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कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी तैयार कर रहा इंडियन बटर ट्री पौधे, निकल रहा कोलेस्ट्रॉल फ्री तेल - plantation of indian butter tree

कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में इंडियन बटर ट्री यानी चिवरा का एक विशाल पेड़ लगाया गया है. जिसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जा रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र ने बीते एक साल के भीतर करीब एक हजार पौधे तैयार किया है. जिसमें से ढाई सौ पौधे किसानों को दिए जा चुके हैं.

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इंडियन बटर ट्री
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Published : Feb 5, 2020, 5:31 PM IST

Updated : Feb 5, 2020, 6:01 PM IST

विकासनगरः कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी इनदिनों इंडियन बटर ट्री (चिवरा) के पौधे तैयार कर रहा है. जिसे करीब ढाई सौ किसानों को उपलब्ध कराया जा चुका है. इस पेड़ के बीजों से खाद्य तेल निकाला जा रहा है. जो कि पूरी तरह से कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है. इस तेल को खाने के लिए स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है. वहीं, किसान भी इन पेड़ों को लगाकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं बटर ट्री के बारे में.

कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी तैयार कर रहा इंडियन बटर ट्री पौधे.

दरअसल, कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में एक इंडियन बटर ट्री यानी चिवरा का एक विशाल पेड़ लगाया गया है. जिसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जा रहा है. इस पेड़ को कृषि विज्ञान केंद्र ने संरक्षित किया है. जबकि, चिवरा के पेड़ों को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने बीते एक साल के भीतर करीब एक हजार पौधे तैयार किया है. जिसमें से ढाई सौ पौधे किसानों को दिए जा चुके हैं.

ये भी पढ़ेंः देहरादून: उत्तराखंड वन निगम को मुफ्त में जमीन देगा वन विभाग

इंडियन बटर ट्री यानी चिवरा-
यह पेड़ चौड़े पत्तों के साथ विशालकाय और छायादार होता है. इसकी लकड़ी जलाने के काम भी आती है. जबकि, इसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जाता है. जो कि कोलेस्ट्रॉल फ्री तेल होता है. जिसे स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है. हालांकि, इसकी लोकप्रियता अभी ज्यादा नहीं हुई है. लेकिन, कुमाऊं क्षेत्र के तलहटी वाले गांवों में इस वृक्ष के बीजों से तेल निकाल कर खाने में इस्तेमाल किया जाता है.

वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के इंचार्ज डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि इंडियन बटर ट्री को कुमाउंनी और गढ़वाली भाषा में चिवरा कहते हैं. इसके पेड़ से खाने का तेल आसानी से निकलता है. जिस तरह से सरसों और मूंगफली से तेल निकलता है, उसी तरह इसके बीजों से तेल भी अच्छी मात्रा में निकाला जा सकता है. इसके तेल में कुछ ऐसे फैटी एसिड होते हैं, जो खाने के लिए स्वास्थ्य वर्धक होते हैं. अब इसके पौधों को किसानों को मुहैया कराया जा रहा है.

विकासनगरः कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी इनदिनों इंडियन बटर ट्री (चिवरा) के पौधे तैयार कर रहा है. जिसे करीब ढाई सौ किसानों को उपलब्ध कराया जा चुका है. इस पेड़ के बीजों से खाद्य तेल निकाला जा रहा है. जो कि पूरी तरह से कोलेस्ट्रॉल फ्री होता है. इस तेल को खाने के लिए स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है. वहीं, किसान भी इन पेड़ों को लगाकर अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं बटर ट्री के बारे में.

कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी तैयार कर रहा इंडियन बटर ट्री पौधे.

दरअसल, कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में एक इंडियन बटर ट्री यानी चिवरा का एक विशाल पेड़ लगाया गया है. जिसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जा रहा है. इस पेड़ को कृषि विज्ञान केंद्र ने संरक्षित किया है. जबकि, चिवरा के पेड़ों को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने बीते एक साल के भीतर करीब एक हजार पौधे तैयार किया है. जिसमें से ढाई सौ पौधे किसानों को दिए जा चुके हैं.

