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उत्तराखंड स्थापना दिवस: राज्य गठन के बाद से नहीं बढ़ पाया औद्योगिक इकाइयों का दायरा

राज्य गठन के बाद लोगों को विकास की आस बंधी थी.जिस रफ्तार से औद्योगिक इकाइयों का दायरा बढ़ना चाहिए था वे भी नहीं बढ़ पाया है.

राज्य गठन के बाद से नहीं बढ़ पाया औद्योगिक इकाइयों का दायरा.
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Published : Nov 9, 2019, 9:51 AM IST

Updated : Nov 9, 2019, 11:38 AM IST

देहरादून: राज्य गठन के बाद लोगों को विकास की आस बंधी थी. वहीं विशेष रूप से इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने औद्योगिक विकास की परिकल्पना की उड़ान भरी, लेकिन सूबे में उस अनुपात में औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है. साथ ही जिस रफ्तार से औद्योगिक इकाइयों का दायरा बढ़ना चाहिए था वे भी नहीं बढ़ पाया है. हालांकि छोटे से लेकर बड़े तमाम उद्योग इस प्रदेश में स्थापित हुए जिनसे लाखों बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी प्राप्त हुआ. लेकिन सतत औद्योगिक विकास की सुस्त चाल ने प्रदेश के विकास में चार चांद नहीं लगा पाया. जैसे की लोगों को उम्मीदें थी.

राज्य गठन के बाद से नहीं बढ़ पाया औद्योगिक इकाइयों का दायरा.

गौर हो 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड का गठन हुआ था. अलग पहाड़ी राज्य बनने से क्षेत्र में इंडस्ट्री के नाम पर कुछ खास नहीं था. क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र में गिने चुके बड़े उद्योग थे. यही नहीं 11 हजार के करीब सूक्ष्म और लघु उद्योग थे. लेकिन अलग पहाड़ी राज्य बनने के बाद राज्य के भीतर औद्योगिक के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ और राज्य के भीतर सूक्ष्म और लघु उद्योग की संख्या 60 हजार के करीब पहुंच गई, जिसमें 300 बड़े उद्योग हैं.

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद पहली निर्वाचित सरकार के मुखिया रहे स्वर्गीय एनडी तिवारी ने साल 2003 में औद्योगिक क्षेत्र के लिए पैकेज दिया था. यही नहीं रुड़की से प्रदेश के विकास का रोडमैप भी तैयार किया था. साथ ही रुड़की के समीप भगवानपुर और हरिद्वार के सिडकुल में करीब 500 से अधिक उद्योगों की स्थापना की थी. जिससे औद्योगिक के क्षेत्र में खरबों के निवेश से लाखों लोगों को नौकरियां मिली और राज्य सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है.

यही नहीं अगर 19 सालों के सफर में उत्तराखंड राज्य बनने और राज्य गठन से पहले इस पहाड़ी क्षेत्र में उद्योगों के स्थिति की बात करें तो राज्य गठन से पहले उद्योगिक क्षेत्र में करीब 7 हजार करोड़ का निवेश था. जिससे करीब 40 हजार लोगों को रोजगार मिल मिला. लेकिन वर्तमान समय मे औद्योगिक क्षेत्र में करीब 40 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट है और करीब 5 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है.

पढ़ें-अनिल बलूनी के प्रतिनिधि बन पौड़ी पहुंचे संबित पात्रा, मनाया ईगास बग्वाल पर्व

उत्तराखंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि 2003 में औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद 2007 तक राज्य के भीतर हरिद्वार, उधम सिंह नगर के पंतनगर, सितारगंज में औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हुआ. उसके बाद औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में ढीले पढ़ गए और 2010 के बाद सिडकुल ने एक भी उद्योग को विकसित नहीं किया. लेकिन साल 2018 में हुए इन्वेस्ट समिट के बाद लोग भूमि की मांग कर रहे हैं. लेकिन अब राज्य के भीतर नए औद्योगिक क्षेत्र को तेजी से विकसित करने की जरूरत है.

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि औद्योगिक विकास के लिए पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनडी तिवारी ने जो राज्य के भीतर खाका खींचा था. उसे कोई भी सरकार आगे नहीं बड़ा पायी. यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री ने पहले राज्य के अंदर सड़कों का जाल बिछाया और सड़कों के हालात को ठीक किया. कानून व्यवस्था को भी ठीक किया. साथ ही जमीनों की उपलब्धता दी जिसके बाद राज्य में औद्योगिक विकास शुरू हुआ था.

लेकिन उसके बाद कोई भी मुख्यमंत्री औद्योगिक विकास के लिए काम नहीं कर पाया.वहीं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश मे त्रिवेंद्र सरकार आने के बाद से औद्योगिक विकास के लिए तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त हुई हैं. बिजली की सुविधा, कानून व्यवस्था, कर्मचारी उपलब्धता और भूमि की उपलब्धता भी है. यही नहीं इन्वेस्टर समिट के माध्यम से उद्योगपतियों को माहौल दिया है. वहीं उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री के सामने उत्तराखंड में उद्योग लगाने की इच्छा भी जाहिर की है.

देहरादून: राज्य गठन के बाद लोगों को विकास की आस बंधी थी. वहीं विशेष रूप से इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने औद्योगिक विकास की परिकल्पना की उड़ान भरी, लेकिन सूबे में उस अनुपात में औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हो पाया है. साथ ही जिस रफ्तार से औद्योगिक इकाइयों का दायरा बढ़ना चाहिए था वे भी नहीं बढ़ पाया है. हालांकि छोटे से लेकर बड़े तमाम उद्योग इस प्रदेश में स्थापित हुए जिनसे लाखों बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी प्राप्त हुआ. लेकिन सतत औद्योगिक विकास की सुस्त चाल ने प्रदेश के विकास में चार चांद नहीं लगा पाया. जैसे की लोगों को उम्मीदें थी.

राज्य गठन के बाद से नहीं बढ़ पाया औद्योगिक इकाइयों का दायरा.

गौर हो 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड का गठन हुआ था. अलग पहाड़ी राज्य बनने से क्षेत्र में इंडस्ट्री के नाम पर कुछ खास नहीं था. क्योंकि पहाड़ी क्षेत्र में गिने चुके बड़े उद्योग थे. यही नहीं 11 हजार के करीब सूक्ष्म और लघु उद्योग थे. लेकिन अलग पहाड़ी राज्य बनने के बाद राज्य के भीतर औद्योगिक के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ और राज्य के भीतर सूक्ष्म और लघु उद्योग की संख्या 60 हजार के करीब पहुंच गई, जिसमें 300 बड़े उद्योग हैं.

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद पहली निर्वाचित सरकार के मुखिया रहे स्वर्गीय एनडी तिवारी ने साल 2003 में औद्योगिक क्षेत्र के लिए पैकेज दिया था. यही नहीं रुड़की से प्रदेश के विकास का रोडमैप भी तैयार किया था. साथ ही रुड़की के समीप भगवानपुर और हरिद्वार के सिडकुल में करीब 500 से अधिक उद्योगों की स्थापना की थी. जिससे औद्योगिक के क्षेत्र में खरबों के निवेश से लाखों लोगों को नौकरियां मिली और राज्य सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता है.

यही नहीं अगर 19 सालों के सफर में उत्तराखंड राज्य बनने और राज्य गठन से पहले इस पहाड़ी क्षेत्र में उद्योगों के स्थिति की बात करें तो राज्य गठन से पहले उद्योगिक क्षेत्र में करीब 7 हजार करोड़ का निवेश था. जिससे करीब 40 हजार लोगों को रोजगार मिल मिला. लेकिन वर्तमान समय मे औद्योगिक क्षेत्र में करीब 40 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट है और करीब 5 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है.

पढ़ें-अनिल बलूनी के प्रतिनिधि बन पौड़ी पहुंचे संबित पात्रा, मनाया ईगास बग्वाल पर्व

उत्तराखंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि 2003 में औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद 2007 तक राज्य के भीतर हरिद्वार, उधम सिंह नगर के पंतनगर, सितारगंज में औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हुआ. उसके बाद औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में ढीले पढ़ गए और 2010 के बाद सिडकुल ने एक भी उद्योग को विकसित नहीं किया. लेकिन साल 2018 में हुए इन्वेस्ट समिट के बाद लोग भूमि की मांग कर रहे हैं. लेकिन अब राज्य के भीतर नए औद्योगिक क्षेत्र को तेजी से विकसित करने की जरूरत है.

कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि औद्योगिक विकास के लिए पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय एनडी तिवारी ने जो राज्य के भीतर खाका खींचा था. उसे कोई भी सरकार आगे नहीं बड़ा पायी. यही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री ने पहले राज्य के अंदर सड़कों का जाल बिछाया और सड़कों के हालात को ठीक किया. कानून व्यवस्था को भी ठीक किया. साथ ही जमीनों की उपलब्धता दी जिसके बाद राज्य में औद्योगिक विकास शुरू हुआ था.

लेकिन उसके बाद कोई भी मुख्यमंत्री औद्योगिक विकास के लिए काम नहीं कर पाया.वहीं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश मे त्रिवेंद्र सरकार आने के बाद से औद्योगिक विकास के लिए तमाम व्यवस्थाएं दुरुस्त हुई हैं. बिजली की सुविधा, कानून व्यवस्था, कर्मचारी उपलब्धता और भूमि की उपलब्धता भी है. यही नहीं इन्वेस्टर समिट के माध्यम से उद्योगपतियों को माहौल दिया है. वहीं उद्योगपतियों ने मुख्यमंत्री के सामने उत्तराखंड में उद्योग लगाने की इच्छा भी जाहिर की है.

Intro:नोट - कुछ विसुअल्स ftp से भेजी गई है......
uk_deh_02_industrial_development_vis_7205803

राज्य गठन से आज तक प्रदेश के जनमानस ने विशेष रूप से इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने औद्योगिक विकास की परिकल्पना की थी। लेकिन शायद उस अनुपात में औद्योगिक क्षेत्र का विकास नहीं हो पायी है, और उस रफ्तार से औद्योगिक इकाइयों का दायरा नहीं बढ़ पाया। हालांकि छोटे से लेकर बड़े तमाम उद्योग इस प्रदेश में स्थापित हुए जिनसे लाखों बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी प्राप्त हुआ, लेकिन सतत औद्योगिक विकास की सुस्त चाल ने प्रदेश के विकास में चार चांद नहीं लगा पाया। आखिर राज्य गठन के बाद से कैसा रहा औद्योगिक विकास का सफर? देखिये ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट..........


Body:साल 2000 में उत्तर प्रदेश से पृथक होकर एक अलग पहाड़ी राज्य बनने से इस पहाड़ी क्षेत्र में इंडस्ट्री के नाम पर कुछ खाश इंडस्ट्री नही थी। क्योकि पहाड़ी क्षेत्र में गिने चुके बड़े उद्योग थे। यही नही 11 हज़ार के करीब सूक्ष्म और लघु उद्योग थे, जिसमें हर तरह की एक्टिवी शामिल थी। लेकिन अलग पहाड़ी राज्य बनने के बाद राज्य के भीतर औद्योगिक के क्षेत्र में तेजी से विकास हुआ और राज्य के भीतर सूक्ष्म और लघु उद्योग की संख्या 60 हज़ार के करीब है। और 300 बड़े उद्योग है। 


साल 2003 में खिंचा गया था औद्योगिक क्षेत्र के विकास का खाखा........

