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सख्त सरकारी फरमान से डरे उत्तराखंड के लोग, राशन कार्ड सरेंडर कराने वालों का लगा तांता

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Published : Jun 7, 2022, 11:49 AM IST

Updated : Jun 7, 2022, 12:59 PM IST

उत्तराखंड में मुकदमे और वसूली के फरमान के बाद मुफ्त व सस्ते में गरीबों का राशन डकार रहे लोगों में काफी खौफ देखा जा रहा है. यही वजह है कि जिला आपूर्ति कार्यालयों में राशन कार्ड सरेंडर कराने के लिए भारी हुजूम उमड़ रहा है. लेकिन कई लोग सरकार के इस फरमान से खफा भी हैं. उनका साफ कहना है कि अगर यही मानक रखना है तो राशन कार्ड बनाने का क्या फायदा?

Ineligible People are Surrendering Ration Card
राशन कार्ड सरेंडर

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार ने अपात्र लोगों को राशन कार्ड जमा करने का फरमान जारी किया है. सरकार से चेतावनी भरे फरमान के बाद प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे यानी 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा' के तहत सफेद राशन कार्ड सरेंडर कराने वालों का तांता लगा है. आलम ये है कि मुकदमे और वसूली के डर से रोजाना सुबह से ही जिला आपूर्ति कार्यालय और ब्लॉक स्तर के दफ्तरों में राशन कार्ड सरेंडर करने वाले लोग अपने सारे काम छोड़ लाइनों में खड़े हैं.

बता दें कि सरकार की ओर से जारी फरमान के अनुसार, मुफ्त और सस्ते राशन डकराने वाले और जो लोग गरीबी रेखा मानकों वाले पात्रता से बाहर हैं, उनको 31 मई तक अपने राशन कार्ड सरेंडर करने की हिदायत दी गई थी. हालांकि, सरकार ने राहत देते हुए राशन कार्ड सरेंडर करने की तिथि बढ़ाकर 30 जून कर दी है. ऐसे में कानूनी कार्रवाई और वसूली के डर से रोजाना लोग अपना राशन कार्ड जमा करा रहे हैं. इन दिनों जिला आपूर्ति कार्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक राशन कार्ड सरेंडर कराने के लिए लोगों की भीड़ जुटी है.

सख्त सरकारी फरमान से डरे उत्तराखंड के लोग.

अगर बेघर को ही राशन देना है तो नियमों की दुहाई क्यों? राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (सफेद कार्ड) के अंतर्गत सस्ता राशन का लाभ ले रहे लोगों में भारी नाराजगी भी है. उनका कहना है कि अगर मानकों की दुहाई देकर सिर्फ बेघर और तंबुओं में रहने वालों को ही सस्ता व मुफ्त का राशन देना है तो सीधे तौर पर भी कार्ड बंद कर नए सिरे से कार्ड बनाए जा सकते हैं, लेकिन जिस तरह से तुगलकी फरमान जारी कर नियम बताए जा रहे हैं, वो सीधे राज्यवासियों के हक को खत्म करने जैसा है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में राशन कार्ड सरेंडर की तिथि 30 जून तक बढ़ी, अब तक 30 हजार लोग करवा चुके जमा

ईटीवी भारत से जिला आपूर्ति कार्यालय में अपना राशन कार्ड जमा करने आए शख्स बताते हैं कि वो दर्जी का काम कर बमुश्किल अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. उनका एक कमरे का घर है. अब उसमें भी सरकार ने नियम बना दिया है कि 15 हजार की आय के अलावा सफेद कार्ड वालों के पास पक्का घर भी नहीं होना चाहिए. ऐसे में सरकार ने जिस तरह से मुकदमा दर्ज करने और अभी तक लिए गए राशन की वसूली का फरमान जारी किया है, उसकी डर की वजह से लोग राशन कार्ड सरेंडर कर रहे हैं.

इधर राशन कार्ड सरेंडर हो रहे, उधर दुकानदार ब्लैक करने में जुटेः वहीं, जिला आपूर्ति कार्यालय में अपना राशन कार्ड सरेंडर करने आए कुछ लोगों का कहना है कि बिना नोटिस दिए ही उनका राशन बंद कर दिया गया है. जबकि, कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इधर सरकार के चेतावनी भरे फरमान से कार्ड धारक अपना राशन कार्ड सरेंडर कर रहे हैं, उधर सस्ते गल्ले की दुकान वाले उनका राशन अब आराम से ब्लैक में बेच रहा है. जिसको देखने और अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है.

