देहरादून: रोजमर्रा की जिंदगी में पब्लिक यूटिलिटी सर्विस (सार्वजनिक उपयोगिता सेवा) से जुड़ी सुविधाओं में कई बार समस्याएं आने पर लोगों को परेशानियों से दो-चार होना पड़ता है. कभी कभी ये समस्याएं इतनी बढ़ जाती है कि शिकायतकर्ता को कानूनी रूप से अदालत या आयोग जैसी संस्थाओं का सहारा लेना पड़ता है, बावजूद इंसाफ मिलने में वर्षों लग जाते हैं.
गौर हो कि पब्लिक सर्विस से जुड़ी किसी भी तरह की समस्या निवारण के लिए स्थायी लोक अदालत इंसाफ पाने के लिए सबसे बेहतर और सरल तरीका है. इसकी सबसे बड़ी खूबी यह है कि यहां बिना किसी खर्चे और औपचारिकताओं के ही सरल तरीके से कुछ ही दिनों में त्वरित इंसाफ मिल जाता है. ऐसे में शिक्षा, बैंकिंग, इंश्योरेंस, रियल स्टेट, टेलीफोन और डाक सेवा सहित लोक सफाई/स्वच्छता प्रणाली जैसे तमाम अन्य विषय पर मुआवजा हर्जाने मामले का निपटारा शीघ्र हो सकता है. ईटीवी भारत ने देहरादून के स्थायी लोक अदालत के चेयरमैन राजीव कुमार से खास बातचीत की और जनहित में जानकारियां प्राप्त की.
स्थायी लोक अदालत के निर्णय पर अपील का प्रावधान नहीं
राजीव कुमार ने बताया कि अस्थायी लोक अदालत महीने में एक बार लगती है और उसमें सिर्फ समझौते किए जाते हैं. लेकिन स्थायी लोक अदालत में न सिर्फ अधिकांश मामलों में आपसी समझौता कर पीड़ित पक्ष को मुआवजा दिलाया जाता है, बल्कि कई मामलों में गुण दोष के आधार पर पब्लिक यूटिलिटी सेवा देने वाले संस्थान के खिलाफ निर्णय सुनाया जाता है.
स्थायी लोक अदालत द्वारा दिये गए फैसले पर अगर दूसरा पक्ष अगर असंतुष्ट है तो उसको कोई अपील करने का अधिकार नहीं है. हालांकि वह हाईकोर्ट जाकर रिट यानी याचिका ही दायर कर सकता हैं. ऐसे में दोषी पक्ष को बहुत सोच समझ कर ही कानून के तमाम औपचारिकताओं के तहत ही याचिका वाले प्रावधान पर जाना होता है. इसी के चलते अधिकांश स्थायी लोक अदालत में मामले का निस्तारण कर या आपसी समझौता कर पीड़ित पक्ष को मुआवजा या उसके नुकसान व धनराशि वापस दिलाई जाती है. ऐसा अधिकांश स्थायी लोग अदालत में आने वाले मामलों में होता है.
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मात्र शिकायत पर शुरू होती हैं निस्तारण प्रक्रिया
राजीव कुमार बताते हैं कि स्थायी लोक अदालत में बिना किसी खर्चे और बिना जटिल औपचारिकताओं के ही मात्र एक सादे कागज में अपनी समस्या संबंधित संस्थान या विभाग के विरुद्ध दी जा सकती है. इसमें ना ही वकील करने की जरूरत है और ना ही अन्य अदालतों की तर्ज पर कोई विशेष कानूनी दस्तावेज तैयार करने होते हैं. हां, इतना जरूर है कि जिस पक्ष की समस्या या शिकायत हैं. उसके पास सबूत के तौर पर संबंधित कागज या दस्तावेज उपलब्ध होना जरूरी हैं. ताकि उसी के आधार पर त्वरित सुनवाई कर मामले का निस्तारण जल्द से जल्द किया जा सकें.
