष में 1 अप्रैल से 3 मई तक का नुकसान शराब व्यापारियों को हुआ, जिसमें सरकार द्वारा राहत जरूर दी गई जिसके लिए सरकार स्वागत के योग्य है. इसके बावजूद सरकार द्वारा जो अब हर महीने अधिभार के रूप में कोटा सिस्टम है, वह शराब व्यापारियों के लिए बेहद नुकसान पहुंचाने वाला है.
कोटा सिस्टम बनी शराब व्यापारियों की बड़ी समस्या
दरअसल, शराब व्यापार में आबकारी विभाग द्वारा हर एक दुकान का अधिकार नियुक्त किया जाता है, जिसको आम भाषा में कोटा कहा जाता है यानी अगर किसी दुकान का कोटा 1 करोड़ रुपये है तो इस बात से फर्क नहीं पड़ता है कि वहां कितनी बिक्री हुई है लेकिन उसे हर महीने एक करोड़ का अधिभार भुगतना ही होगा.
70% नुकसान में शराब की दुकाने, कैसे भरें 100% का अधिभार
शराब व्यपारी टोनी जयसवाल ने बताया कि पिछली बार सरकार द्वारा 3600 करोड़ का राजस्व आबकारी के लिए रखा था और इस बार ऐसे 25% बढ़ाया गया है. प्रदेश में 501 शराब की दुकानों में से 151 शराब की दुकान बंद है. उन्होंने बताया कि प्रदेश में पर्यटन और शादी-ब्याह जैसे तमाम समारोह और गतिविधियां पूरी तरह से बंद है. ऐसे में शराब की दुकाने केवल 30 फीसदी टर्नओवर उठा पा रही है और 70 फीसदी का नुकसान शराब की दुकानें झेल रही हैं, लेकिन सरकार द्वारा तय किये गए कोटा सिस्टम के अनुसार दुकानों को 100% पर अधिभार देना है जो कि व्यवहारिक रूप से बिल्कुल भी न्यायोचित नहीं है.
शराब व्यपारी टोनी जयसवाल ने सरकार से गुहार लगाई है कि जब तक समाज कोविड-19 की मार झेल रहा है तब तक उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य की तर्ज पर दैनिक बिक्री या फिर औसत मासिक बिक्री के हिसाब से अधिभार लगाया जाए.