देहरादून: दुनिया के साथ-साथ उत्तराखंड में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं. पहाड़ों में एक अच्छी और प्राकृतिक जीवन शैली होने के बावजूद भी महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर के मामलों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं, तो भारत में हर 15 महिला में से एक महिला को ब्रेस्ट कैंसर है. वहीं यह आंकड़ा वैश्विक स्तर पर हर 8 महिला में से एक महिला का है.
पश्चिमी देशों में बिगड़ी लाइफस्टाइल से ब्रेस्ट कैंसर का आंकड़ा ज्यादा: पश्चिमी देशों की बिगड़ी हुई लाइफस्टाइल की वजह से वैश्विक स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर का आंकड़ा इतना बढ़ा हुआ है. वहीं, भारत में प्राकृतिक रूप से खान-पान और पारंपरिक रूप से अच्छा खान-पान कहीं ना कहीं पिछले कुछ सालों तक ब्रेस्ट कैंसर के मामले में भारत को पीछे रखा हुआ था, लेकिन धीरे-धीरे भारत में भी ब्रेस्ट कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
ब्रेस्ट में गांठ होने पर तुरंत लें डॉक्टर की सलाह: डॉ. रेनु शर्मा ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण ब्रेस्ट के अंदर गांठ होना है. अगर ब्रेस्ट में छोटी या बगल में गांठ है और यह धीरे-धीरे बढ़ रही है, या फिर किसी तरह का कोई रिसाव हो रहा है, तो महिलाओं को डॉक्टर को दिखाना चाहिए. उन्होंने बताया कि शुरुआत में ब्रेस्ट में होने वाली गांठ में किसी भी तरह का दर्द नहीं होता है और शुरुआती दौर में यह एक सामान्य गांठ की तरह लगती है. इसीलिए कई बार महिलाएं इसे नजरअंदाज करती हैं. लेकिन जब यह धीरे-धीरे बढ़ती है और या फिर यह शरीर के दूसरे अंगों में फैलती है, तब इसमें दर्द शुरू होता है.
ये है ब्रेस्ट केंसर का इलाज: डॉक्टर रेनु शर्मा ने बताया कि सबसे पहले मेडिकल जांचों के जरिए गांठ में मौजूद कोशिकाओं का पता लगाया जाता है और अगर इसमें कैंसर डिटेक्ट होता है, तो इसका इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी रेडिएशन या फिर इम्यूनोथेरेपी द्वारा किया जाता है. उन्होंने बताया कि कई मामलों में ब्रेस्ट कैंसर का इलाज संभव है और अगर जल्द डिटेक्ट कर लिया जाए, तो इसको पूरी तरह से ठीक भी किया जा सकता है.
ब्रेस्ट कैंसर में अन्य विकल्पों का ना करें प्रयोग: डॉक्टर ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर में सबसे महत्वपूर्ण है कि सही समय पर इसकी पहचान होनी चाहिए और इसका सही तरीके से इलाज होना चाहिए. डॉक्टर द्वारा रेकमेंडेड थेरेपी के अनुसार ही इसका इलाज संभव है. इस बीमारी में किसी अन्य विकल्पों पर प्रयोग करने से बचना चाहिए. खास तौर से समाज में फैली भ्रांतियों से बचना चाहिए. उन्होंने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर में अक्सर डॉक्टर सर्जरी के लिए सलाह देते हैं. इसके अलावा कीमोथेरेपी या फिर कुछ महिलाओं को रेडिएशन थेरेपी डॉक्टर द्वारा दी जाती है. किसी-किसी महिला को हार्मोनल थेरेपी का भी सुझाव दिया जाता है और यह सब निर्भर करता है कि ट्यूमर का क्या प्रकार है.
ब्रेस्ट कैंसर में लाइफस्टाइल की अहम भूमिका: ब्रेस्ट कैंसर हो या फिर किसी भी तरह का कैंसर हो, उसमें जीवन शैली यानी की लाइफस्टाइल का बेहद महत्वपूर्ण रोल होता है. महिलाओं की लाइफस्टाइल, जिसमें अल्कोहल, धूम्रपान, मोटापा और थायराइड जैसी बीमारियां ब्रेस्ट कैंसर को बढ़ावा दे सकती हैं. इसके अलावा बच्चों को स्तनपान न करवाना या फिर 35 की उम्र के बाद बच्चों को जन्म देना या फिर बच्चों को जन्म ही ना देना इसका एक बड़ा कारण बन सकता है.
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ब्रेस्ट की हर गांठ ब्रेस्ट कैंसर नहीं हो सकती है: डॉक्टर के मुताबिक ऐसा जरूरी नहीं है कि ब्रेस्ट में होने वाली हर गांठ ब्रेस्ट कैंसर हो. कई बार छोटी उम्र की तकरीबन 12-15 उम्र की लड़कियां अक्सर डॉक्टर के पास आती हैं और उन्हें डर रहता है कि वह ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित तो नहीं हैं. ऐसे में डॉक्टर रेनु शर्मा का कहना है कि ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना अक्सर 35 या 40 उम्र के बाद ज्यादा होती है. उन्होंने बताया कि पश्चिमी देशों में ब्रेस्ट कैंसर होने की संभावना 45 से 50 के बाद की महिलाओं में होती है, जबकि भारत में 35 से 40 उम्र की ज्यादा महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर देखने को मिलता है. इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि महिला अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक रहें.
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