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गर्म इलाके में सेब उगाने के उत्साहजनक आए परिणाम, पौधों में खिले उम्मीदों के फूल - हरमनशैमैन प्रजाति

कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी द्वारा पिछले वर्ष गर्म इलाकों में सेब उत्पादन के परीक्षण के लिये चार प्रजाति के सेब के पौधे लगाए गए थे. इनमें अभी काफी फ्लावरिंग देखी गई है. इससे कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक बहुत खुश हैं. आइये जानते हैं कि डॉ. अशोक कुमार शर्मा का इस बारे में क्या कहना है.

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गर्म इलाके में सेब उगाने के लिये किया जा रहा परीक्षण
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Published : Mar 21, 2023, 1:13 PM IST

गर्म इलाके में सेब उगाने के लिये किया जा रहा परीक्षण

विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी देहरादून इन दिनों सेब की 4 प्रजातियों का गर्म इलाके में परीक्षण कर रहा है. पिछले वर्ष जनवरी में नई प्रजाति के 80 पौधे अपने परिक्षेत्र में रोपित किए गए थे. जिन पर वर्तमान में अच्छी फ्लावरिंग आई है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अशोक कुमार शर्मा का कहना है कि यह परीक्षण लंबे समय तक चलता है. यदि परीक्षण सफल रहा तो यह गर्म इलाकों में भी किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होगा.

पिछले साल रोपे गये पौधों में आई फ्लावरिंग: बागवानी के क्षेत्र में लोग दिन-प्रतिदिन अनेकों फल पौधों की बागान तैयार कर रहे हैं. जिससे किसान बागवानों को अधिक मुनाफा मिल सके. इसी परिपेक्ष्य में कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी भी पीछे नहीं है. उन्होंने भी किसानों के लिए गर्म इलाके में पैदा होने वाली सेब की किस्मों का परीक्षण जनवरी 2022 से शुरू कर दिया है. जनवरी में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा चार नई प्रजाति के सेब के लगभग 80 पौधे रोपे गए हैं. इसमें प्रत्येक किस्म के बीस-बीस पौधे हैं. वर्तमान में इन पौधों में अच्छी फ्लावरिंग निकल आई है, जिससे कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार शर्मा काफी खुश नजर आ रहे हैं.

इन प्रजातियों के लगाए गए पौधे: वैज्ञानिक अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि सेब की ये किस्में गर्म इलाके के लिए भी उपयुक्त पाई गई हैं. हमारे मैदानी इलाकों देहरादून, ढकरानी, विकासनगर और अन्य इलाकों में भी जहां हमारा शोध सेंटर है, हमने सेब की 4 किस्में अपने परीक्षेत्र पर इसी आशय के साथ लगाई थी कि हमारे यहां गर्म इलाके में भी सेब की पैदावार हो सकती है या नहीं. परीक्षण चल रहा है. वर्तमान में जो किस्में लगाई गई हैं, उनमें सेब की माइकल प्रजाति स्कोमिट प्रजाति, हरमनशैमैन प्रजाति, अनन्ना प्रजाति हर किस्मों के बीस-बीस पौधे लगाए हैं. टोटल 80 पौधों में अच्छी फ्लावरिंग आई है.

यह भी पढ़ें: Dehradun: सीएम धामी ने 'सगन्ध फसल उत्कृष्टता केंद्र' का किया लोकार्पण, किसानों को मिलेगा फायदा

किसानों को भी उपलब्ध कराएंगे पौधे: हमें देखना था कि किस प्लांट में जल्दी फ्लावरिंग आती है. पहले 5 वर्षों में अगर प्रत्येक पौधे में 25 किलो फल आते हैं तो यह परीक्षण सफल माना जाएगा. कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के प्रभारी वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि ग्लोबलवार्मिंग के चलते नई किस्में तैयार की जा रही हैं. क्योंकि जहां पहले बर्फ पड़ती थी, वहां अब बर्फ नहीं पड़ती है. इस कारण से सेब की नई प्रजातियों का परीक्षण चल रहा है. अगर परीक्षण सफल रहा तो गर्म इलाके में भी सेब का उत्पादन हो सकता है. आने वाले समय में हम यह पौधे किसानों को भी उपलब्ध करवाएंगे.

