देहरादून: सूबे की सरकार भले ही खिलाड़ियों को बढ़ावा देने के लाख दावे करती हो, लेकिन कोरोना संकट के बीच जारी लॉकडाउन में सरकार शायद खेल प्रशिक्षकों की सुध लेना भूल चुकी है. ये हम इसीलिए कह रहे हैं क्योंकि तदर्थ खेल प्रशिक्षकों के सामने अब रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे प्रदेश के तदर्थ खेल प्रशिक्षकों ने अब ईटीवी भारत के माध्यम से प्रदेश सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
जिला क्रीड़ा अधिकारी देहरादून राजेश मंगल के मुताबिक तदर्थ खेल प्रशिक्षक वह खेल प्रशिक्षक होते हैं जिन्हें खेल निदेशालय की ओर से खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने के लिए हर साल 10 महीनों के कॉन्ट्रैक्ट पर नियुक्त किया जाता है. ऐसे में पिछले साल यानी साल 2019 में जिन तदर्थ खेल प्रशिक्षकों को नियुक्ति प्रदान की गई थी उनका कॉन्ट्रैक्ट इस साल 15 फरवरी को समाप्त हो चुका है. ऐसे में 300 से ज्यादा तदर्थ खेल प्रशिक्षकों के सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
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लॉकडाउन के दौरान तदर्थ खेल प्रशिक्षकों को सरकार की तरफ से अभीतक कोई आर्थिक सहायता नहीं दी गई. ईटीवी भारत के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न जनपदों के तदर्थ खेल प्रशिक्षकों ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है. अपनी पीड़ा बयां करते हुए तदर्थ प्रशिक्षकों ने कहा कि लॉकडाउन में उन्हें सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है. ऐसे में वह अपनी निजी सेविंग से अपने परिवार का किसी तरह भरण पोषण कर रहे हैं. लेकिन अब घर बैठे हुए तीन महीने का समय हो चुका है, इन हालात में अब वे आगे अपने परिवार का भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं.
तदर्थ खेल प्रशिक्षकों ने सरकार से गुहार लगाते हुए कहा है कि उनकी कुछ आर्थिक मदद की जाए. साथ ही उनका कॉन्ट्रैक्ट जो 15 फरवरी को समाप्त हो चुका है उसे दोबारा रिन्यू करते हुए एक बार फिर प्रदेश के सभी तदर्थ खेल प्रशिक्षकों को नियुक्ति प्रदान करें. इससे वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर पाएंगे.
प्रदेश के तदर्थ खेल प्रशिक्षकों की समस्याओं को लेकर जब खेल मंत्री अरविंद पांडे से बात की गई तो उन्होंने कहा कि जल्द ही प्रदेश के तदर्थ खेल प्रशिक्षकों के साथ ही अन्य खेल प्रशिक्षकों की मदद के लिए कुछ व्यवस्था की जाएगी. इसके साथ ही कोरोना वायरस के बीच सोशल डिस्टेंसिंग की शर्तों के साथ जल्दी खिलाड़ियों को भी मैदान में प्रशिक्षण की अनुमति दी जाएगी.