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श्रम विभाग के पास ही नहीं कोई जानकारी, तो कैसे साकार होगा श्रमिक दिवस

देश में संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. अमूमन सभी राज्यों में जनसंख्या के अनुपात में ये बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. इस बीच उत्तराखंड के श्रम विभाग की एक चौंकाने वाली खबर ये है कि श्रम विभाग को ही पता नहीं है कि सूबे में कितने श्रमिक हैं.

ETV BHARAT की खास रिपोर्ट.
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Published : May 1, 2019, 1:35 PM IST

देहरादून: देश-दुनिया में श्रमिकों के हितों के लिए कई कानून बनाए गए हैं. इन कानूनों का मकसद मजदूर वर्ग को शोषण से बचाना और उन योजनाओं का लाभ दिलाना है. अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर ईटीवी भारत इस बार सूबे के श्रम विभाग की वो तस्वीर दिखाने जा रहा है. जिसके बाद आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि उत्तराखंड का श्रम विभाग श्रमिकों को लेकर कितना गंभीर है. देखिये ये खास रिपोर्ट...

ETV BHARAT की खास रिपोर्ट.

बता दें कि देश में संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. अमूमन सभी राज्यों में जनसंख्या के अनुपात में ये बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. इस बीच उत्तराखंड के श्रम विभाग की एक चौंकाने वाली खबर ये है कि विभाग के पास सूबे में कार्य करने वाले श्रमिकों का कोई आंकड़ा ही नहीं है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर श्रमिकों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है. इतना ही कि सूबे में बाकी राज्यों की तर्ज पर एक अलग श्रम मंत्रालय का गठन भी किया गया है. इसके बावजूद राज्य में संगठित और असंगठित क्षेत्र में कुल श्रमिकों की संख्या का मंत्रालय को कोई पता नहीं है.

संगठित क्षेत्र के मजदूरों की संख्या पर गौर करें तो उत्तराखंड में कुल 6 लाख 88 हजार श्रमिक हैं. इसके अलावा निर्माण से जुड़े श्रमिकों की संख्या करीब 4 लाख 16 हजार है.

श्रम विभाग 18 साल बाद पहली बार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का आंकड़ा जुटाने की कोशिश कर रहा है. साथ ही पिछले 3 सालों के आंकड़े जुटाने की जद्दोजहद कर रहा है. प्रदेश में श्रम विभाग द्वारा करोड़ों की योजनाएं चलाई जा रही है, जिसका लाभ भी बड़ी संख्या में श्रमिक ले रहे हैं. ऐसे में श्रम विभाग की प्राथमिकता उन आंकड़ों को जुटाने में होगी, जिससे विभाग को सही संख्या का पता लग सके.

बता दें कि विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत अक्सर अपने इस विभाग के अच्छे कामों को लेकर पीठ थपथपाते रहे हैं, लेकिन शायद वह भी भूल गए कि श्रमिकों के सही आंकड़े नहीं होंगे तो सूबे में योजनाओं को भी सही से लागू नहीं किया जा सकेगा.

देहरादून: देश-दुनिया में श्रमिकों के हितों के लिए कई कानून बनाए गए हैं. इन कानूनों का मकसद मजदूर वर्ग को शोषण से बचाना और उन योजनाओं का लाभ दिलाना है. अंतरराष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर ईटीवी भारत इस बार सूबे के श्रम विभाग की वो तस्वीर दिखाने जा रहा है. जिसके बाद आप सहज ही अंदाजा लगा सकते हैं कि उत्तराखंड का श्रम विभाग श्रमिकों को लेकर कितना गंभीर है. देखिये ये खास रिपोर्ट...

ETV BHARAT की खास रिपोर्ट.

बता दें कि देश में संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. अमूमन सभी राज्यों में जनसंख्या के अनुपात में ये बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. इस बीच उत्तराखंड के श्रम विभाग की एक चौंकाने वाली खबर ये है कि विभाग के पास सूबे में कार्य करने वाले श्रमिकों का कोई आंकड़ा ही नहीं है. ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर पर श्रमिकों के लिए चलाई जा रही योजनाओं का कितना लाभ मिल रहा है. इतना ही कि सूबे में बाकी राज्यों की तर्ज पर एक अलग श्रम मंत्रालय का गठन भी किया गया है. इसके बावजूद राज्य में संगठित और असंगठित क्षेत्र में कुल श्रमिकों की संख्या का मंत्रालय को कोई पता नहीं है.

संगठित क्षेत्र के मजदूरों की संख्या पर गौर करें तो उत्तराखंड में कुल 6 लाख 88 हजार श्रमिक हैं. इसके अलावा निर्माण से जुड़े श्रमिकों की संख्या करीब 4 लाख 16 हजार है.

