देहरादूनः उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के मतदान की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे चुनावी रण में उतरे प्रत्याशी भी दमखम के साथ प्रचार-प्रसार तेज कर रहे हैं. 10 विधानसभा सीटों वाले देहरादून जिले की 9 सीटों पर 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का कब्जा था. इसमें से रायपुर सीट पर भाजपा के उमेश शर्मा काऊ ने रिकॉर्ड तोड़ मत हासिल करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रभु लाल बहुगुणा को 36 हजार 471 वोटों के अंतर से हराया था.
वहीं, 2022 के विधानसभा चुनाव में भी रायपुर विधानसभा सीट से एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी उमेश शर्मा काऊ को एक मजबूत प्रत्याशी माना जा रहा है, लेकिन इस चुनाव में पहली दफा उमेश शर्मा काऊ के सामने कांग्रेस ने एक वरिष्ठ और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर के नेता को चुनावी रण में उतारा है. इस चुनाव में कांग्रेस ने उमेश शर्मा काऊ के सामने हीरा सिंह बिष्ट को प्रत्याशी बनाया है. इसलिए ये कहा जा सकता है कि रायपुर सीट पर मुकाबला बेहद ही कड़ा हो गया है.
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उमेश शर्मा काऊ बनाम हीरा सिंह बिष्टः दो बार रायपुर विधानसभा सीट पर विधायक रह चुके उमेश शर्मा काऊ की लड़ाई इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और कांग्रेस सरकार में दो बार मंत्री और 3 बार विधायक रह चुके हीरा सिंह बिष्ट से है. हीरा सिंह बिष्ट कि रायपुर विधानसभा अपनी गृह विधानसभा है. उनके राजनीतिक करियर में छात्र जीवन से लेकर ब्लॉक प्रमुख समेत उत्तर प्रदेश के समय से पूरे देहरादून शहर के विधायक के रूप में उपलब्धि है. जहां एक ओर हीरा सिंह बिष्ट (76 वर्ष) की उम्र उनके अन्य प्रतिद्वंद्वी खुद के लिए प्लस प्वॉइंट के तौर पर देख रहे हैं तो दूसरी तरफ अनुभव के रूप में हीरा सिंह बिष्ट अन्य प्रत्याशियों के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो रहे हैं.
इंदिरा के दौर के नेता हीराः राजनीतिक जानकार कहते हैं कि हीरा सिंह बिष्ट अपने दौर के छात्र नेताओं में सबसे तेजतर्रार और प्रभावशाली नेता रह चुके हैं. उनके बारे में बताया जाता है कि वह देहरादून डीएवी कॉलेज के ऐसे छात्र नेता थे जिनकी सीधे इंदिरा गांधी से बातचीत थी. ETV BHARAT से बातचीत में हीरा सिंह बिष्ट बताते हैं कि वह इंदिरा गांधी के आशीर्वाद से ही चुनावी मैदान में उतरे थे और जीत हासिल की थी.
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हीरा सिंह बिष्ट उत्तराखंड में ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के दौर से ही राजनीति में माहिर खिलाड़ी रहे हैं और उन्होंने अब तक कभी भी किसी भी तरह की विषम परिस्थितियों में कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा है. हीरा सिंह बिष्ट ने ETV BHARAT से खास बातचीत में कहा कि वह इंदिरा गांधी के दौर में राजनीति में आए. उस समय वह छात्र जीवन में थे और छात्र नेता के रूप में खुद इंदिरा गांधी के आशीर्वाद से उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत की थी.
हरबंश कपूर को दी थी मातः 1977 में अपना राजनीतिक डेब्यू किया. 1977 में उन्होंने टिहरी गढ़वाल की लोकसभा सीट से सांसद चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. इसके बाद हीरा सिंह बिष्ट ने 1985 में देहरादून शहर की विधानसभा सीट से कांग्रेस के निशान पर चुनाव लड़ा और भाजपा के हरबंस कपूर को हराया. गौरतलब है कि हरबंस कपूर आज तक केवल एक बार चुनाव हारे हैं.
हर परिस्थिति में रहे कांग्रेस के प्रहरीः हीरा सिंह बिष्ट ने बताया कि उनके राजनीतिक जीवन में कई संघर्ष के दौर भी आए. कई विषम परिस्थितियां भी बनीं, लेकिन उन्होंने कभी कांग्रेस का साथ नहीं छोड़ा. उन्होंने कभी अपना दल नहीं बदला. यही वजह है कि आज तक हीरा सिंह बिष्ट ने कभी अपनी पार्टी नहीं छोड़ी और वह कांग्रेस के मजबूत नेता हैं.
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हीरा सिंह बिष्ट की कर्मभूमि रायपुर विधानसभा सीट में इस बार कांग्रेस ने हीरा सिंह बिष्ट को उतारा है. हीरा सिंह बिष्ट ने बताया कि छात्र जीवन से लेकर अब तक रायपुर क्षेत्र में काफी काम किया है. उनके जीवन का एक बड़ा हिस्सा रायपुर क्षेत्र के विकास में लगा है. ऐसी कई बड़ी उपलब्धियां हैं जो आज रायपुर क्षेत्र में उनके कार्यकाल के दौरान मिली हैं. चाहे वह रायपुर को अलग ब्लॉक बनाने की बात हो या उत्तराखंड के पहले इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम राजीव गांधी क्रिकेट स्टेडियम की बात हो.
बहरहाल, ये बात साफ है कि भाजपा प्रत्याशी उमेश शर्मा काऊ के सामने एक बड़े नेता हैं. अनुभव के हिसाब से देखा जाए तो हीरा सिंह बिष्ट उमेश शर्मा काऊ से काफी वरिष्ठ नेता हैं. दूसरी तरफ रायपुर विधानसभा सीट उमेश शर्मा काऊ का गढ़ माना जाता है. ऐसे में देखना ये होगा कि इस बार ये दिलचस्प मुकाबला किस ओर करवट लेता है.