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इंडियन बटर ट्री यानी चिवरा-
यह पेड़ चौड़े पत्तों के साथ विशालकाय और छायादार होता है. इसकी लकड़ी जलाने के काम भी आती है. जबकि, इसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जाता है. जो कि कोलेस्ट्रॉल फ्री तेल होता है. जिसे स्वास्थ्य वर्धक माना जाता है. हालांकि, इसकी लोकप्रियता अभी ज्यादा नहीं हुई है. लेकिन, कुमाऊं क्षेत्र के तलहटी वाले गांवों में इस वृक्ष के बीजों से तेल निकाल कर खाने में इस्तेमाल किया जाता है.

वहीं, कृषि विज्ञान केंद्र के इंचार्ज डॉ. अशोक शर्मा ने बताया कि इंडियन बटर ट्री को कुमाउंनी और गढ़वाली भाषा में चिवरा कहते हैं. इसके पेड़ से खाने का तेल आसानी से निकलता है. जिस तरह से सरसों और मूंगफली से तेल निकलता है, उसी तरह इसके बीजों से तेल भी अच्छी मात्रा में निकाला जा सकता है. इसके तेल में कुछ ऐसे फैटी एसिड होते हैं, जो खाने के लिए स्वास्थ्य वर्धक होते हैं. अब इसके पौधों को किसानों को मुहैया कराया जा रहा है.

Intro:विकासनगर _कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी द्वारा इंडियन बटर ट्री के पौधे किसानो को उपलब्ध कराई जा रहे हैं इस वृक्ष के बीजों से खाद्य तेल निकाला जा सकता है जोकि कोलस्ट्रोल फ्री होता है


Body:कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी में वर्षों पूर्व लगा एक चिवरा यानी इंडियन बटर ट्री का एक विशाल वृक्ष है जिस के बीजों से खाद्य तेल निकाला जाता है यह वृक्ष कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा संरक्षित किया हुआ है इस वृक्ष को और अधिक विस्तार देने के लिए पिछले 1 वर्षों से कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा इसके बीजों से लगभग 1000 पौधों का प्लांट लगाया गया है जिसमें से की ढाई सौ पौधे किसानों को दिए जा चुके हैं यह वृक्ष चौड़े पत्तों का होने के साथ-साथ काफी विशाल वृक्ष है इस वृक्ष से छाया के साथ-साथ इसकी लकड़ी जलाने के काम आती है वह इसके बीजों से खाद्य तेल निकाला जा सकता है जो कि कोलस्ट्रोल फ्री होता है जो कि खाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक माना गया है इसकी लोकप्रियता अभी तक इतनी ज्यादा नहीं हुई है लेकिन कुमाऊं क्षेत्र के तलहटी वाले गांव में इस वृक्ष के बीजों का तेल निकाल कर खाने में इस्तेमाल किया जाता है.


Conclusion:कृषि विज्ञान केंद्र के इंचार्ज डॉ अशोक शर्मा बताते हैं इंडियन बटर ट्री जिसे कुमाऊनी व गढ़वाली भाषा में चिवरा भी कहते हैं खाने का तेल बहुत आसानी से निकलता है पिछले कई दिनों से किसान यहां आते हैं तो देखते हैं कि इस वृक्ष का पौधा चाहिए विगत 1 वर्षों से प्रयास किया है जिसमें अभी तक ढाई सौ पौधे किसानों को दिए गए हैं अभी हमारे पास लगभग 1000 पौधे हैं जो लगातार किसानों को देते आ रहे हैं और इसका इस्तेमाल बहुत ही अच्छा है इससे खाने का तेल बड़ी आसानी से निकालते हैं जिस तरह से सरसों और मूंगफली से निकलता है इसी तरह इसके बीजो से तेल अच्छी मात्रा में निकाला जा सकता है सबसे बड़ी बात यह है कि कोलस्ट्रोल फ्री होता है कुछ फैटी एसिड ऐसे होते हैं जो खाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक होते .

बाइट_ डॉ अशोक शर्मा _इंचार्ज कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी
Last Updated : Feb 5, 2020, 6:01 PM IST
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