देहरादून: भारत और नेपाल के बीच चल रहे नक्शे विवाद का असर दोनों देशों के रिश्तों पर भी पड़ रहा है. दोनों देशों के बीच खटास के चलते तमाम गतिविधियों पर सीधा असर पड़ रहा है. भारत-नेपाल के बीच रोटी- बेटी का रिश्ता सदियों पुराना है, मगर अब समय बीतने के साथ इसमें भी दरार पड़ने लगी है. भारत-नेपाल के बीच आई इस दरार की वजह और विवाद के स्पष्टीकरण को लेकर ईटीवी भारत ने इतिहासकारों से बातचीत की, जिसमें हमने संबंधों के मूल को समझने के साथ ही विवादों की गहराई तक पड़ताल की.
गौरतलब है कि भारत-नेपाल के संबंध काफी पुराने हैं. इन संबंधों का जिक्र इतिहास के पन्नों में आज भी दर्ज हैं. यही वजह है कि भारत ने न सिर्फ नेपाल का हमेशा समर्थन किया, बल्कि भारत ने नेपाल के लिए हमेशा ही अपनी सीमाएं खुली रखीं. भारत में सदियों से बड़ी संख्या में नेपाल मूल के लोग काम करने पहुंचते हैं. यहीं नहीं, नेपाल और भारत के बीच रोटी-बेटी के रिश्ते की दुनिया भर में एक नजीर के तौर पर देखा जाता है.
पढ़ें- कोरोनिल पर छलका बालकृष्ण का दर्द, कहा- अपने लोग उठा रहे सवाल, विदेशी अपनाने को तैयार
नेपाल पहले था भारत का हिस्सा
हालिया, विवाद को लेकर जब हमने इतिहासकार प्रोफेसर एमएस गुसाईं से बात की तो उन्होंने बताया जो कड़वाहट आजकल देखी जा रही है. दरअसल, वह दशकों पुराना मामला है. उन्होंने बताया पहले नेपाल भारत का ही एक तराई वाला हिस्सा था. पहले भारत में दो तरह के साम्राज्य हुआ करते थे. जिसमें पहला राजतंत्रात्मक और दूसरा गणतंत्रात्मक. यह संघात्मक व्यवस्था हिमालय के तराई क्षेत्रों में ही होती थी.
पढ़ें- PM मोदी बोले- पता नहीं कब बनेगी कोरोना की दवा, इसीलिए दो गज की दूरी और मास्क जरूरी
डोटी प्रदेश के लोगों से था रोटी-बेटी का संबंध
17 वीं शताब्दी में उत्तराखंड के गढ़वाल में राजवंशों और कुमाऊं क्षेत्र में चंद्रवंशी का उत्थान हुआ था. उस दौरान हिमालय के तराई क्षेत्रों यानी वर्तमान समय में नेपाल का डोटी प्रदेश से उत्तराखंड के लोगों का न सिर्फ रोटी का संबंध था बल्कि वे बेटियों की शादी भी करते थे. अमूमन डोटी प्रदेश के लोग गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में आते रहते थे. जो अभी भी मजदूरी का कार्य करते हैं.
पढ़ें- रुद्रपुरः सड़क पर गड्ढे बने 'आफत', सफर में यात्री खा रहे 'हिचकोले'
नेपाल ने कुमाऊं और गढ़वाल पर किया था कब्जा
नेपाल के तराई क्षेत्र की बात की जाए तो नेपाल की स्थिति भी उत्तराखंड राज्य की तरह ही है. जो सीमित संसाधनों में सिमटी हुई है. यही वजह है कि प्राचीन समय से डोटी प्रदेश के लोग रोटी की तलाश में उत्तराखंड आते रहे. हालांकि, जब डोटी प्रदेश थोड़ा शक्तिशाली हुआ तब नेपाल राष्ट्र की स्थापना हुई. जिसके बाद नेपाल और कुमाऊं-गढ़वाल के बीच संघर्ष शुरू हुआ. साल 1790 में नेपाल नरेश ने कुमाऊं क्षेत्र पर कब्जा कर लिया था. साल 1803 में देहरादून के खुड़बुड़ा मोहल्ले में नेपाल और गढ़वाल की लड़ाई हुई थी. जिसमें नेपाल नरेश ने गढ़वाल पर भी कब्जा कर लिया था.