श्रम विभाग 18 साल बाद पहली बार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का आंकड़ा जुटाने की कोशिश कर रहा है. साथ ही पिछले 3 सालों के आंकड़े जुटाने की जद्दोजहद कर रहा है. प्रदेश में श्रम विभाग द्वारा करोड़ों की योजनाएं चलाई जा रही है, जिसका लाभ भी बड़ी संख्या में श्रमिक ले रहे हैं. ऐसे में श्रम विभाग की प्राथमिकता उन आंकड़ों को जुटाने में होगी, जिससे विभाग को सही संख्या का पता लग सके.

बता दें कि विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत अक्सर अपने इस विभाग के अच्छे कामों को लेकर पीठ थपथपाते रहे हैं, लेकिन शायद वह भी भूल गए कि श्रमिकों के सही आंकड़े नहीं होंगे तो सूबे में योजनाओं को भी सही से लागू नहीं किया जा सकेगा.

Intro:देश-दुनिया में श्रमिकों के हितों के लिए कई कानून बनाए गए हैं। इन कानूनों का मकसद मजदूर वर्ग को शोषण से बचाना और उन योजनाओं का लाभ दिलाना है जो उनके लिए ही बनी होती है। अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर ईटीवी भारत इस बार उत्तराखंड श्रम विभाग की वह चौंकाने वाली तस्वीर आपके सामने लाएगा जिसे सुनकर आप सहज ही अंदाजा लगा लेंगे कि उत्तराखंड का श्रम विभाग श्रमिकों को लेकर कितना गंभीर है। ईटीवी भारत की अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक दिवस पर देखिये ये खास रिपोर्ट.....


Body:देश में संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है...अमूमन सभी राज्यों में जनसंख्या बढ़ोतरी के अनुपात में ये बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। इस बीच उत्तराखंड के लिहाज से चौंकाने वाली खबर यह है कि राज्य के श्रम विभाग को ये जानकारी ही नहीं है कि सूबे में कितने श्रमिक है। आप अंदाजा लगाइए की राष्ट्रीय और प्रदेश के स्तर पर श्रमिकों के लिए दर्जनों योजनाएं चलाई जा रही हैं और बाकी राज्यों की तरह उत्तराखंड में बकायदा इसके लिए एक अलग मंत्रालय का गठन भी किया गया है... लेकिन इस सब के बावजूद राज्य में संगठित और असंगठित क्षेत्र में कुल श्रमिको की संख्या ही मंत्रालय को नहीं पता है। आप हैरान रह जाएंगे जब आपको पता चलेगा कि प्रदेश में मजदूरों की संख्या का आंकड़ा न तो देहरादून स्थित श्रम कार्यालय के अधिकारी जानते हैं न सचिवालय में बैठे सचिव और ना ही मंत्री जी का स्टाफ... ऐसे में आप सोचिए कि असंगठित क्षेत्र के लिए बनाई जा रही योजनाओं को श्रम विभाग कैसे धरातल पर उतार पाएगा। बरहाल असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का आंकड़ा तो मंत्रालय को पता ही नहीं है लेकिन संगठित क्षेत्र के मजदूरों की संख्या पर गौर करें तो उत्तराखंड में कुल 688000 श्रमिक है। इसके अलावा निर्माण से जुड़े श्रमिकों की संख्या करीब 416000 है। आप सुनिए कि कैसे श्रम विभाग के सचिव हरवंश चुघ आंकड़ा नहीं होने की बात कह रहे हैं और जल्द से जल्द 3 साल के आंकड़े जुटाने का भी दावा कर रहे हैं। बाइट-हरबंस चुघ, सचिव, श्रम विभाग हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रमिक मानधन योजना को शुरू करने की घोषणा की है जो कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए होगी और इसका सीधा फायदा असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को ही होगा लेकिन जब उत्तराखंड सरकार को अपने प्रदेश में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों की जानकारी ही नहीं है तो ऐसे में इस योजना को धरातल पर श्रम विभाग कैसे उतारे का यह भी एक बड़ा सवाल है। हालांकि अब प्रदेश बनने के 18 साल बाद पहली बार असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का आंकड़ा जुटाने की कोशिश की जा रही है और पिछले 3 सालों के आंकड़े जुटाने की कसरत श्रम विभाग की तरफ से शुरू की गई है।


Conclusion:उत्तराखंड श्रम विभाग में करोड़ों की योजनाएं चलाई जा रही है जिसका लाभ भी बड़ी संख्या में श्रमिक ले रहे हैं लेकिन श्रम विभाग की प्राथमिकता उन आंकड़ों को जुटाना भी होना चाहिए जिनको फायदा देने की जिम्मेदारी विभाग की है। खास बात यह भी है कि विभागीय मंत्री हरक सिंह रावत अक्सर अपने इस विभाग के अच्छे कामों को लेकर पीठ थपथपाते रहे हैं लेकिन शायद वह भी भूल गए कि श्रमिकों के सही आंकड़े नहीं होंगे तो योजनाओं को भी सही से लागू नहीं किया जा सकेगा। पीटीसी नवीन उनियाल
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