देहरादून: लड़कियों के विकास के लिए अवसरों को बढ़ावा देने और लिंग असमानता को खत्म करने को लेकर हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड यानि अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. वहीं, इस दिन का मकसद यह भी है कि समाज में जो दर्जा लड़कों को दिया जाता है वही दर्जा लड़कियों को भी दिया जाए. इसके साथ ही लड़कियों की शिक्षा, पोषण, उनके कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल के प्रति समाज को जागरुक किया जाता है. हालांकि, उत्तराखंड राज्य में क्या है लिंगानुपात की स्थिति और इसको लेकर क्या कर रही है राज्य सरकार? देखिये ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.
देशभर में लिंगानुपात की असमानता एक बड़ी समस्या बनी हुई है. यही वजह है कि लिंगानुपात की असमानता को खत्म करने को लेकर केंद्र और राज्य की सरकारें तमाम योजनाओं को संचालित कर रही हैं. हालांकि, अगर उत्तराखंड की बात करें तो बेटियों को आगे बढ़ने को लेकर 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान भी चल रहा है. इसके साथ ही लोगों को बेटियों के प्रति जागरुक भी किया जा रहा है कि बेटियां बेटों से किसी भी फील्ड में कम नहीं हैं.
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बता दें कि इंटरनेशनल डे ऑफ गर्ल चाइल्ड मनाने की शुरुआत यूनाइटेड नेशन ने साल 2012 में की थी. जिसके बाद से भारत ही नहीं बल्कि तमाम देशों में हर साल 11 अक्टूबर को अन्तरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है.
वहीं, स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली उत्तराखंड की निदेशक डॉक्टर अंजलि नौटियाल ने कहा कि प्रकृति ने स्त्री और पुरुष दोनों को बनाया है. यही नहीं, प्रकृति उसे बैलेंस भी करती है और बैलेंस खराब न हो इसको लेकर स्वास्थ्य प्रबंधन विभाग प्रयासरत है.
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हालांकि, बीते दिनों लिंगानुपात में कमी के आंकड़े सामने आए थे. ऐसे में लिंगानुपात का बैलेंस बराबर रहे इसकी कोशिश की जा रही है, लेकिन इसमें सबसे अहम सामाजिक सोच है, क्योंकि लिंगानुपात को बैलेंस करने के लिए सबसे पहले सामाजिक सोच को सही करना पड़ेगा, कि बेटी भी उतनी ही जरूरी है जितना बेटा.
चलाये जा रहे हैं जागरूकता अभियान
नौटियाल ने बताया कि लिंगानुपात को बैलेंस में रखने को लेकर आशाओं, आरकेएस प्रोग्राम और स्वास्थ्य विभाग के काउंसलर्स के माध्यम से जन जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है, लेकिन इसमें शिक्षा की एक अहम भूमिका है. शिक्षा के माध्यम से ही महिलाओं को सुरक्षित और स्वस्थ्य कर पाएंगे और समाज को इस बुरी सोच से बाहर निकाल पाएंगे.
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इसके साथ ही उन लोगों पर भी नजर रखी जा रही है जो लिंगानुपात को बिगाड़ने की कोशिश करते हैं. इसके लिए एक्ट भी बना हुआ है जिसमें लिंग चयन एक अपराध माना गया है. इसमें अगर कोई व्यक्ति संलिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. इन सबके निरीक्षण के लिए टीम भी बनाई गई है जो अल्ट्रासाउंड केंद्रों का निरीक्षण करती है.
लिंगानुपात के आंकड़े
उत्तराखंड राज्य में लिंगानुपात की बात करें तो साल दर साल बेटियों की स्थिति सुधरती नजर आ रही है. स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली से मिले आंकड़ों के अनुसार साल 2015-16 में लिंगानुपात 906 था जिसके बाद साल दर साल बढ़ते-बढ़ते साल 2018-19 में 938 तक पहुंच गया. हालांकि साल 2019 के जुलाई महीने तक की बात करें तो अभी फिलहाल यह 932 है. यही नहीं इस साल बागेश्वर जिले में 1000 पुरुषों के मुकाबले 1190 महिलाएं हैं तो वहीं सबसे कम पिथौरागढ़ जिले में 1000 पुरुषों के मुकाबले 895 महिलाएं हैं.
साल 2015-16 में लिंगानुपात की जिलावार स्थिति
जिला | लिंगानुपात |
अल्मोड़ा | 900 |
बागेश्वर | 894 |
चमोली | 944 |
चंपावत | 959 |
देहरादून | 933 |
हरिद्वार | 892 |
पौड़ी | 876 |
टिहरी | 918 |
नैनीताल | 901 |
पिथौरागढ़ | 1010 |
रुद्रप्रयाग | 915 |
उधमसिंहनगर | 908 |
उत्तरकाशी | 903 |
साल 2016-17 में लिंगानुपात की जिलावार स्थिति
जिला | लिंगानुपात |
अल्मोड़ा | 947 |
बागेश्वर | 925 |
चमोली | 893 |
चंपावत | 973 |
देहरादून | 923 |
हरिद्वार | 884 |
पौड़ी | 917 |
टिहरी | 898 |
नैनीताल | 873 |
पिथौरागढ़ | 891 |
रुद्रप्रयाग | 957 |
उधम सिंह नगर | 908 |
उत्तरकाशी | 971 |
साल 2017-18 में लिंगानुपात की जिलावार स्थिति
जिला | लिंगानुपात |
अल्मोड़ा | 930 |
बागेश्वर | 895 |
चमोली | 904 |
चंपावत | 922 |
देहरादून | 935 |
हरिद्वार | 901 |
पौड़ी | 918 |
टिहरी | 900 |
नैनीताल | 866 |
पिथौरागढ़ | 904 |
रुद्रप्रयाग | 913 |
उधम सिंह नगर | 942 |
उत्तरकाशी | 926 |
साल 2018-19 में लिंगानुपात की जिलावार स्थिति
जिला | लिंगानुपात |
अल्मोड़ा | 974 |
बागेश्वर | 982 |
चमोली | 900 |
चंपावत | 876 |
देहरादून | 931 |
हरिद्वार | 903 |
पौड़ी | 906 |
टिहरी | 951 |
नैनीताल | 900 |
पिथौरागढ़ | 946 |
रुद्रप्रयाग | 953 |
उधम सिंह नगर | 960 |
उत्तरकाशी | 903 |
जुलाई 2019 तक लिंगानुपात की जिलावार स्थिति
जिला | लिंगानुपात |
अल्मोड़ा | 1035 |
बागेश्वर | 1190 |
चमोली | 903 |
चंपावत | 873 |
देहरादून | 934 |
हरिद्वार | 915 |
पौड़ी | 997 |
टिहरी | 915 |
नैनीताल | 899 |
पिथौरागढ़ | 895 |
रुद्रप्रयाग | 962 |
उधम सिंह नगर | 941 |
उत्तरकाशी | 991 |