गर्म इलाके में सेब उगाने के लिये किया जा रहा परीक्षण

विकासनगर: कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी देहरादून इन दिनों सेब की 4 प्रजातियों का गर्म इलाके में परीक्षण कर रहा है. पिछले वर्ष जनवरी में नई प्रजाति के 80 पौधे अपने परिक्षेत्र में रोपित किए गए थे. जिन पर वर्तमान में अच्छी फ्लावरिंग आई है. कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक अशोक कुमार शर्मा का कहना है कि यह परीक्षण लंबे समय तक चलता है. यदि परीक्षण सफल रहा तो यह गर्म इलाकों में भी किसानों की आमदनी बढ़ाने में सहायक होगा.

पिछले साल रोपे गये पौधों में आई फ्लावरिंग: बागवानी के क्षेत्र में लोग दिन-प्रतिदिन अनेकों फल पौधों की बागान तैयार कर रहे हैं. जिससे किसान बागवानों को अधिक मुनाफा मिल सके. इसी परिपेक्ष्य में कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी भी पीछे नहीं है. उन्होंने भी किसानों के लिए गर्म इलाके में पैदा होने वाली सेब की किस्मों का परीक्षण जनवरी 2022 से शुरू कर दिया है. जनवरी में कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा चार नई प्रजाति के सेब के लगभग 80 पौधे रोपे गए हैं. इसमें प्रत्येक किस्म के बीस-बीस पौधे हैं. वर्तमान में इन पौधों में अच्छी फ्लावरिंग निकल आई है, जिससे कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ. अशोक कुमार शर्मा काफी खुश नजर आ रहे हैं.

इन प्रजातियों के लगाए गए पौधे: वैज्ञानिक अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि सेब की ये किस्में गर्म इलाके के लिए भी उपयुक्त पाई गई हैं. हमारे मैदानी इलाकों देहरादून, ढकरानी, विकासनगर और अन्य इलाकों में भी जहां हमारा शोध सेंटर है, हमने सेब की 4 किस्में अपने परीक्षेत्र पर इसी आशय के साथ लगाई थी कि हमारे यहां गर्म इलाके में भी सेब की पैदावार हो सकती है या नहीं. परीक्षण चल रहा है. वर्तमान में जो किस्में लगाई गई हैं, उनमें सेब की माइकल प्रजाति स्कोमिट प्रजाति, हरमनशैमैन प्रजाति, अनन्ना प्रजाति हर किस्मों के बीस-बीस पौधे लगाए हैं. टोटल 80 पौधों में अच्छी फ्लावरिंग आई है.

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किसानों को भी उपलब्ध कराएंगे पौधे: हमें देखना था कि किस प्लांट में जल्दी फ्लावरिंग आती है. पहले 5 वर्षों में अगर प्रत्येक पौधे में 25 किलो फल आते हैं तो यह परीक्षण सफल माना जाएगा. कृषि विज्ञान केंद्र ढकरानी के प्रभारी वैज्ञानिक डॉक्टर अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि ग्लोबलवार्मिंग के चलते नई किस्में तैयार की जा रही हैं. क्योंकि जहां पहले बर्फ पड़ती थी, वहां अब बर्फ नहीं पड़ती है. इस कारण से सेब की नई प्रजातियों का परीक्षण चल रहा है. अगर परीक्षण सफल रहा तो गर्म इलाके में भी सेब का उत्पादन हो सकता है. आने वाले समय में हम यह पौधे किसानों को भी उपलब्ध करवाएंगे.

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