देहरादून: 9 फरवरी को राजधानी देहरादून की सड़कों पर हजारों युवाओं ने यूकेएसएसएससी पेपर लीक और भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था. इस दौरान प्रदर्शनकारियों की तरफ से हुए पत्थरबाजी के जवाब में पुलिस ने लाठीचार्ज किया. जिसके बाद प्रदेश की राजनीति गरमा गई. वहीं, लाठीचार्ज मामले में राज्य सरकार ने जांच के आदेश दिए थे, लेकिन 22 दिनों बाद भी लाठीचार्ज मामले में जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है.
देहरादून में हुए छात्रों पर बर्बरता को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं है. शायद इसीलिए करीब 22 दिनों बाद भी लाठीचार्ज मामले की प्रारंभिक रूप से भी जांच नहीं शुरू हो सकी है. स्थिति तो यह है कि गढ़वाल कमिश्नर के स्तर पर अब तक जिलाधिकारी और पुलिस से भी रिपोर्ट नहीं प्राप्त की जा सकती है. मौजूदा स्थिति को लेकर युवाओं ने भारी आक्रोश व्यक्त करते हुए इसे अधिकारियों और सरकार की संवेदनहीनता बताया है.
देहरादून में 9 फरवरी को युवाओं पर लाठीचार्ज हुआ तो आंदोलन ने और भी विकराल रूप ले लिया. इस दौरान युवाओं की तरफ से किए गए पथराव पर फौरन पुलिस ने एक्शन लिया और 13 युवाओं को जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि युवाओं को जेल भेजने में जिस तरह पुलिस ने तेजी दिखाई थी, वैसी कार्रवाई युवाओं पर हुए लाठीचार्ज को लेकर नहीं दिखाई.
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धामी सरकार भारी दबाव के चलते ने इस मामले को लेकर गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार को जांच सौंपी थी, लेकिन हैरानी है कि मामले को 22 दिन बीत चुके हैं और अभी तक पुलिस और जिलाधिकारी के स्तर पर इस प्रकरण को लेकर प्रारंभिक रिपोर्ट भी गढ़वाल कमिश्नर के स्तर से नहीं ली जा सकी है. इस मामले को लेकर जब ईटीवी भारत ने गढ़वाल कमिश्नर सुशील कुमार से बातचीत की और उनसे जांच की प्रगति को जानने की कोशिश की तो उन्होंने यह कहते हुए चौंका दिया कि अभी जांच शुरू की गई है. एसएसपी के साथ ही जिलाधिकारी से भी रिपोर्ट मांगी गई है. यानी 22 दिनों में अब तक जांच के नाम पर गढ़वाल कमिश्नर एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए हैं.
युवाओं पर लाठीचार्ज को लेकर जिस तरह जांच में सुस्ती दिखाई दे रही है उस पर बेरोजगार संघ से जुड़े युवा भी खासे नाराज दिखाई दे रहे हैं. संघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार ने तो जांच में सुस्ती के पीछे किसी बड़ी वजह को कारण बताया है. बॉबी पंवार ने कहा जिस मामले को लटकाना होता है, उस मामले में इसी तरह जांच को सुस्त रफ्तार दे दी जाती है. ताकि दोषी बच सकें.