पब्लिक यूटिलिटी सर्विस से जुड़े मामलों का निस्तारण
राजीव कुमार के मुताबिक पब्लिक यूटिलिटी सर्विस के अंतर्गत आने वाले सेवा जैसे हेल्थ सर्विस, शिक्षा, इंश्योरेंस, बैंकिंग, रियल स्टेट जैसे पब्लिक सर्विस से जुड़ी समस्या आने पर स्थायी लोक अदालत में मामले लिए जाते हैं. स्थायी कोर्ट प्रक्रिया के तहत अदालत की कार्रवाई में सम्मिलित मात्र 2 मेंबर के सहयोग से चेयरमैन (जज) अपनी कार्रवाई को करीब 50 से 200 दिनों तक निर्णय के रूप में निस्तारण करते हैं.
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2020-21 में 13 करोड़ से अधिक मुआवजे दिलाए गए
देहरादून स्थायी लोक अदालत द्वारा 1 मार्च 2020 से 31 मार्च 2021 तक 1233 मामलों में सुनवाई करते हुए पीड़ित पक्षों को 13 करोड़ 67 लाख 3 हजार 651 धनराशि का मुआवजा केस निस्तारण के रूप में दिलाया जा चुका है.
चार जिलों में स्थायी लोक अदालत सुविधा
वर्तमान समय में उत्तराखंड के देहरादून, उधम सिंह नगर, हरिद्वार और नेैनीताल में स्थायी लोक अदालत संचालित हैं. रविवार को छोड़ बाकि सभी दिन यहां सुनवाई होती हैं. इसके अलावा अन्य जिलों की जनपद कोर्ट में स्थित जिला विधिक प्राधिकरण द्वारा महीने में एक बार लोक अदालत के रूप में आपसी समझौता वाले मामले निपटाए जाते हैं. हालांकि प्राधिकरण में निर्णय नहीं होते हैं. पब्लिक यूटिलिटी सर्विस से संबंधित मामले जिसका मूल्यांकन एक करोड़ तक है और जिन्हें किसी भी न्यायालय के समक्ष दायर नहीं किया गया है, उसको स्थायी लोक अदालत द्वारा निपटाए जाता है.
इन मामलों से संबंधित सुनवाई
- वायु, सड़क, रेल या जलमार्ग द्वारा यात्रियों या माल वाहन के लिए यातायात सेवा.
- डाक या टेलीफोन सेवा से संबंधित मामले
- ऐसा स्थापन जो जनता को विद्युत प्रकाश या जल का प्रदाय करता है.
- लोक सफाई या स्वच्छता प्रणाली.
- अस्पताल या औषधालय सेवा.
- बीमा इंश्योरेंस सेवा.
- शैक्षिक या शैक्षणिक संस्थान.
- आवास और भू-संपदा सेवा (रियल स्टेट)
- बैंकिंग और फाइनेंस सेवा.
स्थायी लोक अदालत के क्या हैं फायदे
- वकीलों पर खर्च नहीं होता कोई पैसा.
- कोई कोर्ट फीस नहीं लगती है.
- किसी पक्ष को सजा नहीं होती.
- मुआवजा और हर्जाना तुरंत मिल जाता है.
- मामले का निपटारा तुरंत हो जाता है.
- फैसला अंतिम होता है. दोनों पक्षों पर बाध्यकारी होता है और इस फैसले की अपील किसी अदालत न्यायालय में नहीं हो सकती.
स्थायी लोक अदालत में न्याय सिद्धांतों पर मामलों का निष्पादन
जिन मामलों में दो पक्षकारों के बीच समझौता नहीं हो पाता है. वहां ये अदालत सबके लिए बराबरी का व्यवहार, समानता और न्याय के अन्य सिद्धांतों के आधार पर मामले का निष्पादन करती है. यानी स्थायी लोक अदालत के निर्णय का निष्पादन सिविल कोर्ट द्वारा एक्सक्यूट कराया जाता है. स्थायी लोक अदालत एक पंचायत है, जहां यह कोर्ट अपने लिटिगेशन को एवाइड करते हुए सस्ता, सुलह, त्वरित और अंतिम न्याय कराती है.