राशन कार्ड सरेंडर करने वाले लोग पहुंचे देहरादून जिला आपूर्ति कार्यालयः देहरादून जिला की बात करें तो यहां पिछले एक महीने में अब तक 7,180 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा वाले सफेद कार्ड सरेंडर किए जा चुके हैं. जबकि, 1,701 एपीएल यानी पीले कार्ड जमा किए जा चुके हैं. देहरादून खाद्य आपूर्ति कार्यालय में अलग-अलग क्षेत्रों के काउंटर बनाए गए हैं. जहां सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक पात्रता से बाहर वाले लोग एक आवेदन फॉर्म में औपचारिकताएं भर अपना कार्ड जमा कर सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः नैनीताल में 850 अपात्र धारकों ने जमा कराए राशन कार्ड, निरस्तीकरण की कार्रवाई शुरू

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत कार्रवाईः देहरादून जिला आपूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी के मुताबिक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के सफेद कार्ड बनाए गए थे. 2022 तक इस श्रेणी में आने वाले काफी संख्या में लोगों के आय साधन अलग-अलग माध्यमों से बढ़ चुके हैं. ऐसे में पात्रता से बाहर आने वाले कार्ड धारकों को पूर्व में कई बार नोटिस जारी हुए थे, लेकिन कार्ड जमा नहीं कराए गए. जिसके कारण पात्रता के दायरे में आने वाले लोगों के सफेद कार्ड (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा) वाले कार्ड नहीं बन सके हैं.

हालांकि, अब शासन का सख्त कानूनी आदेश जारी होने के बाद लोग सफेद कार्ड खुद ब खुद संबंधित दफ्तरों में सरेंडर कर रहे हैं. डीएसओ कंडारी के मुताबिक, 'अपात्र को ना, पात्र को हां' मुहिम के तहत जैसे ही राशन कार्ड सरेंडर हो रहे हैं. उसके तत्काल बाद ही संबंधित कार्ड धारक का राशन बंद कर दिया जा रहा है.

वहीं, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्ड के अतिरिक्त जो लोग गरीबी रेखा से नीचे अंत्योदय कार्ड से मुफ्त और सस्ता राशन पा रहे थे. अगर उनकी भी आय में बढ़ोत्तरी हुई है तो उनको भी अपना कार्ड सरेंडर करना अनिवार्य है. वहीं, राज्य खाद्य सुरक्षा APL (पीला कार्ड) के तहत जिन लोगों की वार्षिक आय 5 लाख से अधिक है, उनको भी पीला कार्ड जमा करना आवश्यक है.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्ड के मानक

  1. मासिक 15,000 से अधिक आय न हो.
  2. आयकर दाता न हो.
  3. चौपहिया वाहन न हो.
  4. परिवार में कोई सरकारी सेवा में न हो.
  5. 100 गज के प्लॉट में घर न हो.

राज्य खाद्य सुरक्षा योजना (APL) के मानक

  1. वार्षिक आय 5 लाख से अधिक न हो.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (सफेद कार्ड) धारकों की संख्या और राशन
उत्तराखंड में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (सफेद कार्ड) धारकों की संख्या- 12,25,057
देहरादून जिले में सफेद कार्ड धारकों की संख्या- 2,20,352
प्रतिमाह प्रति यूनिट 5 किलो राशन
तीन रुपए की दर से 3 किलो चावल
दो रुपए प्रति दर से 2 किलो गेहूं

अंत्योदय (गुलाबी कार्ड) धारकों की संख्या और राशन
उत्तराखंड में अंत्योदय योजना (गुलाबी कार्ड) धारकों की संख्या- 1,83,872
देहरादून जिले में गुलाबी कार्ड धारकों की संख्या- 15,172
प्रति माह 35 किलो राशन
तीन रुपए की दर से 22 किलो चावल
दो रुपए प्रति दर से 13 किलो गेंहू

राज्य खाद्य सुरक्षा योजना (पीला कार्ड) धारकों की संख्या और राशन
उत्तराखंड में राज्य खाद्य सुरक्षा योजना APL (पीला कार्ड) धारकों की संख्या- 9,95,112
प्रतिमाह साढ़े 7 किलो राशन
8.75 पैसे की दर से 5 किलो गेहूं
11 रुपए की दर से ढाई किलो चावल

डीलरों की संख्या
उत्तराखंड में कुल राशन डीलरों की संख्या- 9,186
देहरादून जिले में डीलरों की संख्या 1,046

देहरादूनः उत्तराखंड सरकार ने अपात्र लोगों को राशन कार्ड जमा करने का फरमान जारी किया है. सरकार से चेतावनी भरे फरमान के बाद प्रदेश में गरीबी रेखा से नीचे यानी 'राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा' के तहत सफेद राशन कार्ड सरेंडर कराने वालों का तांता लगा है. आलम ये है कि मुकदमे और वसूली के डर से रोजाना सुबह से ही जिला आपूर्ति कार्यालय और ब्लॉक स्तर के दफ्तरों में राशन कार्ड सरेंडर करने वाले लोग अपने सारे काम छोड़ लाइनों में खड़े हैं.

बता दें कि सरकार की ओर से जारी फरमान के अनुसार, मुफ्त और सस्ते राशन डकराने वाले और जो लोग गरीबी रेखा मानकों वाले पात्रता से बाहर हैं, उनको 31 मई तक अपने राशन कार्ड सरेंडर करने की हिदायत दी गई थी. हालांकि, सरकार ने राहत देते हुए राशन कार्ड सरेंडर करने की तिथि बढ़ाकर 30 जून कर दी है. ऐसे में कानूनी कार्रवाई और वसूली के डर से रोजाना लोग अपना राशन कार्ड जमा करा रहे हैं. इन दिनों जिला आपूर्ति कार्यालय से लेकर ब्लॉक स्तर तक राशन कार्ड सरेंडर कराने के लिए लोगों की भीड़ जुटी है.

सख्त सरकारी फरमान से डरे उत्तराखंड के लोग.

अगर बेघर को ही राशन देना है तो नियमों की दुहाई क्यों? राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (सफेद कार्ड) के अंतर्गत सस्ता राशन का लाभ ले रहे लोगों में भारी नाराजगी भी है. उनका कहना है कि अगर मानकों की दुहाई देकर सिर्फ बेघर और तंबुओं में रहने वालों को ही सस्ता व मुफ्त का राशन देना है तो सीधे तौर पर भी कार्ड बंद कर नए सिरे से कार्ड बनाए जा सकते हैं, लेकिन जिस तरह से तुगलकी फरमान जारी कर नियम बताए जा रहे हैं, वो सीधे राज्यवासियों के हक को खत्म करने जैसा है.

ये भी पढ़ेंः उत्तराखंड में राशन कार्ड सरेंडर की तिथि 30 जून तक बढ़ी, अब तक 30 हजार लोग करवा चुके जमा

ईटीवी भारत से जिला आपूर्ति कार्यालय में अपना राशन कार्ड जमा करने आए शख्स बताते हैं कि वो दर्जी का काम कर बमुश्किल अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं. उनका एक कमरे का घर है. अब उसमें भी सरकार ने नियम बना दिया है कि 15 हजार की आय के अलावा सफेद कार्ड वालों के पास पक्का घर भी नहीं होना चाहिए. ऐसे में सरकार ने जिस तरह से मुकदमा दर्ज करने और अभी तक लिए गए राशन की वसूली का फरमान जारी किया है, उसकी डर की वजह से लोग राशन कार्ड सरेंडर कर रहे हैं.

इधर राशन कार्ड सरेंडर हो रहे, उधर दुकानदार ब्लैक करने में जुटेः वहीं, जिला आपूर्ति कार्यालय में अपना राशन कार्ड सरेंडर करने आए कुछ लोगों का कहना है कि बिना नोटिस दिए ही उनका राशन बंद कर दिया गया है. जबकि, कुछ लोगों का ये भी कहना है कि इधर सरकार के चेतावनी भरे फरमान से कार्ड धारक अपना राशन कार्ड सरेंडर कर रहे हैं, उधर सस्ते गल्ले की दुकान वाले उनका राशन अब आराम से ब्लैक में बेच रहा है. जिसको देखने और अंकुश लगाने वाला कोई नहीं है.

राशन कार्ड सरेंडर करने वाले लोग पहुंचे देहरादून जिला आपूर्ति कार्यालयः देहरादून जिला की बात करें तो यहां पिछले एक महीने में अब तक 7,180 राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा वाले सफेद कार्ड सरेंडर किए जा चुके हैं. जबकि, 1,701 एपीएल यानी पीले कार्ड जमा किए जा चुके हैं. देहरादून खाद्य आपूर्ति कार्यालय में अलग-अलग क्षेत्रों के काउंटर बनाए गए हैं. जहां सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक पात्रता से बाहर वाले लोग एक आवेदन फॉर्म में औपचारिकताएं भर अपना कार्ड जमा कर सकते हैं.

ये भी पढ़ेंः नैनीताल में 850 अपात्र धारकों ने जमा कराए राशन कार्ड, निरस्तीकरण की कार्रवाई शुरू

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत कार्रवाईः देहरादून जिला आपूर्ति अधिकारी जसवंत सिंह कंडारी के मुताबिक, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत में गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों के सफेद कार्ड बनाए गए थे. 2022 तक इस श्रेणी में आने वाले काफी संख्या में लोगों के आय साधन अलग-अलग माध्यमों से बढ़ चुके हैं. ऐसे में पात्रता से बाहर आने वाले कार्ड धारकों को पूर्व में कई बार नोटिस जारी हुए थे, लेकिन कार्ड जमा नहीं कराए गए. जिसके कारण पात्रता के दायरे में आने वाले लोगों के सफेद कार्ड (राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा) वाले कार्ड नहीं बन सके हैं.

हालांकि, अब शासन का सख्त कानूनी आदेश जारी होने के बाद लोग सफेद कार्ड खुद ब खुद संबंधित दफ्तरों में सरेंडर कर रहे हैं. डीएसओ कंडारी के मुताबिक, 'अपात्र को ना, पात्र को हां' मुहिम के तहत जैसे ही राशन कार्ड सरेंडर हो रहे हैं. उसके तत्काल बाद ही संबंधित कार्ड धारक का राशन बंद कर दिया जा रहा है.

वहीं, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्ड के अतिरिक्त जो लोग गरीबी रेखा से नीचे अंत्योदय कार्ड से मुफ्त और सस्ता राशन पा रहे थे. अगर उनकी भी आय में बढ़ोत्तरी हुई है तो उनको भी अपना कार्ड सरेंडर करना अनिवार्य है. वहीं, राज्य खाद्य सुरक्षा APL (पीला कार्ड) के तहत जिन लोगों की वार्षिक आय 5 लाख से अधिक है, उनको भी पीला कार्ड जमा करना आवश्यक है.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कार्ड के मानक

  1. मासिक 15,000 से अधिक आय न हो.
  2. आयकर दाता न हो.
  3. चौपहिया वाहन न हो.
  4. परिवार में कोई सरकारी सेवा में न हो.
  5. 100 गज के प्लॉट में घर न हो.

राज्य खाद्य सुरक्षा योजना (APL) के मानक

  1. वार्षिक आय 5 लाख से अधिक न हो.

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (सफेद कार्ड) धारकों की संख्या और राशन
उत्तराखंड में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा (सफेद कार्ड) धारकों की संख्या- 12,25,057
देहरादून जिले में सफेद कार्ड धारकों की संख्या- 2,20,352
प्रतिमाह प्रति यूनिट 5 किलो राशन
तीन रुपए की दर से 3 किलो चावल
दो रुपए प्रति दर से 2 किलो गेहूं

अंत्योदय (गुलाबी कार्ड) धारकों की संख्या और राशन
उत्तराखंड में अंत्योदय योजना (गुलाबी कार्ड) धारकों की संख्या- 1,83,872
देहरादून जिले में गुलाबी कार्ड धारकों की संख्या- 15,172
प्रति माह 35 किलो राशन
तीन रुपए की दर से 22 किलो चावल
दो रुपए प्रति दर से 13 किलो गेंहू

राज्य खाद्य सुरक्षा योजना (पीला कार्ड) धारकों की संख्या और राशन
उत्तराखंड में राज्य खाद्य सुरक्षा योजना APL (पीला कार्ड) धारकों की संख्या- 9,95,112
प्रतिमाह साढ़े 7 किलो राशन
8.75 पैसे की दर से 5 किलो गेहूं
11 रुपए की दर से ढाई किलो चावल

डीलरों की संख्या
उत्तराखंड में कुल राशन डीलरों की संख्या- 9,186
देहरादून जिले में डीलरों की संख्या 1,046

Last Updated : Jun 7, 2022, 12:59 PM IST
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