उत्तराखंड राज्य गठन के बाद पहली निर्वाचित सरकार के मुखिया रहे एनडी तिवारी ने साल 2003 में औद्योगिक क्षेत्र के लिए पैकेज दिए थे। यही नही रुड़की से प्रदेश के विकास का रोडमैप भी तैयार किया था। और रुड़की के समीप भगवानपुर और हरिद्वार के सिडकुल में करीब  500 से अधिक उद्योगों की स्थापना की थी। जिससे औद्योगिक के क्षेत्र में खरबों के निवेश से लाखों लोगों को नौकरियां मिलीं थी। और राज्य सरकार को हर साल करोड़ों का राजस्व प्राप्त होता था। 


औद्योगिक क्षेत्र से 5 लाख लोगो को मिल रहा है रोजगार.....

यही नही अगर 19 सालो के सफर में उत्तराखंड राज्य बनने और राज्य गठन से पहले इस पहाड़ी क्षेत्र में उद्योगों के स्तिथि की बात करे तो राज्य गठन से पहले उद्योगिक क्षेत्र में करीब 7 हज़ार करोड़ का इन्वेस्टमेंट था। जिससे करीब 40 हज़ार लोगो को रोजगार मिल रहा था। लेकिन वर्तमान समय मे औद्योगिक क्षेत्र में करीब 40 हज़ार करोड़ का इन्वेस्टमेंट है। और करीब 5 लाख लोगों को रोजगार मिल रहा है। 

वीओ - उत्तराखंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता ने बताया कि 2003 में औद्योगिक पैकेज मिलने के बाद 2007 तक राज्य के भीतर हरिद्वार, उधम सिंह नगर के पंतनगर, सितारगंज में औद्योगिक क्षेत्रों का विकास हुआ। उसके बाद औद्योगिक क्षेत्रों के विकास में ढीले पढ़ गए। और 2010 के बाद सिडकुल ने एक भी उद्योग को विकसित नही किया। लेकिन साल 2018 में हुए इन्वेस्ट सम्मिट के बाद लोग भूमि की मांग कर रहे है। लेकिन अब राज्य के भीतर नए औद्योगिक क्षेत्र को तेजी से विकसित करने की जरूरत है। 

बाइट - पंकज गुप्ता, अध्यक्ष, उत्तराखंड इंडस्ट्रियल एसोसिएशन

वीओ - कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने बताया कि औद्योगिक विकास के लिए पूर्व मुख्यमंत्री स्व एनडी तिवारी ने जो राज्य के भीतर खाखा खिंचा था उसे किसी भी सरकार ने आगे नही बड़ा पाया। यही नही पूर्व मुख्यमंत्री ने पहले राज्य के अंदर सड़को का जाल बिछाया और सड़कों के हालात को ठीक किया और कानून व्यवस्था की हालत ठीक की, जमीनों की उपलब्धता दी जिसके बाद राज्य में औद्योगिक विकास शुरू हुआ था। लेकिन उसके बाद कोई भी मुख्यमंत्री औद्योगिक विकास के लिए काम नही कर पाया।

बाइट - सूर्यकांत धस्माना, प्रदेश उपाध्यक्ष, कांग्रेस

वीओ - तो वही भाजपा प्रदेश प्रवक्ता ने बताया कि प्रदेश मे त्रिवेंद्र सरकार आने के बाद से औद्योगिक विकास के लिए तमाम व्यवस्थायें दुरस्त हुई है। यहाँ बिजली की सुविधा, कानून व्यवस्था, कर्मचारी उपलब्धता और भूमि की उपलब्धता भी है। यही नही इन्वेस्टर सम्मिट के माध्यम से उद्योगपतियो को माहौल दिया है। यही नही इंडस्ट्री के लोगो ने मुख्यमंत्री के सामने उत्तराखंड में उद्योग लगाने को लेकर बात भी कही है। 

बाइट - वीरेंद्र बिष्ट, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा




Conclusion:
Last Updated : Nov 9, 2019, 11:38 AM IST
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