देहरादून: देश के विभिन्न राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी लंपी वायरस का कहर जारी है. अब तक मैदानी जिलों में कई दुधारू जानवरों की जान लेने वाले इस वायरस ने अब पहाड़ों पर भी अपनी दस्तक दे दी है. ऐसे में संबंधित विभाग ने प्रदेश और जिलों में जानवरों के ट्रांसपोर्ट पर एक महीने की पाबंदी लगा दी है. इसी सिलसिले में आज पशु पालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने अधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक में सौरभ बहुगुणा ने बताया कि प्रदेश को लगभग 8 लाख 50 हजार वैक्सीन मिल चुकी हैं. अब जल्द ही वैक्सीनेशन अभियान चलाया जाएगा.
बैठक में मंत्री सौरभ बहुगुणा ने पशुओं के वैक्सीनेशन के संबंध में अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा की. साथ ही लंपी की रोकथाम के लिए विभाग द्वारा किये जा रहे उपायों पर अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिये. इस दौरान मंत्री ने कहा कि लंपी रोग मुख्यतः हरिद्वार और देहरादून में सबसे ज्यादा प्रभावी है, जिसकी रोकथाम के लिए विभागीय स्तर पर तीव्र गति से टीकाकरण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं.
इसके साथ ही मंत्री ने वैक्सीन वितरण के बारे में भी अधिकारियों से चर्चा करते हुए पर्वतीय जिलों में भी वैक्सीन को जल्द से जल्द पहुंचाने के दिशा निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि लंपी रोग के संबंध में शासन स्तर पर एक नोडल अधिकारी को नियुक्त किया गया है. इनके माध्यम से लंपी रोग की मॉनिटरिंग, रोकथाम तथा टीकाकरण आदि के बारे में समय-समय पर समीक्षा की जायेगी.
सचिव पशुपालन बीवीआरसी पुरुषोत्तम का कहना है कि प्रदेश के 8 हजार से ज्यादा पशुओं में लंपी वायरस के लक्षण पाए गए हैं. इनमें से 3200 रिकवर हो गए हैं और अभी भी 5 हजार के करीब गायों में लंपी वायरस के लक्षण हैं. इसके साथ ही 150 के करीब पशुओं की मौत भी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि इस वजह से प्रदेश में दूध के उत्पादन पर भी फर्क पड़ रहा है.
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टीकाकरण अभियान जल्द: लंपी वायरस की रोकथाम के लिए प्रदेश भर में पशुपालन विभाग ने टीकाकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए हैं. इसमें पहले चरण में हरिद्वार, देहरादून और उधम सिंह नगर जिलों को शामिल किया गया है. इन जिलों में लंपी वायरस के सबसे ज्यादा लक्षण पाए जा रहे हैं. इसके साथ ही वैक्सीन की पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है ताकि यह बीमारी अन्य पशुओं में ना फैले. साथ ही उत्तराखंड के बॉर्डर जिले हरिद्वार, देहरादून और उधम सिंह नगर में ज्यादा सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं.
लंपी वायरस क्या है?: साल 2019 में पहली बार भारत में इस वायरस की दस्तक हुई थी. यह त्वचा का एक रोग है, जिसमें स्किन में गांठदार या ढेलेदार दाने बन जाते हैं. इसे एलएसडीवी कहते हैं. यह एक जानवर से दूसरे में फैलता है. यह कैप्रीपॉक्स वायरस के कारण ही फैलता है. जानकारी कहती है कि यह बीमारी मच्छर के काटने से जानवरों में फैलती है.
लंपी स्किन डिजीज के लक्षण: लंपी स्किन डिजीज के प्रमुख लक्षण पशु को बुखार आना, वजन में कमी, आंखों से पानी टपकना, लार बहना, शरीर पर दाने निकलना, दूध कम देना और भूख नहीं लगना है. इसके साथ ही उसका शरीर दिन प्रतिदिन और खराब होते जाना है.
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लंपी स्किन डिजीज से बचाव: लंपी रोग से प्रभावित पशुओं को अलग रखें. मक्खी, मच्छर, जूं आदि को मार दें. पशु की मृत्यु होने पर शव को खुला न छोड़ें. पूरे क्षेत्र में कीटाणुनाशक दवाओं का छिड़काव करें. इस वायरस के आक्रमण से ज्यादातर पशुओं की मौत हो जाती है. गाय के संक्रमित होने पर दूसरे पशुओं को उससे अलग रखें.
वेटरनरी फार्मासिस्ट संघ से मुलाकात: मंत्री सौरभ बहुगुणा ने वेटरनरी फार्मासिस्ट संघ से मुलाकात करते हुए उनकी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने का भरोसा दिलाया. उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गोट वैली के सापेक्ष कुक्कुट वैली योजना (Poultry Valley Scheme) पर प्रस्ताव लाया गया है, जिसे जल्द ही उत्तराखंड में लांच किया जायेगा, जिससे राज्य के लघु पशुपालकों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा.