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अब जनता को मिल सकेगी उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की पूरी जानकारियां, RTI के दायरे में आई संपत्तियां

Uttarakhand Waqf Board properties under RTI उत्तराखंड वक्फ बोर्ड की संपत्तियों की जानकारी आरटीआई के दायरे में आ गई है. उत्तराखंड सूचना आयोग ने मामले पर संज्ञान लेते हुए पिरान कलियर दरगाह में लोक सूचना अधिकारी को नियुक्त करने का आदेश दिया. साथ ही वक्फ प्रबंधन को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए भी आदेश दिए गए हैं.

Uttarakhand Information Commission
उत्तराखंड सूचना आयोग
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 25, 2023, 11:08 PM IST

देहरादूनः वक्फ बोर्ड के पास अरबों-खरबों की संपत्तियां मौजूद है. हालांकि, इन संपत्तियों का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है? इसकी जानकारी कोई भी बोर्ड से नहीं ले सकता है. यही वजह है कि कई बार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के खुर्दबुर्द के भी मामले सामने आते रहे हैं. ऐसे में प्रदेश की अरबों रुपए की करीब 2200 संपत्तियां, जो वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड है, अब वह सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आ जाएगी.

दरअसल, वक्फ अधिनयम-1995 (संशोधित 2013) के तहत इन पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का नियंत्रण तो है, लेकिन यहां पारदर्शी व्यवस्था नहीं है. यही वजह है कि जनता इसकी कोई सूचना ना मांग ले, इसके लिए लोक सूचना अधिकारियों की तैनाती भी नहीं की गई है. हालांकि, मामला जब उत्तराखंड सूचना आयोग पहुंचा तो राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने ना सिर्फ इस मामले पर अपनी नाराजगी जताई, बल्कि इस बात को भी कहा कि वक्फ बोर्ड, सूचना देने से इनकार नहीं कर सकता.

ऐसे में सूचना आयोग के निर्देश के बाद ना सिर्फ हरिद्वार जिले के पिरान कलियर दरगाह में लोक सूचना अधिकारी को नियुक्त किया गया. बल्कि अब वक्फ बोर्ड की सभी वक्फ प्रबंधन को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए भी आदेश दिए गए हैं.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड के सभी मदरसे वक्फ बोर्ड के अधीन लाए जाएं- शादाब शम्स

ऐसे पहुंचा सूचना आयोग के पास मामला: वक्फ संपत्तियों का सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी ना दिए जाने का पहला मामला पिरान कलियर निवासी अधिवक्ता दानिश के आरटीआई आवेदन के बाद सामने आया था. हालांकि, उस दौरान अधिवक्ता दानिश ने पिरान कलियर दरगाह के तमाम कार्यों की जानकारी उत्तराखंड वक्फ बोर्ड से आरटीआई के जरिए जुलाई 2022 में मांगी थी. आरटीआई के जवाब में कहा गया कि पिरान कलियर में कोई लोक प्राधिकारी नहीं है. ऐसे में इसकी सूचना नहीं दी जा सकती. इसके बाद यह मामला सूचना आयोग पहुंच गया.

वक्फ संपत्तियां सरकार के अधीन: लिहाजा इस अपील की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयोग योगेश भट्ट ने वक्फ बोर्ड के अधिकारियों का जवाब- तलब करते हुए वक्फ अधिनयम और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण समेत अन्य तथ्यों को साफ करने को कहा था. इसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि सभी वक्फ संपत्तियां बोर्ड के नियंत्रण में ही हैं और बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी किसी भी वक्फ संपत्ति के दस्तावेजों आदि का निरीक्षण, परीक्षण कर सकते हैं या फिर करवा सकते हैं. साथ ही सभी वक्फ संपत्तियां सरकार के अधीन मिली.
ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने 2 हजार वक्फ कमेटियों को भेजा नोटिस, 15 दिन में मांगा पूरा ब्योरा

दरगाह में लोक सूचना अधिकारी तैनात: इसके बाद पिरान कलियर दरगाह के प्रबंधन को आरटीआई एक्ट के दायरे में लाने के आदेश भी कर दिए गए थे. जिसके क्रम में पिरान कलियर दरगाह में लोक सूचना अधिकारी तैनात किया गया. साथ ही, राज्य सूचना आयुक्त ने अन्य सभी वक्फ प्रबंधन में भी आरटीआई एक्ट लागू करने का आदेश जारी किया. आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि अगले छह महीने के भीतर सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा-4 के तहत मैनुअल तैयार कर लिया जाए. इसके साथ ही सूचना देने की व्यवस्था सीधे संबंधित वक्फ प्रबंधन या फिर बोर्ड के माध्यम से दिए जाने के लिए जल्द से जल्द विधिसम्मत व्यवस्था बनाई जाए.

