मसूरी: उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने लोकतंत्र की मजबूती में पंचायतों का सबसे महत्वपूर्ण योगदान होना बताया है. उन्होंने कहा कि पंचायतों विकास की बुनियादी के साथ-साथ लोकतंत्र की मजबूत आधारशिला भी है. उन्होंने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष द्वारा देहरादून में पंचायत प्रतिनिधियों को एक सेमिनार में प्रशिक्षण देने का काम किया गया. जिसमें लोकसभा के कामकाज पर जानकारी दी गई.
पंचायत प्रतिनिधि जिन्होंने ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत के सदन को चलाना है. उनको उस सदन को चलाने का प्रशिक्षण देना चाहिए था, न की लोकसभा के सदन चलाने की जानकारी. पंचायत प्रतिनिधियों को चाहिए कि वह अपने अधिकारों की लड़ाई लड़े, कांग्रेस पार्टी पंचायतों की मजबूती की पक्षधर है. साथ ही हमेशा पंचायतों की मजबूती के लिए पंचायत प्रतिनिधियों के साथ खड़ी रहेगी.
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी ने पंचायतों को संवैधानिक दर्जा देने के साथ-साथ गरीब, कमजोर, दलित और महिलाओं को पंचायतों और निकायों में प्रतिनिधित्व का अधिकार देकर समाज में समानता को वातावरण बनाया था. लेकिन वर्तमान समय में देश और उत्तराखंड में भाजपा की सरकारों द्वारा पंचायतों को लगातार कमजोर करने का काम किया है. वर्तमान समय में उत्तराखंड में भाजपा सरकार के कार्यकाल में पंचायत और पंचायत के प्रतिनिधियों को लगातार कमजोर किया जा रहा है. 2019 नवंबर में हुए पंचायत चुनाव के बाद से 1 साल का समय बीत जाने के बाद भी अभी तक पंचायत प्रतिनिधियों को उनके कर्तव्य एवं विभागीय कार्यप्रणाली का प्रशिक्षण न दिया जाना चिंताजनक है.
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पंचायत के बजट में लगातार कटौती के साथ 2018 और 2019 में मनरेगा में कराए गए कार्यों की मटेरियल कंपोनेंट का अब तक भुगतान न किया जाना भी सरकार की लापरवाही का प्रमाण है. राज्य सरकार द्वारा इन 4 सालों में 73वें संविधान संशोधन में जिन 29 विषयों को पंचायतों के अधीन किया जाना था, उस पर बात तक नहीं की गई. पंचायत प्रतिनिधि लगातार अधिकारी और कर्मचारियों पर निर्भर हैं, ऐसे में भाजपा द्वारा पंचायतों के सशक्तिकरण की बात करना भाजपा सरकार द्वारा सरासर पंचायत और पंचायत प्रतिनिधियों के साथ एक नया जुमला है.