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Joshimath Sinking: दरार वाले मकानों की संख्या 826 हुई, क्रैक के चलते झुके दो और होटल

आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर बुलेटिन जारी किया. जिसके अनुसार जोशीमठ में अब तक 826 घरों में दरारें आ चुकी है. वहीं, दो और होटल एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं. वहीं, औली रोपवे के पास दरारें चौड़ी हो गई हैं.

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Published : Jan 15, 2023, 9:20 PM IST

देहरादून: जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बुलेटिन जारी किया है. जिसके अनुसार जोशीमठ में कई और घरों में दरारें आ गई हैं, जिसकी संख्या अब बढ़कर 826 हो गई है. जिनमें से 165 असुरक्षित क्षेत्र में हैं. अब तक 233 परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित किया गया है. जबकि औली रोपवे के पास और भू-धंसाव प्रभावित जोशीमठ के अन्य क्षेत्रों में चौड़ी दरारें दिखाई दी.

रविवार को जोशीमठ में दो और होटल खतरनाक तरीके से एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं. अभी तक असुरक्षित घोषित किए गए दो होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ध्वस्त करने की प्रक्रिया अभी भी चल रही है. वहीं, साइट से लगभग 100 मीटर की दूरी पर, दो और होटल स्नो क्रेस्ट और कॉमेट खतरनाक तरीके से एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं. जिसे एहतियातन खाली कर दिया गया है.

होटल स्नो क्रेस्ट के मालिक की बेटी पूजा प्रजापति ने कहा दोनों होटलों के बीच का अंतर पहले लगभग चार फीट था, लेकिन अब यह कुछ इंच तक सीमित हो गया है और उनकी छतें लगभग एक-दूसरे को छू रही हैं. जोशीमठ-औली रोपवे के पास भी चौड़ी दरारें दिखाई दी है, जिसका संचालन एक सप्ताह पहले रोक दिया गया था. एशिया का सबसे बड़ा रोपवे 4.5 किमी लंबा और 6000 फीट पर स्थित है, जोशीमठ को 9000 फीट की ऊंचाई पर औली के स्कीइंग क्षेत्र से जोड़ता है.

रोपवे इंजीनियर दिनेश भट्ट ने कहा रोपवे परिसर में दीवारों के पास लगभग चार इंच चौड़ी और 20 फीट लंबी दरार दिखाई दी है. सिंगधर वॉर्ड के एक होटल मालिक ने बताया कि शनिवार रात इलाके में दरारें और बढ़ गई है. कस्बे के मारवाड़ी क्षेत्र की जेपी कॉलोनी में कुछ दिनों पहले अस्थायी गिरावट के बाद संदिग्ध भूमिगत नाला फटने से पानी का बहाव बढ़ गया था. 2 जनवरी से इसमें से लगातार मटमैला पानी नीचे रिस रहा है, लेकिन विशेषज्ञ कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं.
ये भी पढ़ें: Mahendra Bhatt on Joshimath: 'प्रभावितों की मदद के लिए सरकार प्रतिबद्ध, गैरजरूरी चर्चा से प्रदेश को नुकसान'

आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा जोशीमठ क्षेत्र में उतार-चढ़ाव वाले पानी के रिसाव की गति पर लगातार नजर रखी जा रही है. जल प्रवाह 190 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) से बढ़कर 240 एलपीएम हो गया है. यह 13 जनवरी को शुरुआत में 550 एलपीएम से घटकर 190 एलपीएम हो गया था. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार रविवार को 17 और प्रभावित परिवारों को जोशीमठ के अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया. अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित परिवारों की कुल संख्या अब 233 है.

आपदा सचिव ने कहा अब तक अंतरिम सहायता के रूप में प्रभावित परिवारों के बीच 249.27 लाख रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है. उन्हें राशन किट, कंबल, भोजन, दैनिक उपयोग की किट, हीटर और ब्लोअर भी उपलब्ध कराए गए हैं. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और उत्तराखंड सरकार ने इसरो सहित कई सरकारी संस्थानों को बिना पूर्वानुमति के जोशीमठ की स्थिति पर मीडिया के साथ बातचीत या सोशल मीडिया पर जानकारी साझा नहीं करने का निर्देश दिया है. यह निर्देश भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा जारी उपग्रह चित्रों के बाद आया, जिसमें जोशीमठ में 27 दिसंबर और 8 जनवरी के बीच धंसने की तीव्र दर दिखाई गई, जिससे स्थिति पर चिंता बढ़ गई.