देहरादूनः वक्फ बोर्ड के पास अरबों-खरबों की संपत्तियां मौजूद है. हालांकि, इन संपत्तियों का किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा है? इसकी जानकारी कोई भी बोर्ड से नहीं ले सकता है. यही वजह है कि कई बार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों के खुर्दबुर्द के भी मामले सामने आते रहे हैं. ऐसे में प्रदेश की अरबों रुपए की करीब 2200 संपत्तियां, जो वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड है, अब वह सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत आ जाएगी.

दरअसल, वक्फ अधिनयम-1995 (संशोधित 2013) के तहत इन पर उत्तराखंड वक्फ बोर्ड का नियंत्रण तो है, लेकिन यहां पारदर्शी व्यवस्था नहीं है. यही वजह है कि जनता इसकी कोई सूचना ना मांग ले, इसके लिए लोक सूचना अधिकारियों की तैनाती भी नहीं की गई है. हालांकि, मामला जब उत्तराखंड सूचना आयोग पहुंचा तो राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने ना सिर्फ इस मामले पर अपनी नाराजगी जताई, बल्कि इस बात को भी कहा कि वक्फ बोर्ड, सूचना देने से इनकार नहीं कर सकता.

ऐसे में सूचना आयोग के निर्देश के बाद ना सिर्फ हरिद्वार जिले के पिरान कलियर दरगाह में लोक सूचना अधिकारी को नियुक्त किया गया. बल्कि अब वक्फ बोर्ड की सभी वक्फ प्रबंधन को आरटीआई के दायरे में लाने के लिए भी आदेश दिए गए हैं.
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ऐसे पहुंचा सूचना आयोग के पास मामला: वक्फ संपत्तियों का सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी ना दिए जाने का पहला मामला पिरान कलियर निवासी अधिवक्ता दानिश के आरटीआई आवेदन के बाद सामने आया था. हालांकि, उस दौरान अधिवक्ता दानिश ने पिरान कलियर दरगाह के तमाम कार्यों की जानकारी उत्तराखंड वक्फ बोर्ड से आरटीआई के जरिए जुलाई 2022 में मांगी थी. आरटीआई के जवाब में कहा गया कि पिरान कलियर में कोई लोक प्राधिकारी नहीं है. ऐसे में इसकी सूचना नहीं दी जा सकती. इसके बाद यह मामला सूचना आयोग पहुंच गया.

वक्फ संपत्तियां सरकार के अधीन: लिहाजा इस अपील की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयोग योगेश भट्ट ने वक्फ बोर्ड के अधिकारियों का जवाब- तलब करते हुए वक्फ अधिनयम और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण समेत अन्य तथ्यों को साफ करने को कहा था. इसके बाद यह स्पष्ट हुआ कि सभी वक्फ संपत्तियां बोर्ड के नियंत्रण में ही हैं और बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी किसी भी वक्फ संपत्ति के दस्तावेजों आदि का निरीक्षण, परीक्षण कर सकते हैं या फिर करवा सकते हैं. साथ ही सभी वक्फ संपत्तियां सरकार के अधीन मिली.
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दरगाह में लोक सूचना अधिकारी तैनात: इसके बाद पिरान कलियर दरगाह के प्रबंधन को आरटीआई एक्ट के दायरे में लाने के आदेश भी कर दिए गए थे. जिसके क्रम में पिरान कलियर दरगाह में लोक सूचना अधिकारी तैनात किया गया. साथ ही, राज्य सूचना आयुक्त ने अन्य सभी वक्फ प्रबंधन में भी आरटीआई एक्ट लागू करने का आदेश जारी किया. आयोग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि अगले छह महीने के भीतर सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा-4 के तहत मैनुअल तैयार कर लिया जाए. इसके साथ ही सूचना देने की व्यवस्था सीधे संबंधित वक्फ प्रबंधन या फिर बोर्ड के माध्यम से दिए जाने के लिए जल्द से जल्द विधिसम्मत व्यवस्था बनाई जाए.

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