विकासनगरः कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी इनदिनों इंडियन बटर ट्री (चिवरा) के पौधे तैयार कर रहा है. जिसे करीब ढाई सौ किसानों को उपलब्ध कराया जा चुका है. इस पेड़ के बीजों से खाद्य तेल निकाला जा रहा है. जो कि पूरी तरह से कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है. इस तेल को खाने के लिए स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है. वहीं, किसान भी इन पेड़ों को लगाकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं बटर ट्री के बारे में.
दरअसल, कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में एक इंडियन बटर ट्री यानी चिवरा का एक विशाल पेड़ लगाया गया है. जिसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जा रहा है. इस पेड़ को कृषि विज्ञान केंद्र ने संरक्षित किया है. जबकि, चिवरा के पेड़ों को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने बीते एक साल के भीतर करीब एक हजार पौधे तैयार किया है. जिसमें से ढाई सौ पौधे किसानों को दिए जा चुके हैं.
ये भी पढ़ेंः देहरादून: उत्तराखंड वन निगम को मुफ्त में जमीन देगा वन विभाग
इंडियन बटर ट्री यानी चिवरा-
यह पेड़ चौड़े पत्तों के साथ विशालकाय और छायादार होता है. इसकी लकड़ी जलाने के काम भी आती है. जबकि, इसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जाता है. जो कि कोलेस्ट्रॉल फ्री तेल होता है. जिसे स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है. हालांकि, इसकी लोकप्रियता अभी ज्यादा नहीं हुई है. लेकिन, कुमाऊं क्षेत्र के तलहटी वाले गांवों में इस वृक्ष के बीजों से तेल निकाल कर खाने में इस्तेमाल किया जाता है.
वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के इंचार्ज डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि इंडियन बटर ट्री को कुमाउंनी और गढ़वाली भाषा में चिवरा कहते हैं. इसके पेड़ से खाने का तेल आसानी से निकलता है. जिस तरह से सरसों और मूंगफली से तेल निकलता है, उसी तरह इसके बीजों से तेल भी अच्छी मात्रा में निकाला जा सकता है. इसके तेल में कुछ ऐसे फैटी एसिड होते हैं, जो खाने के लिए स्वास्थ्य वर्धक होते हैं. अब इसके पौधों को किसानों को मुहैया कराया जा रहा है.