देहरादून: जोशीमठ भू-धंसाव को लेकर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने बुलेटिन जारी किया है. जिसके अनुसार जोशीमठ में कई और घरों में दरारें आ गई हैं, जिसकी संख्या अब बढ़कर 826 हो गई है. जिनमें से 165 असुरक्षित क्षेत्र में हैं. अब तक 233 परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित किया गया है. जबकि औली रोपवे के पास और भू-धंसाव प्रभावित जोशीमठ के अन्य क्षेत्रों में चौड़ी दरारें दिखाई दी.

रविवार को जोशीमठ में दो और होटल खतरनाक तरीके से एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं. अभी तक असुरक्षित घोषित किए गए दो होटल मलारी इन और माउंट व्यू को ध्वस्त करने की प्रक्रिया अभी भी चल रही है. वहीं, साइट से लगभग 100 मीटर की दूरी पर, दो और होटल स्नो क्रेस्ट और कॉमेट खतरनाक तरीके से एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं. जिसे एहतियातन खाली कर दिया गया है.

होटल स्नो क्रेस्ट के मालिक की बेटी पूजा प्रजापति ने कहा दोनों होटलों के बीच का अंतर पहले लगभग चार फीट था, लेकिन अब यह कुछ इंच तक सीमित हो गया है और उनकी छतें लगभग एक-दूसरे को छू रही हैं. जोशीमठ-औली रोपवे के पास भी चौड़ी दरारें दिखाई दी है, जिसका संचालन एक सप्ताह पहले रोक दिया गया था. एशिया का सबसे बड़ा रोपवे 4.5 किमी लंबा और 6000 फीट पर स्थित है, जोशीमठ को 9000 फीट की ऊंचाई पर औली के स्कीइंग क्षेत्र से जोड़ता है.

रोपवे इंजीनियर दिनेश भट्ट ने कहा रोपवे परिसर में दीवारों के पास लगभग चार इंच चौड़ी और 20 फीट लंबी दरार दिखाई दी है. सिंगधर वॉर्ड के एक होटल मालिक ने बताया कि शनिवार रात इलाके में दरारें और बढ़ गई है. कस्बे के मारवाड़ी क्षेत्र की जेपी कॉलोनी में कुछ दिनों पहले अस्थायी गिरावट के बाद संदिग्ध भूमिगत नाला फटने से पानी का बहाव बढ़ गया था. 2 जनवरी से इसमें से लगातार मटमैला पानी नीचे रिस रहा है, लेकिन विशेषज्ञ कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं हैं.
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आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा जोशीमठ क्षेत्र में उतार-चढ़ाव वाले पानी के रिसाव की गति पर लगातार नजर रखी जा रही है. जल प्रवाह 190 लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) से बढ़कर 240 एलपीएम हो गया है. यह 13 जनवरी को शुरुआत में 550 एलपीएम से घटकर 190 एलपीएम हो गया था. आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार रविवार को 17 और प्रभावित परिवारों को जोशीमठ के अस्थायी राहत केंद्रों में पहुंचाया गया. अस्थायी राहत केंद्रों में स्थानांतरित परिवारों की कुल संख्या अब 233 है.

आपदा सचिव ने कहा अब तक अंतरिम सहायता के रूप में प्रभावित परिवारों के बीच 249.27 लाख रुपये की राशि वितरित की जा चुकी है. उन्हें राशन किट, कंबल, भोजन, दैनिक उपयोग की किट, हीटर और ब्लोअर भी उपलब्ध कराए गए हैं. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट जोशीमठ संकट को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करेगा.

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और उत्तराखंड सरकार ने इसरो सहित कई सरकारी संस्थानों को बिना पूर्वानुमति के जोशीमठ की स्थिति पर मीडिया के साथ बातचीत या सोशल मीडिया पर जानकारी साझा नहीं करने का निर्देश दिया है. यह निर्देश भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन द्वारा जारी उपग्रह चित्रों के बाद आया, जिसमें जोशीमठ में 27 दिसंबर और 8 जनवरी के बीच धंसने की तीव्र दर दिखाई गई, जिससे स्थिति पर चिंता बढ़ गई.

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