देहरादून: कोरोना काल के दौरान जिस तरह मानव जीवन को बचाने में सहायक प्राकृतिक औषधियों के इस्तेमाल को बढ़ावा मिला है. उससे हर्बल मेडिसन की आवश्यकता अब पहले से अधिक बढ़ गई है. इसका असर उत्तराखंड की जेलों में भी दिखा है. जहां कोविड महामारी के दौरान संक्रमण से बचाव के लिए कैदियों को प्राकृतिक औषधियां दी गईं. इस प्राकृतिक उपचार का इतना बड़ा असर नजर आया कि अब राज्य की जेलों में हर्बल खेती शुरू कर दी गई है.
इसके पहले चरण में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल एवं उधम सिंह नगर जैसे प्रमुख जेल परिसरों में हर्बल खेती को बढ़ावा देते हुए अलग-अलग किस्म के आयुर्वेदिक मेडिसिन युक्त पेड़-पौधे लगाए गए हैं. इतना ही नहीं प्राकृतिक औषधियों के मद्देनजर जल्द देहरादून स्थित वन अनुसंधान केंद्र (FRI) सहित ऋषिकेश के सरकारी मेडिसिन प्लांट की मदद से आने वाले दिनों में राज्य की जेलों में अलग-अलग तरह के अन्य हर्बल मेडिसिन युक्त पेड़ पौधों को लगाने का कार्य बड़े पैमाने में किया जाएगा.
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प्राकृतिक औषधि का जेलों में इस्तेमाल: कोरोना काल में संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए प्राकृतिक औषधियों का इस्तेमाल किया जा रहा है एवं जिलों में कैदियों को संक्रमण से बचाने के लिए इसे नियमित रूप से अपनाया जा रहा है. इसके लिए अब जेल में गिलोय, तुलसी, नीम, एलोवेरा, तेजपत्ता, लेमन ग्रास की हर्बल फॉर्मिंग हो रही है. जिससे हर्बल औषधि युक्त इन मेडिसिन को जेल में बंद कैदियों को आवश्यकतानुसार दवा के रूप उपलब्ध कराया जा सके. वही अधिक मात्रा में पैदावार होने पर इसे बाजार तक भी पहुंचाया जा सकता है.
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हरियाणा से मिला हर्बल खेती का आइडिया: राज्य के जेलों में हर्बल खेती का यह आइडिया कोरोना काल में हरियाणा सरकार सामने लाया गया. वहां जेल में बंद कैदियों को प्रतिदिन संतरा सहित अन्य तरह की प्राकृतिक औषधियों को देने का किया गया. जिसके चलते जानलेवा संक्रमण से वहां की जेलों में काफी कम फैला. हरियाणा की तर्ज पर उत्तराखंड की जेलों में हर्बल खेती की शुरुआत की गई है. जेल प्रशासन जेलों में हर्बल खेती उत्पादन के लिए जेल में बंद कैदियों का सहयोग ले रहा है.
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सुद्दोवाला जेल परिसर में हर्बल औषधि के पौधे: राजधानी देहरादून के सुद्दोवाला परिसर के बाहर 8 बीघा जमीन पर 40 हजार लेमन ग्रास के पौधे लगाए गए हैं. सेलाकुई स्थित केंद्रीय सेंटर एरोमैटिक प्लांट्स द्वारा इन लेमन ग्रास के पौधों को निःशुल्क जेल प्रशासन को उपलब्ध कराया गया. जिसके बाद कैदियों द्वारा इसका रोपण किया गया. वहीं, सुद्दोवाला जेल प्रवेश परिसर से लेकर कारागार के मुख्य द्वार तक 100 से अधिक तेजपत्ता के पौधे लगाएं गए हैं.
जेल के अंदर लगभग 100 से अधिक हर्बल औषधि गुण युक्त ऐसे पेड़-पौधे लगाए गए हैं, जो आयुर्वेदिक विज्ञान के तहत किसी भी तरह के बीमारी में उपयुक्त हैं. जेल प्रशासन के मुताबिक इसमें गिलोय, चंपा, गुलाब, अजवाइन, एलोवेरा, तीन वैरायटी की तुलसी शामिल है.
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मॉनसून सीजन में FRI से मिलेगी मदद: देहरादून सुद्दोवाला प्रशासन के मुताबिक जल्द ही जेल परिसर में ऐसे आयुर्वेदिक मेडिसिन युक्त हर्बल खेती से जुड़े तमाम तरह के पेड़ पौधों को लगाया जाएंगे, जो कई तरह बीमारियों से बचाकर जीवन देने में सहायक हैं. इसी के चलते आगामी दिनों में देहरादून स्थित इंडियन फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) और ऋषिकेश मेडिसन प्लांट संस्थान से भारी मात्रा में हर्बल मेडिसन प्लांट की डिमांड की गई है. ऐसे में दोनों ही केंद्रीय संस्थान से मेडिसिन युक्त पेड़-पौधे उपलब्ध कराएंगे. जिसके बाद इसी मॉनसून सीजन में औषधि युक्त पौधों का रोपण कर दिया जाएगा.
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सरकार की मदद से जेलों में हर्बल खेती को बढ़ावा: उत्तराखंड जेल आईजी एपी अंशुमन के मुताबिक कोरोना काल में जेल के अंदर सजायाफ्ता कैदियों को जानलेवा कोविड-19 संक्रमण से बचाने के लिए गिलोय, तुलसी जैसे कई तरह के आयुर्वेदिक औषधियों सहारा लिया जा रहा है. इसी का परिणाम रहा कि जेलों में जानलेवा संक्रमण काफी कम फैला है.
आईजी के मुताबिक इसी अनुभव को समझते हुए अब राज्य की जेलों में हर्बल खेती की शुरुआत की गई है. पहले चरण में राज्य की प्रमुख चार जिलों की जेल परिसर में इसकी शुरुआत की गई है आने वाले दिनों में जिन जेलों में अतिरिक्त जमीन उपलब्ध है, वहां राज्य और केंद्र सरकार की मदद से आयुर्वेदिक हर्बल खेती को जोर-जोर से बढ़ावा दिया जाएगा.