देहरादून: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और कांग्रेस के कद्दावर नेता हरिद्वार में बीजेपी के खिलाफ थाने के सामने धरने पर बैठे रहे. हरीश रावत ने मुकदमा वापस न लेने तक थाना परिसर में धरना देने की घोषणा की थी. इस दौरान उन्हें बहादराबाद थाना परिसर में योगा करते हुए भी देखा गया, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. वहीं, खानपुर विधायक उमेश कुमार ने हरीश रावत को लेकर एक टिप्पणी की है.
उमेश कुमार ने लिखा है कि 'पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत जी... अगर मै बोलूंगा तो आप बोलेंगे ये बोलता है. पर चुप भी तो नहीं रहा जाता, क्योंकि आपकी हरकतें ही कुछ ऐसी हैं. आप हरिद्वार के लोगों के हितैषी बनकर थाने के बाहर व्यायाम करते नजर आ रहे हैं. विधायक बेटी के आह्वान पर आप आए, आपने अच्छा किया. ये एक पिता के नाते आपका फर्ज भी था. लेकिन, जब हरिद्वार पंचायत चुनाव में लोकतंत्र की हत्या होती रही. आपके कार्यकर्ता पीटते रहे, तब आपने एक बार भी सुध नहीं ली और हां जिनको आपने टिकट दिलवाने का वादा किया था. जब उनको टिकट नहीं दिलवा पाए तो उल्टा अपनी ही पार्टी के विपक्ष में चले गए'.
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उमेश कुमार आगे लिखते हैं कि 'तीन दिन आप थाने के बाहर बैठे रहे और एक चिड़िया नहीं उड़ा पाए. आपके साथ 500 लोग नहीं थे. क्या यही हाल है प्रदेश के सबसे बड़े नेता का? एक पूर्व मुख्यमंत्री का? एक पूर्व सांसद का? एक पूर्व केंद्रीय मंत्री का? हरदा हरिद्वार में थाने के बाहर बैठकर आपने अपनी बची-खुची इज्जत का भी कचरा करवा डाला. आपने एक कहावत सुनी है? 'बंद मुट्ठी तो लाख की, खुल गई तो खाक की'
हरदा , उत्तराखंड में कांग्रेस खत्म आपने ही की है. हरक सिंह रावत, सुबोध उनियाल, विजय बहुगुणा जैसे दिग्गज सिर्फ आपकी वजह से कांग्रेस छोड़कर गए थे. आपको याद दिला दूं 2017 में भाजपा ने 15 टिकट कांग्रेस से आए लोगों को दिए थे, जिनमें से 14 अपने दम पर चुनाव भी जीते. हरदा कभी अपने दिल से पूछना कि अपने बेटों के साथ तक न्याय नहीं कर पाए आप.
आनंद जैसे काबिल लड़के को आपने गली की राजनीति का मोहताज बना दिया. वीरेंद्र को आपने खानपुर से तैयारी को कहा. दो साल दिन-रात मेहनत की उसने और आखिरकार आपने उसको भी ठिकाने लगा दिया. इस पूरे प्रकरण से पता चलता है कि जो अपनी औलाद का नहीं हुआ वो किसी और का क्या होगा.
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हरिद्वार प्रकरण पर आपके एक बड़े नेता ने कहा कि हमारे पास हरीश रावत के रूप में एक बंदूक थी. जिसमें गोली नहीं है, ये सिर्फ हमें पता था. आज बहादराबाद कांड के बाद पूरे प्रदेश को पता चल गया. विधानसभा चुनाव में खुद तो हारे हारे अपने आस-पास के कई लोगों को भी चुनाव हरवा दिया. आप अब हरदा नहीं 'हारदा' के नाम से विख्यात हो चुके हैं.
क्यों छोड़ दिया अचानक मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा? क्या इस पर चुनाव तक ही प्रतिक्रिया देनी थी? अब आपको एक बात और बताता हूं. हरिद्वार में कई ऐसी घटना हुई, जब लोग आपका इंतजार करते रहे कि आप कुछ बोलेंगे लेकिन आप बोले ही नहीं.
दरअसल. हरीश रावत जी अब आपकी राजनीति का सूरज अस्त हो चला है और इसके कारण आप स्वयं हैं खुद को गाड़-गदेरे, खेत खलियान का नेता कहने वाला व्यक्ति अब राजनीतिक नहीं रहा. सच तो ये भी है कि मै भी राजनीतिज्ञ नहीं हूं. क्योंकि मैं कभी था ही नहीं. मैं तो काम करने की नीति में विश्वास रखता हूं. बिना विधायक बने भी करता रहा हूं और आगे भी यूं ही करता रहूंगा.
आपको इसलिए कह रहा हूं कि आप तो खांटी राजनीतिज्ञ थे. इसलिए आपको मेरी आपको राय है कि अब आप अपना यूट्यूब चैनल शुरू करके हमारे उत्तराखंड के खान-पान, गेंठी, काकड़ी, भुट्टा आदि पर जनता को जागरूक करें. क्योंकि राजनीतिक क्षेत्र में जब तक उत्तराखंड में आपका साया कांग्रेस पर रहेगा, कांग्रेस गर्त में ही जाएगी. ऐसे में आप अब आराम से अपने गांव मोहनरी जाकर लोगों की सेवा करें और पहाड़ी उत्पादों को एक नया आयाम दें.