पढ़ें- रुद्रपुरः सड़क पर गड्ढे बने 'आफत', सफर में यात्री खा रहे 'हिचकोले'
1916 में अंग्रेजों और नेपाल के बीच हुई थी संधि
साल 1915 में अंग्रेजों और नेपाल के बीच युद्ध हुआ था. जिसका सिंबल आज भी खलंगा में स्मारक के तौर पर मौजूद है. हालांकि, इस युद्ध के बाद अंग्रेजों और नेपाल के बीच 1916 में एक संधि हुई थी, जिसके तहत नेपाल और भारत का सीमांकन किया गया था. देश आजाद होने के बाद भारत और नेपाल के बीच 1950 में भी एक मित्रता संधि हुई. जिसमें भारत-नेपाल के बीच व्यापारिक संबंधों समेत अन्य तमाम तरह की छूट दी गई.
पढ़ें- न्यूजीलैंड से लाया गया शिवम का शव, रुड़की में अंतिम संस्कार, 15 बार सीने पर चाकू से हुआ था वार
नेपाल के सहारे चीन कर रहा 'खेल'
इतिहासकार प्रो. एमएस गुसाईं बताते हैं कि साल 1996 में जब चीन के राष्ट्रपति नेपाल यात्रा पर आए थे, उस दौरान राष्ट्रीय राजमार्गों को जोड़ने के लिए चीन ने नेपाल की मदद की थी. जिसकी मुख्य वजह भारत था. भारत का पैर खींचने के लिए चीन हमेशा ही नेपाल की मदद करता आया है. सीमित संसाधनों में सिमटा होने के कारण नेपाल को अक्सर तमाम चीजों की जरूरत पड़ती रहती है, जिसके लिए अब चीन नेपाल की मदद कर रहा है.
पढ़ें- एक जुलाई से श्रद्धालु कर सकेंगे जागेश्वर धाम के दर्शन, सोशल-डिस्टेंसिंग का करना होगा पालन
राजनीतिक विरोधाभास तनाव का कारण
वहीं, राजनीतिक मामलों के जानकार जय सिंह रावत बताते हैं कि भारत धीरे-धीरे हिंदू राष्ट्र की ओर आगे बढ़ रहा है. हालांकि, भारत में बस ऑफिशल तौर पर हिंदू राष्ट्र की घोषणा बाकी है. बाकी देश में हिंदू राष्ट्र की तरह ही काम हो रहा है. जबकि नेपाल हिंदू राष्ट्र से निकलकर वामपंथ की ओर चल रहा है. नेपाल में वामपंथ और भारत का दक्षिणपंथ दोनों देशों के बीच के तनाव का मुख्य कारण हैं. यही नहीं, विचारधारा के विरोधाभास के कारण दोनों देशों के रिश्तों में भी खटास आ रही है.
पढ़ें- 'कोरोनिल' पर पहली बार बोले बालकृष्ण, आयुष विभाग से ज्यादा पतंजलि ने किए रिसर्च
संबंध सुधारने के लिए दोनों राष्ट्र कर रहे प्रयास
भारत-नेपाल के बीच चल रहे विवाद पर बोलते हुए शासकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे हैं. उन्होंने कहा कि संबंधों की ये पंरपरा सदियों से चली आ रही है. मदन कौशिक ने कहा दोनों देशों के बीच जो भी विवाद है, उसे निपटाने के लिए दोनों देश प्रयास कर रहे हैं. जल्द ही सब सही हो जाएगा.